31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस, इमरान की कुर्सी रहे या जाए, दोनों ही सूरत में इतिहास बन जाएगा

Imran Khan
अभिनय आकाश । Mar 29 2022 5:07PM

अगर अविश्वास प्रस्ताव हार जाता है और इमरान खान इस्तीफा नहीं देते हैं, तो वह पाकिस्तान के इतिहास में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने पर भी इतिहास रच दिया जाएगा। अविश्वास मत के जरिए प्रधानमंत्रियों को हटाने के पिछले दो प्रयास विफल रहे थे।

प्रधान मंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद पाकिस्तान में कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पर्यवेक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया है। सरकार के सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) - जिसके किसी भी मिनट गठबंधन छोड़ने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन उसने सत्तारूढ़ तहरीक-ए इंसाफ को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी। जिसके बाद जो चीजें पहले अपेक्षाकृत सरल थीं, वे अब थोड़ी जटिल हो गई हैं। यह कदम स्पष्ट रूप से पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार के इस्तीफे के परिणामस्वरूप सामने आया। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने अपने साझेदार पीएमएल-क्यू के नेता चैधरी परवेज इलाही का पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के उम्मीदवार के तौर समर्थन करेगी ताकि पीएमएल-क्यू नेशनल असेंबली में उसके खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में मतदान करे। 

पीएमएल-क्यू के भीतर ही मतभेद

हालांकि, पीएमएल-क्यू के संघीय मंत्री तारिक बशीर चीमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि वह इमरान खान के खिलाफ मतदान करेंगे। इसका मतलब यह है कि पीएमएल-क्यू के भीतर इस बात को लेकर गंभीर मतभेद हैं कि वे अविश्वास मत पर कहां खड़े हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मजहर अब्बास ने कहा कि पीएमएल-क्यू के फैसले से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को झटका लगा है, जिसके सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी पीएमएल-क्यू नेतृत्व के साथ बैठक कर उन्हें विपक्ष में शामिल होने के लिए राजी कर रहे थे। पीएमएल-क्यू के चौधरी परवेज इलाही इमरान खान की तुलना में जरदारी के ज्यादा करीब बताए जा रहे थे। सरकार की एक अन्य सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) का स्टैंड अभी तक साफ नहीं है और उसकी तरफ से ये घोषणा नहीं की है कि वह सरकार के साथ बने रहेगी या नहीं। 

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विपक्ष की ताकत

पीएमएलएन: 84

पीपीपी: 56

एमएमए: 14

बीएपी: 04

बीएनपी: 4

जेडब्ल्यूपी (पूर्व सरकार के सदस्य अब विपक्ष के साथ): 1

निर्दलीय: 4

तारिक बशीर चीमा: 1 (पीएमएलक्यू सदस्य जिन्होंने हाल ही में मंत्री पद से इस्तीफा दिया और घोषणा की कि वह इमरान खान के खिलाफ वोट करेंगे, भले ही उनकी पार्टी न करे)

कुल: 169

सरकारी ताकत

पीटीआई: 155

पीएमएलक्यू: 4

बीएपी: 1

ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस: 3

एएमएल: 1

अन्य: 1

कुल: 165

इमरान को जीत के लिए 172 वोट चाहिए।

खान का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका

हालांकि पीएमएल-क्यू का पीटीआई को समर्थन देने का फैसला अप्रत्याशित था, फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी बच जाएगी। नंबर गेम अभी भी विपक्ष के पक्ष में है क्योंकि सत्ताधारी पार्टी के कई असंतुष्ट विधायक भी इमरान खान के खिलाफ मतदान करेंगे। हालांकि, फ्लोर क्रॉसिंग पर सांसदों की अयोग्यता को नियंत्रित करने वाले संविधान के अनुच्छेद 63-ए पर सुप्रीम कोर्ट की राय मांगने के लिए सरकार द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में वर्तमान में शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि असंतुष्ट सांसदों के वोटों की गिनती नहीं की जा सकती है, तो विपक्ष को झटका लगेगा। सरकार उम्मीद कर रही थी कि सुप्रीम कोर्ट अविश्वास पर मतदान से पहले अपना फैसला सुनाएगा, लेकिन इसकी संभावना कम नजर आ रही है। 

क्या इमरान वापसी कर सकते हैं?

काफी मशक्कत के बाद 28 मार्च को नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के तुरंत बाद सत्र 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष को भरोसा है कि इमरान खान की कुर्सी जाने वाली हैं और प्रस्ताव पारित हो जाएगा। लेकिन पाकिस्तान की राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं है और चीजें उम्मीद से अलग हो सकती हैं। अगर एमक्यूएम सरकार के साथ रहने का फैसला करती है और पीएमएल-क्यू अपने भीतर के आंतरिक मतभेदों को सुलझाने में सफल हो जाती है तो इमरान खान वापसी कर सकते हैं। पीटीआई के प्रतिनिधि दावा कर रहे हैं कि उनके असंतुष्ट सांसदों में से 12 वापस आ गए हैं और अन्य पीटीआई छोड़ने के अपने पहले के फैसले से पीछे हट जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो विपक्ष की उम्मीदों को करारा झटका लगेगा। 

क्या होगा अगर इमरान की कुर्सी बच जाती है?

अगर अविश्वास प्रस्ताव हार जाता है और इमरान खान इस्तीफा नहीं देते हैं, तो वह पाकिस्तान के इतिहास में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने पर भी इतिहास रच दिया जाएगा। अविश्वास मत के जरिए प्रधानमंत्रियों को हटाने के पिछले दो प्रयास विफल रहे थे। 

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