भारत से प्रेम या नफरत की भावना, आखिर क्यों तालिबान ने अपनी मिलिट्री यूनिट का नाम 'पानीपत' रखा?

अफगानिस्तान की अंतरिम तालिबान सरकार ने 'पानीपत' नामक एक विशेष सैन्य इकाई की स्थापना की घोषणा की है - जाहिर तौर पर 1761 में लड़ी गई पानीपत की तीसरी लड़ाई से प्रेरणा लेते हुए जिसमें अफगान शासक अहमद शाह ने मराठा सेना को हराया था।
तालिबान ने अपनी एक सैन्य ईकाई का नाम पानीपत रखा है। इस बात के बाद आपको लगेगा कि क्या अफगानिस्तान के अंदर भी कोई पानीपत है क्या? जवाब है- जी, नहीं ये वही पानीपत है जो भारत की राजधानी दिल्ली से 90 किलोमीटर दूर हरियाणा में है। ये वही पानीपत है जहां पर महत्वपूर्ण लड़ाईयां लड़ी गई हैं। पानीत में तीन लड़ाईयां लड़ी गई। जिसमें तीसरी और आखिरी लड़ाई में ये कहा जाता है कि मराठा साम्राज्य तो हार गए लेकिन इसकी वजह से भारत में अंग्रेजों का प्रवेश सुनिश्चित हो गया।
भारत को उकसाने वाला कदम
अफगानिस्तान की अंतरिम तालिबान सरकार ने "पानीपत" नामक एक विशेष सैन्य इकाई की स्थापना की घोषणा की है - जाहिर तौर पर 1761 में लड़ी गई पानीपत की तीसरी लड़ाई से प्रेरणा लेते हुए जिसमें अफगान शासक अहमद शाह ने मराठा सेना को हराया था। इस खबर के सामने आने के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस कदम को अमेरिकी सैन्य वापसी के बाद भारत को उकसाने के लिए इसे तालिबानी कट्टरवाद की संज्ञा दी है।
इसे भी पढ़ें: दक्षिणी फ्रांस में धमाका और आग लगने से कम से कम सात लोगों की मौत
नंगरहार में किया जाएगा तैनात
"पानीपत ऑपरेशनल यूनिट" को पाकिस्तान की सीमा से लगे देश के पूर्वी प्रांत नंगरहार में तैनात किया जाएगा। ट्विटर पर हाल ही में एक पोस्ट के जरिये अफगानिस्तान के आमाज न्यूज ने नंगराहार की राजधानी जलालाबाद में सैन्य वर्दी में नकाबपोश तालिबान सैनिकों की अमेरिकी राइफलें पकड़े हुए और परेड करते हुए तस्वीरें साझा कीं। पानीपत की लड़ाई जैसी ऐतिहासिक घटनाओं की चर्चा अक्सर ग्रामीण अफगानिस्तान में धार्मिक उपदेशों में की जाती है ताकि मुसलमानों के समर्थन में लोगों की भावनाओं को उन जगहों पर जगाया जा सके। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मस्जिदों और मदरसों में कश्मीर और फिलिस्तीन अक्सर चर्चा के लिए आते हैं।
सोशल मीडिया पर बना मजाक
इस घोषणा को सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। कुछ ने इसकी प्रशंसा की, कुछ ने इसकी निंदा की जबकि अन्य ने इसका मजाक उड़ाया। एक अफगान जाविद तनवीर ने ट्वीट किया, "भगवान की मर्जी, इतिहास खुद को दोहराएगा।" "यह बहुत मजाकिया है। यह बहुत अज्ञानी है। एक अन्य अफगान ने ट्वीट किया कि मैं समझता हूं कि यह आदेश आधिकारिक तौर पर भारत के साथ उसकी समस्याओं के कारण पाकिस्तान की ओर से है।
इसे भी पढ़ें: 55 घंटे बाद होगी दुनिया की सबसे बड़ी जंग, एयरफील्ड से बैटलफील्ड तक की जंगी तैयारी, डेढ़ लाख रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को चारो तरफ से घेरा
इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान
हरियाणा के 56 वर्ग किमी में फैला पानीपत एक छोटा सा जिला है। भारतीय इतिहास की दृष्टि से ये जगह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस जगह पर लड़ी लड़ाईयों ने भारतीय इतिहास को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। यहां 1526, 1556 और 1761 में तीन अहम लड़ाईयां लड़ी गईं। पानीपत की पहली लड़ाई में खुरासान से आने वाले बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराकर भारत पर कब्जा कर लिया। भारत में मुगल राज की स्थापना हुई। 5 नवंबर 1556 को पानीपत की दूसरी लड़ाई लड़ी गई। यह लड़ाई सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य, (हेमू) और अकबर की बीच हुई। पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ और अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली की सेना के बीच हुई थी। स युद्ध में मराठों की बहुत बुरी शिकस्त हुई। यह युद्ध अफगानों की विजय और भारत की हार का प्रतीक है। इसलिए ऐसा कदम तालिबान की तरफ से भारत को नीचा दिखाने के लिए उठाया जा रहा है।
अन्य न्यूज़












