एशिया-प्रशांत में अमेरिकी भागीदारी की सराहना करता है भारत: कार्टर
वाशिंगटन। अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा है कि अमेरिका के सामने मौजूद पांच उभरती रणनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए निवेश एवं संचालन के नए तरीकों की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने भारत को एक ‘‘नया दोस्त’’ बताया, जो एशिया-प्रशांत में अमेरिकी भागीदारी की ‘‘बेहद सराहना’’ करता है। कार्टर ने बुधवार को कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा, ‘‘हम एक नए रणनीतिक युग में प्रवेश कर रहे हैं। आज का सुरक्षा माहौल पिछले 25 वर्षों की तुलना में नाटकीय ढंग से अलग है, जिसमें निवेश और संचालन के नए तरीकों की जरूरत है। रूस, चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और आतंकवाद नामक पांच बढ़ती रणनीतिक चुनौतियां रक्षा मंत्रालय की योजनाओं और बजट के केंद्र में हैं और यह इस बजट में परिलक्षित हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि इस समय अमेरिका के सामने सबसे बड़ा खतरा आईएसआईएस का है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाला अंतरराष्ट्रीय गठबंधन इस आतंकी संगठन को हराने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्टर ने कहा, ‘‘मैं सबसे पहले आतंकवाद और विशेषकर आईएसआईएल के खिलाफ जारी हमारी लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं। आईएसआईएल को हमें एक करारी शिकस्त देनी चाहिए और हम देंगे भी। सबसे तात्कालिक तौर पर हमें इराक और सीरिया में इसके मूल संगठन को शिकस्त देनी है लेकिन हमें इसे वहां भी हराना है, जहां यह अपना रूप बदल रहा है। इस सबके साथ-साथ हम अपनी मातृभूमि की सुरक्षा में भी मदद जारी रख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत में चीन उग्रता के साथ बर्ताव कर रहा है। ‘‘वहां, हम बीते 70 साल की क्षेत्रीय स्थिरता में पुनर्संतुलन बनाना जारी रखे हुए हैं। इस स्थिरता ने बहुत से देशों को इस क्षेत्र में उभरने और तरक्की करने का अवसर दिया। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जो अमेरिका के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने अपनी यात्रा की शुरूआत में भारत और फिलीपीन में देखा, एशिया और प्रशांत में हमारी भागीदारी की बहुत सराहना की जाती है और हमारे चिरकालिक सहयोगी एवं नए दोस्तों के बीच इसकी भारी मांग है।’’ कार्टर ने कहा कि दो अन्य लंबित चुनौतियां विशेष क्षेत्रों में खतरा बनी हुई हैं। उत्तर कोरिया उनमें से एक है। यही वजह है कि कोरियाई प्रायद्वीप में हमारे बल तैयार रहते हैं, क्योंकि वे कहते हैं..आज ही रात लड़ाई हो जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा है ईरान। क्योंकि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने में परमाणु समझौता अच्छा है, फिर भी हमें ईरानी उग्रता को रोकने के लिए हमारे क्षेत्रीय मित्रों एवं सहयोगियों, विशेषकर इजराइल पर ईरान के बुरे प्रभाव से निपटना चाहिए। इजराइल के प्रति हमारी अटल और अक्षुण्ण प्रतिबद्धता है। खाड़ी देशों में मौजूद सहयोगियों के प्रति भी हम प्रतिबद्ध हैं। मैंने पिछले सप्ताह अबू धाबी और रियाद में उनसे मुलाकात की।’’ उन्होंने कहा कि इन पांचों चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका की ओर से नए निवेशों, कुछ क्षेत्रों में नए रूख और नई एवं बढ़ी हुई क्षमताओं को भी अपनाए जाने की जरूरत है।
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