तो क्या इसलिए इमरान ने बढ़ाया जनरल बाजवा का कार्यकाल

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इमरान खान की सरकार ने कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल अगले 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। यह उस समय हुआ जब इमरान खान सरकार बैकफुट पर नजर आ रही थी और जनरल बाजवा का कार्यकाल समाप्त होने वाला था।

जम्मू कश्मीर से धारा 370 के कुछ प्रवधानों को समाप्त किए जाने के बाद कश्मीर पूर्णता भारत का अभिन्न अंग बन गया तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को इससे बड़ा फायदा हुआ है। इमरान खान की सरकार ने  कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल अगले 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। यह उस समय हुआ जब इमरान खान सरकार बैकफुट पर नजर आ रही थी और जनरल बाजवा का कार्यकाल समाप्त होने वाला था।

इमरान खान के दफ्तर ने खबर दी कि देश में अमन और शांति को लेकर कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया गया है। यह आदेश उनके मौजूदा कार्यकाल के समाप्त हो जाने के बाद लागू प्रभाव में आएगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तान में बेरोजगारी, भुखमरी या फिर मंदी हो इन तमाम मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार इमरान खान के खिलाफ खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था। लगभग हर एक मोर्चे में फेल हुई इमरान खान सरकार किसी भी पल गिर सकती थी लेकिन फिर हिन्दुस्तान के गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें उठने का मौका दे दिया।

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जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटने के बाद अब मोदी सरकार ने वहां के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम शुरू कर दिया है। एक तरफ घाटी की स्थिति को सामान्य करने में जुट गए तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की नापाक हरकतों का जवाब दिया जा रहा है। इमरान खान की ही तरह अगर पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा की बात की जाए तो उनका कार्यकाल पूरा हो गया था और वह रिटायर होने वाले थे। ऐसे में जम्मू कश्मीर मुद्दा दोनों लोगों के लिए फायदेमंद साबित हुआ। 

जब कमर जावेद बाजवा बने थे आर्मी चीफ

कश्मीर मुद्दों के जानकार माने जाने वाले कमर जावेद बाजवा की नियुक्ति पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुहर लगाई थी। दरअसल जनरल बाजवा 29 नवंबर 2016 को सेवानिवृत्त हुए जनरल राहिल शरीफ की जगह आर्मी चीफ बने थे। इतना ही नहीं उन्हें इसलिए भी आर्मी चीफ बनाया गया था क्योंकि उन्हें भारतीय सीमा के लगे हुए लाइन ऑफ कंट्रोल का भी अच्छा खासा अनुभव है। बाजवा की नियुक्ति के बाद कई सुरक्षा सलाहकारों ने पाकिस्तान मीडिया में यह बात कबूली थी कि उन्हें यह मौका सिर्फ और सिर्फ सीमारेखा के अनुभव की वजह से मिला है। 1982 में पाकिस्तानी सेना की सिंध रेजिमेंट में कमीशन होकर पहुंचे कमर जावेद बाजवा को साल 2011 में हिलाल-ए-इम्तियाज से नवाजा जा चुका है।

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जब इमरान ने दर्ज की थी कार्यकाल बढ़ाने पर आपत्ति

खुद कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने वाले इमरान खान जनरल अशफाक परवेज कियानी का कार्यकाल बढ़ाए जाने का पुरजोर विरोध करते हुए एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उन्होंने कहा था कि कोई भी चीज कानून से बढ़कर नहीं हो सकती और एक देश का निजाम तभी चलता है जब वहां की घटनाएं कानून के अंतर्गत हो। जो लोग कानून की खिलाफत करते हैं वो उसे कमजोर करते हैं। मुशर्रफ सरकार के दौरान कड़ी आलोचना करने वाले इमरान के लिए आज कार्यकाल का बढ़ाया जाना संवैधानिक कैसे हो गया? यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो पाकिस्तान के मंसूबों को दर्शाता है।

इमरान के खास बन चुके हैं बाजवा

प्रधानमंत्री इमरान खान और बाजवा घनिष्ठ सहयोग के साथ काम कर रहे हैं और उसी को देखते हुए उनके कार्यकाल को विस्तार देने का फैसला किया गया। बाजवा, खान की पहली अमेरिका यात्रा के समय उनके साथ गए थे जहां प्रधानमंत्री ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। इमरान खान ने एक अभूतपूर्व कदम के तहत बाजवा को राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य भी मनोनीत किया था। पाकिस्तान में सेना प्रमुख के पद पर नियुक्ति प्रधानमंत्री और उनकी सरकार का विशेषाधिकार होती है। यहां सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को सेना प्रमुख बनाने की परंपरा का पालन नहीं किया जाता ।

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान का भी पड़ा है असर

बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया जाना हाल की घटनाओं को भी दर्शाता है। जब पूरा हिन्दुस्तान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि मना रहा था उस समय राजनाथ सिंह भी वाजपेयीजी को श्रद्धांजलि देने पोखरण पहुंचे थे। उस समय संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने देश की परमाणु योजना पर अपना पक्ष रखा था और कहा था कि हमारी नीति रही है कि हम परमाणु हथियार को प्रयोग नहीं करेंगे। लेकिन आगे क्या होगा यह तो परिस्थितियों पर निर्भर करता है। 

रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि जनरल बाजवा को सीमारेखा का अच्छा खासा अनुभव है और जैसे हालात पनप रहे हैं ऐसे में अगर आर्मी चीफ कोई दूसरा व्यक्ति नियुक्त होता है तो ऐसे में पाकिस्तान की आवाम का विश्वास भी इमरान खान खो देंगे। 

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बौखलाया पाकिस्तान

कश्मीर को लेकर भारत के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ अपने राजनयिक संबंधों का दर्जा कम करने का फैसला किया था और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था। इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने कारोबारी रिश्तों पर भी विराम लगा दिया। इसी के साथ पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस, थार एक्सप्रेस और लाहौर-दिल्ली के बीच की बस सेवा को भी रोक दिया है। उधर, भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को साफ शब्दों में कह चुका है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का उसका फैसला पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है। भारत ने पाकिस्तान को भी सलाह दी है कि वह सचाई को स्वीकार करे।

इस तरह की भी खबरें हैं कि जनरल बाजवा ने अपना कार्यकाल खुद बढ़ाया है। पाकिस्तान में सेना प्रमुख ही अपने कार्यकाल की अवधि तय करता है और प्रधानमंत्री तो महज उनके द्वारा कार्यकाल को बढ़ाए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर करता है। बाकी पूरा आवाम इस बात को मानता है कि जो पाक का उत्तराधिकारी बनता है यानी की वजीर-ए-आला वह तो सिर्फ पाकिस्तान आर्मी का एक पुतला होता है। इतिहास में यह देखा गया है कि पाकिस्तान आर्मी ने कई बार तख्तापलट किया है और वहां की बागडोर अपने हाथों पर ली है। 

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