नए वेरिएंट का Xi नाम देने से डरा WHO, अल्फाबेट्स को जानबूझकर छोड़ा, चीन के लिए नामकरण का नियम तोड़ा?
जब से पहला वायरस स्ट्रेन सामने आया है, नामकरण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ग्रीक अक्षरों का उपयोग डब्ल्यूएचओ कर रहा है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने 13वें और 14वें अल्फाबेट को छोड़ सीधे पंद्रहवें पर छलांग लगा दी। 13वां ग्रीक अल्फाबेट 'NU' है।
कोरोना के नए वेरिएंट ने एक बार फिर कई देशों की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। इस नए वेरिएंट का नाम ओमीक्रोन रखा गया है। कहने के लिए नियम के मुताबिक इस खतरनाक वायरस का नामकरण किया गया है। लेकिन सच्चाई इससे काफी इतर है और नामकरण में भी राजनीति हो गई है। इस बात की चर्चा हर ओर हो रही है कि क्या चीन के कहने पर डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस का नाम बदल दिया। कहा ये जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुले तौर पर दिखाया है कि वह किसकी सेवा में लगा है और किसके इशारे पर काम कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के एक नए घातक और बल्कि संक्रामक रूप की सूचना के बाद सभी को यकीन था कि इसे या तो 'नु' या 'शी' नाम दिया जाएगा।
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कोरोना की वर्णमाला
पहला- अल्फा
दूसरा बीटा
तीसरा- गामा
चौथा- डेल्टा
15वां- ओमीक्रोन
जब से पहला वायरस स्ट्रेन सामने आया है, नामकरण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ग्रीक अक्षरों का उपयोग डब्ल्यूएचओ कर रहा है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने 13वें और 14वें अल्फाबेट को छोड़ सीधे पंद्रहवें पर छलांग लगा दी। 13वां ग्रीक अल्फाबेट 'NU' है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ को डर था कि लोग 'NU' को न्यू समझने की गलती कर लेते। यानी कंन्फूजन पैदा होता। वहीं 14वां ग्रीक अल्फाबेट है 'XI' जो छोड़ दिया गया। सूत्रों के मुताबिक 'XI' अल्फाबेट को इसलिए छोड़ा गया क्योंकि ये चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम से मेल खाता है।News of new Nu variant, but WHO is jumping the alphabet to call it Omicron, so they can avoid Xi. pic.twitter.com/UJ4xMwg52i
— Martin Kulldorff (@MartinKulldorff) November 26, 2021
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ये तो सभी को ज्ञात है कि डब्ल्यूएचओ पर पहले से ही चीन के हिमायती होने के आरोप लगते रहे हैं। इससे पहले कोरोना की उत्तपत्ति को लेकर भी डब्ल्यूएचओ विवादों में रहा है। दुनिया के कई वैज्ञानिक आरोप लगाते रहे हैं कि कोरोना चीन से ही उपजा है। लेकिन डब्ल्यूएचओ की टीम ने लंबी रिसर्च के बाद भी कभी चीन को कटघरे में खड़ा नहीं किया।
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