इमरान खान का छलका दर्द! बोले- मेरी सरकार एक कमजोर सरकार थी, पाकिस्तान गृह युद्ध की कगार पर खड़ा है
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश की शक्तिशाली सेना पर हमला करते हुए यह स्वीकार किया है कि उनकी सरकार एक “कमजोर सरकार” थी, जिसे “हर तरफ से ब्लैकमेल किया” जाता था। उन्होंने कहा कि सत्ता की बागडोर उनके हाथ में नहीं थी और “सभी को पता था कि वह किसके पास है।”
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी है कि अगर नए चुनावों की घोषणा नहीं की गई तो देश में गृह युद्ध शुरू हो जाएगा। बोल न्यूज चैनल के साथ एक खास बातचीत में इस दौरान उन्होंने कई मुद्दो पर बात भी की और पाकिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर कई तरह की संभावनाएं भी जाहिर की। पाकिस्तान में इमरान खान अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करके इमरान खान की सरकार को गिरा दिया था। इमरान के समर्थकों ने इस्लामाबाद में काफी हंगामा भी किया था। माना जा रहा था कि पाकिस्तान में जल्द ही चुनाव की घोषणा की जाएगी और जनता एक नहीं सरकार चुनकर बनाएगी लेकिन इससे पहले ही राजनीतिक गणित लगाकर विपक्ष ने अपनी सरकार बना ली। चुनाव होने में अभी एक साथ का समय और भी बाकि हैं लेकिन इमरान खान कानूनी प्रक्रिया का हवाला देकर कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाए। इसके अलावा प्रधानमंत्री बनें रहने के दौरान इमरान खान की पाकिस्तान की सेना के साथ जो खींचतान चल रही थी उसे लेकर भी इमरान खान से काफी बात की हैं।
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी है कि अगर नए चुनावों की घोषणा नहीं की गई तो देश में गृह युद्ध शुरू हो जाएगा। बोल न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपनी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वह तारीख जारी करेंगे। डॉन अखबार ने खबर दी कि आम चुनाव की मांग को लेकर अगले मार्च के लिए।
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश की शक्तिशाली सेना पर हमला करते हुए यह स्वीकार किया है कि उनकी सरकार एक “कमजोर सरकार” थी, जिसे “हर तरफ से ब्लैकमेल किया” जाता था। उन्होंने कहा कि सत्ता की बागडोर उनके हाथ में नहीं थी और “सभी को पता था कि वह किसके पास है।” अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद अप्रैल में खान को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री का आरोप है कि यह अमेरिका-नीत साजिश का हिस्सा था क्योंकि उन्होंने रूस, चीन और अफगानिस्तान पर स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई थी।
डॉन अखबार के अनुसार, बोल न्यूज को बुधवार को दिए एक साक्षात्कार में खान से उस रात के बारे में सवाल किया गया, जब उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उनसे पूछा गया कि कौन आदेश दे रहा था और किसने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) तथा पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के विरुद्ध मामलों में रुकावट पैदा की। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख ने कहा कि उनकी सरकार जब से सत्ता में आई थी तभी से वह “कमजोर” थी और उसे गठबंधन की जरूरत पड़ी।
खान ने कहा कि ऐसी स्थिति दोबारा पैदा हुई तो वह फिर से चुनाव कराने का विकल्प चुनेंगे और बहुमत की सरकार बनाने का प्रयास करेंगे। क्रिकेटर से नेता बने 69 वर्षीय खान ने कहा, “हमारे हाथ बंधे हुए थे। हमें हर तरफ से ब्लैकमेल किया जा रहा था। सत्ता हमारे हाथ में नहीं थी। सभी को पता है कि पाकिस्तान में सत्ता किसके पास है, इसलिए हमें उन पर निर्भर रहना पड़ता था।” उन्होंने कहा कि दुश्मनों के खतरे को देखते हुए हर देश के लिए एक “मजबूत फौज” का होना जरूरी है, लेकिन एक मजबूत सेना तथा मजबूत सरकार के बीच “संतुलन” होना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा, “हम हर समय उन पर निर्भर रहते थे। उन्होंने बहुत सी चीजें अच्छी भी की हैं, लेकिन जो बहुत सी चीजें करनी चाहिए थीं, उन्होंने नहीं की। उनके पास सत्ता है, क्योंकि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनबीए) जैसे संस्थानों पर उनका नियंत्रण है।” पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के पास जिम्मेदारी थी, लेकिन सत्ता या शक्ति नहीं थी।
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