विश्व की Renewable Energy क्षमता को तिगुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से India और China ने किया परहेज

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इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस में दक्षिण एशिया के निदेशक विभूति गर्ग ने जी20 के हिस्से के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को तीन गुना करने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में सीओपी28 में दोहराया था।

दुबई। भारत और चीन ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी28) में 2030 तक दुनिया की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया। हालांकि, भारत ने जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान इसके लिए प्रतिबद्धता जतायी थी। यहां संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता के दौरान, 118 देशों ने 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता जतायी।

इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य का उद्देश्य दुनिया के समग्र ऊर्जा उत्पादन में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना है। संकल्प का समर्थन करने वाले देशों में जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली, ब्राजील, नाइजीरिया और बारबाडोस शामिल हैं। हालांकि, चीन और भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा में तीन गुना वृद्धि के लिए समर्थन व्यक्त किया है, लेकिन उनमें से किसी ने भी शनिवार को औपचारिक रूप से समग्र संकल्प का समर्थन नहीं किया। इस प्रतिबद्धता में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लाने के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना शामिल है। इसमें, कोयला से उत्पादन की जाने वाली बिजली में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने और कोयला चालित नए बिजली संयंत्रों के वित्तपोषण को समाप्त करने का आह्वान किया गया।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि जीवाश्म ईंधन की मांग को कम करने और सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए दुनिया को 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता की दर को दोगुना करना होगा। वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर द्वारा पिछले सप्ताह जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 14वीं राष्ट्रीय बिजली योजना (एनईपी) देश को 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना से अधिक करने की राह पर ले जाती है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए नयी दिल्ली को 293 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।

भारत का वर्तमान लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता तक पहुंचना है। भारत के फैसले पर भारतीय विशेषज्ञों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आयी है। सीनियर एसोसिएट और ई3जी में इंडिया एनर्जी ट्रांजिशन लीड मधुरा जोशी ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने के लक्ष्य वाली वैश्विक संकल्प पर हस्ताक्षर नहीं करने के भारत के फैसले पर निराशा व्यक्त की।

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस में दक्षिण एशिया के निदेशक विभूति गर्ग ने जी20 के हिस्से के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को तीन गुना करने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में सीओपी28 में दोहराया था। ऐसे में जब भारत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए गंभीर महत्वाकांक्षाएं प्रदर्शित कर रहा, गर्ग ने कोयला के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर देश की चुप्पी का जिक्र किया।

विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) भारत में जलवायु की कार्यकारी निदेशक उल्का केलकर ने भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अपनाए गए नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के वैश्विक लक्ष्य को रेखांकित किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ऊर्जा दक्षता को स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव के एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर रेखांकित किया। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने की वैश्विक प्रतिबद्धता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने विकास को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के दोहरे लाभों पर जोर दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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