शरणार्थी समझौते पर सहमत हुए देश: संयुक्त राष्ट्र
शरणार्थियों और प्रवासियों से जुड़े मुद्दे को संबोधित करने के लिए सितंबर में होने जा रहे अपनी तरह के पहले सम्मेलन से पहले संरा के सदस्य देशों में राजनीतिक सहमति बन गई है।
संयुक्त राष्ट्र। शरणार्थियों और प्रवासियों से जुड़े मुद्दे को संबोधित करने के लिए सितंबर में होने जा रहे अपनी तरह के पहले सम्मेलन से पहले संरा के सदस्य देशों में राजनीतिक सहमति बन गई है। यह सहमति पांच महीनों तक चले बातचीत के मुश्किल दौर के बाद बनी है। सम्मेलन में संरा के विशेष सलाहकार कारेन अबुजायद ने बताया कि इस समझौते को संरा के सभी 193 सदस्य देशों ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत ‘‘उन सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी जिनका फिलहाल हम सामना कर रहे हैं’’ और शरणार्थियों तथा प्रवासियों के मानवाधिकारों का ऐसे समय संरक्षण किया जाएगा जब उन्हें उनके घरों से जबरदस्ती बेदखल किया रहा है।
उनके मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध में अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए लोगों से कहीं ज्यादा संख्या में लोग अब इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। कानूनी तौर पर यह समझौता बाध्यकारी नहीं है लेकिन अबुजायद का कहना है कि अगर देश अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करते हैं तो शरणार्थी कैंप अपवाद बन जाएंगे और शरणार्थियों के हर नए जत्थे को व्यवस्थित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि समझौते के तहत देश साल 2017 में दस लाख शरणार्थियों को पुन:बसाने के लिए तैयार होंगे। यह आंकड़ा दुनियाभर की कुल शरणार्थी आबादी का पांच फीसदी है या शरणार्थियों की उस संख्या का आधा है जिनकी शुरूआती तौर पर संरा अधिकारी पुन:बसाना चाह रहे थे। यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब यूरोप और अमेरिका में शरणार्थियों और प्रवासियों का मुद्दा काफी बड़ा बन गया है। इसके पहले के मसौदे में देशों से शरणार्थी आबादी के दस फीसदी को हर साल पुन:बसाने को कहा गया था जिसे कई देशों ने अस्वीकार कर दिया था।
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