भारत और सऊदी अरब मार्च में पहली बार करेंगे संयुक्त नौसेना अभ्यास
सूत्रों ने बताया कि खाड़ी साम्राज्य पश्चिमी हिंद सागर में भारत के साथ अपने समुद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है। इस जल क्षेत्र में लाल सागर, अदन की खाड़ी, अरब सागर, ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी जैसे व्यस्त और संवेदनशील समुद्री मार्ग आते हैं।
रियाद। भारत और सऊदी अरब अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास अगले वर्ष मार्च महीने के पहले हफ्ते में करेंगे। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि दोनों पक्ष रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक भारतीय सूत्र ने कहा कि प्रस्तावित अभ्यासों के बारे में एक तैयारी बैठक इस महीने की शुरुआत में भारत में हुई थी। एक अन्य बैठक दिसंबर में होगी। सूत्र ने बताया कि दोनों पक्ष अगले वर्ष मार्च माह के पहले हफ्ते में पहला संयुक्त नौसेना अभ्यास करेंगे।
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सूत्रों ने बताया कि खाड़ी साम्राज्य पश्चिमी हिंद सागर में भारत के साथ अपने समुद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है। इस जल क्षेत्र में लाल सागर, अदन की खाड़ी, अरब सागर, ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी जैसे व्यस्त और संवेदनशील समुद्री मार्ग आते हैं। सऊदी की राष्ट्रीय पेट्रोलियम कंपनी सऊदी अरामको के तेल प्रतिष्ठानों पर ड्रोन और मिसाइल से कई हमले हुए हैं। भारत ने इन हमलों की निंदा की है और आतंकवाद का हर रूप में मुकाबला करने का अपना संकल्प दोहराया है।
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सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्ष शुद्ध रूप से खरीदार और विक्रेता के संबंध से आगे और करीबी रणनीतिक साझेदार बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं। सहयोग के नए क्षेत्रों को देखा गया है जिनमें से एक रक्षा क्षेत्र भी है। सूत्र ने बताया कि दोनों देशों के बीच संयुक्त रक्षा सहयोग समिति नाम की एक प्रणाली है। इस वर्ष जनवरी में रियाद में इसकी चौथी बैठक से इतर पहली बार भारत के रक्षा उद्योग (सरकारी और निजी दोनों) तथा सऊदी के प्रतिष्ठानों के बीच संवाद सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी। दोनों पक्षों ने असैन्य उड्डयन के क्षेत्र में भी एक समझौता किया है।
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रणनीतिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत और सऊदी अरब ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय के लिए मंगलवार को रणनीतिक भागीदारी परिषद् समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने इस समझौते को अपने हस्ताक्षरों के साथ अमलीजामा पहना दिया था। यह परिषद् हर दो वर्ष में सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों को देखेगी और मंत्री हर साल मुलाकात करेंगे।
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