भारत को अमेरिका नीत अर्टेमिस संधि में शामिल होने की जरूरत : नासा की अधिकारी

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उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत ने घोषित किया है कि वह एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति है और टिकाऊ अन्वेषण, अंतरिक्ष के जिम्मेदाराना उपयोग, सहयोग, पारदर्शिता को महत्व देता है।

नासा की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि अंतरिक्ष में स्वतंत्र पहुंच रखने वाले कुछ देशों में शामिल और एक वैश्विक शक्ति माने जाने वाले भारत को ‘अर्टेमिस’टीम का हिस्सा होने की जरूरत है। यह टीम असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण पर समान विचार वाले देशों को एक मंच पर लाता है। अर्टेमिस संधि, 2025 तक फिर से मानव को चंद्रमा पर भेजने की अमेरिका नीत कोशिश है, जिसका लक्ष्य मंगल तक और उससे आगे अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करना है। उल्लेखनीय है कि 1967 की ‘बाह्य अंतरिक्ष संधि’ (अर्टेमिस संधि) असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण को दिशानिर्देशित करने के लिए तैयार गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों का एक समूह है और इसका उपयोग 21वीं सदी में किया जा रहा। नासा प्रशासक के कार्यालय में प्रौद्योगिकी, नीति एवं रणनीति के लिए सहायक प्रशासक भव्या लाल ने पीटीआई-से शुक्रवार को कहा कि मई 2023 तक अर्टेमिस संधि के 25 हस्ताक्षरकर्ता थे और उम्मीद जताई कि भारत 26वां देश बन जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अर्टेमिस संधि पर हस्ताक्षर करना (भारत के लिए) प्राथमिकता होनी चाहिए।

मेरा मतलब यह है कि नासा भारत को मजबूत समझता है, यह एक वैश्विक शक्ति है। यह उन कुछ देशों में शामिल है जो अंतरिक्ष तक स्वतंत्र पहुंच रखता है, जिसके पास शानदार प्रक्षेपण उद्योग है, जो चंद्रमा पर पहुंचा है, मंगल की कक्षा में पहुंच चुका है। इसे अर्टेमिस टीम का हिस्सा बनाये जाने की जरूरत है।’’ लाल ने कहा, ‘‘यह इस बारे में है कि हम अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को कैसे भविष्य की पीढ़ी के लिए सतत बनाएं। इसलिए, मुझे लगता है कि समान विचार वाले देशों के पास साथ मिल कर अन्वेषण करने का मौका है।’’ उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत ने घोषित किया है कि वह एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति है और टिकाऊ अन्वेषण, अंतरिक्ष के जिम्मेदाराना उपयोग, सहयोग, पारदर्शिता को महत्व देता है। लाल का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था और वह नयी दिल्ली में पली- बढ़ीं। वह नासा की कार्यवाहक मुख्य प्रौद्योगिकीविद के रूप में सेवा दे चुकी हैं और नासा के 60 से अधिक वर्षों के इतिहास में इस पद पर आसीन होने वाली प्रथम महिला हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को अर्टेमिस कार्यक्रम में और अधिक चीजें करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल में एक मानवीय अंतरिक्ष उड़ान कार्यकारी समूह गठित किया है। इस समूह का लक्ष्य इस बारे में रणनीतियां विकसित करना है कि हमें क्या और कैसे करना चाहिए।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले सप्ताह होने वाली अमेरिका की यात्रा से पहले कहा, ‘‘निसार(नासा-इसरो सिंथेटिक एर्पेचर रडार) अगले साल की शुरूआत में प्रक्षेपित किया जाना है। मैं इसके पटरी पर होने की उम्मीद करती हूं।’’ भारत और अमेरिका ने हाल में एक मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यकारी समूह गठित किया है। लाल ने उम्मीद जताई कि भारत उस समुदाय का हिस्सा बनेगा, जो पृथ्वी से टकरा सकने वाले क्षुद्रगहों और धूमकेतु की तलाश करता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं काफी उत्साहित हूं। निसार, इस जुलाई चंद्रयान 3, और फिर से आदित्य मिशन। वह भी इस साल। आगामी गगनयान मिशन। जापान के साथ लुपेक्स (चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण) मिशन।

हर जगह भारत सहयोग कर रहा है न केवल अमेरिका के साथ, बल्कि जापान और फ्रांस के साथ भी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निसार मिशन एक अच्छा उदाहरण है। भारत के पास एक उपकरण है। अमेरिका के पास एक उपकरण है और यह बराबरी का सहयोग है।’’ उन्होंने गगनयान मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि अभी यह मात्र एक अंतरिक्ष ‘कैप्सूल’ है। उन्होंने कहा कि कभी भारत के पास एक अंतरिक्ष स्टेशन होगा। लाल ने यह भी कहा, ‘‘जब मैं यहां आई थी, तब मुझे काफी सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। मैं अंग्रेजी बोलती थी, लेकिन उच्चारण के साथ काफी समस्या थी...इसलिए समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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