Covid-19 : अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने वायरस के प्रयोगशाला से लीक होना खारिज किया

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अमेरिकी अधिकारियों ने एक खुफिया रिपोर्ट जारी करके उन लोगों द्वारा उठाये गए कुछ बिंदुओं को खारिज कर दिया है जिन्होंने दलील दी थी कि कोविड-19 चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ था।

वाशिंगटन । अमेरिकी अधिकारियों ने एक खुफिया रिपोर्ट जारी करके उन लोगों द्वारा उठाये गए कुछ बिंदुओं को खारिज कर दिया है जिन्होंने दलील दी थी कि कोविड-19 चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ था। रिपोर्ट में एक बार फिर यह दोहराया गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की राय इसको लेकर विभाजित है कि महामारी शुरूआत कैसे हुई। रिपोर्ट शुक्रवार को अमेरिकी कांग्रेस (संसद)के कहने पर जारी की गई। कांग्रेस ने मार्च में एक विधेयक पारित करके वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान से संबंधित खुफिया रिपोर्ट को खुफिया दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने के लिए अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी को 90 दिनों का वक्त दिया था।

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के तहत काम करने वाले खुफिया अधिकारियों पर सांसद कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अधिक जानकारी जारी करने के लिए दबाव बनाते रहे हैं। हालांकि अधिकारियों की दलील रही है कि स्वतंत्र समीक्षा में चीन द्वारा रोड़ा अटकाने की वजह से यह पता लगाना शायद नामुमकिन हो गया है कि महामारी की शुरूआत कैसे हुई थी। नयी रिपोर्ट ने रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े कुछ लोगों को नाराज़ कर दिया है। उनकी दलील है कि प्रशासन गलत तरीके से गुप्त सूचना और अनुसंधानकर्ताओं को रोक रहा है।

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल के दौरान अमेरिका में राष्ट्रीय गुप्तचर निदेशक रहे जॉन रैटक्लिफ ने बाइडन प्रशासन पर लगातार उलझन में रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विज्ञान, गुप्तचर और सामान्यबोध वायरस के प्रयोगशाला से लीक होने के सिद्धांत का ही समर्थन करता है। इस साल के शुरू में ऊर्जा विभाग की खुफिया शाखा ने रिपोर्ट जारी करके प्रयोगशाला संबंधी घटना की दलील दी थी। हालांकि शुक्रवार को जारी रिपोर्ट कहती है कि खुफिया समुदाय को इस संबंध में और कोई जानकारी नहीं मिली है। चार एजेंसियों का अभी भी मानना है कि वायरस पशु से मनुष्य में फैला जबकि ऊर्जा विभाग और संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई)का मानना है कि वायरस प्रयोगशाला से लीक हुआ। सीआईए और अन्य खुफिया एजेंसी ने इस बारे में कोई आकलन नहीं किया है। महामारी की शुरुआत चीन के शहर वुहान से हुई थी और यहीं पर वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान स्थित है। संस्थान में चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोना वायरस को लेकर अतीत में किए गए अनुसंधान और कथित सुरक्षा चूक को लेकर उसने जांच का सामना किया।

रिपोर्ट कहती है कि प्रयोगशाला में अलग अलग वायरस को मिलाने के प्रयास समेत अनुसंधान के हिस्से के तौर पर अनुवांशिक रूप से वायरस विकसित गए गए। हालांकि रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इस तरह की जानकारी नहीं है जो यह दर्शाती हो कि सार्स-सीओवी-2 को वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान में अनुवांशिक रूप से तैयार किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयोगशाला में काम करने वाले कई अनुसंधानकर्ताओं के 2019 में बीमार पड़ने और उन्हें श्वास संबंधी लक्षण होना भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचाते।

रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ये जानकारी महामारी की उत्पत्ति को लेकर कयास का न समर्थन करते हैं और न उसे खारिज करते हैं क्योंकि अनुसंधानकर्ताओं में दिखे लक्षण कई बीमारियों के कारण हो सकते हैं और कुछ लक्षण कोविड-19 जैसे नहीं थे। सदन खुफिया समिति और महामारी पर प्रवर उपसमिति के प्रमुख रिपब्लिकन पार्टी से हैं। उन्होंने संयुक्त रूप से कहा है कि उन्होंने प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने के पक्ष में सूचना इकट्ठा की थी। माइक टर्नर और ब्रैड वेनस्ट्रुप ने कहा है कि कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच जारी रहनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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