इराकी प्रधानमंत्री ने मोसुल में सैन्य अभियान शुरू किया

इरबिल। इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अब्दी ने उत्तरी शहर मोसुल को आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट के कब्जे से आजाद करने के लिए सैन्य अभियान प्रारंभ करने की आज घोषणा की। इसके साथ ही, पांच साल पहले अमेरिकी सेना के यहां से चले जाने के बाद देश की सबसे कठिन लड़ाई शुरू हो गई है। इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर से आईएस को बाहर करने के लिए व्यापक सैन्य अभियान प्रारंभ किए जाने के बारे में इराक के सरकारी टीवी ने आज तड़के संक्षिप्त वक्तव्य जारी किया।
इसमें प्रधानमंत्री विशिष्ट आंतकनिरोधी बलों जैसी वर्दी पहने दिख रहे हैं और उनके इर्द-गिर्द वरिष्ठ सैन्य अधिकारी खड़े हैं। अपने संबोधन में अब्दी ने मोसुल के निवासियों से कहा, ‘‘ये बल आज आपको आजाद करवाएंगे। मोसूल में उनका एक ही लक्ष्य है और वह है आपको दायेश (आईएस) से छुटकारा दिलाना और आपको आपका आत्मसम्मान वापस दिलाना। बल वहां आपकी मदद के लिए हैं।’’ इस संबोधन के कुछ ही मिनटों बाद सरकारी प्रसारणकर्ता ने देशभक्ति से ओतप्रोत संगीत का प्रसारण किया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक निनेवेह मैदानी इलाकों से मोसूल की दिशा में बम के गोले दागने की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी। अमेरिकी बलों के 2011 में यहां से हटने के बाद से मोसूल को वापस पाने का अभियान इराक का सबसे बड़ा सैन्य अभियान है। यह सफल रहता है तो इस्लामिक स्टेट को इससे बड़ा झटका लगेगा। अल अब्दी की वेबसाइट पर एक वक्तव्य में कहा गया है कि शहर को वापस पाने की लड़ाई नए दौर की शुरूआत होगी जो इस साल इराक के सभी इलाकों को आतंकवादियों से मुक्त करने के अंजाम तक पहुंचाएगी। अमेरिकी विदेश मंत्री एश्टन कार्टर ने वाशिंगटन में कहा है कि इराकी शहर मोसुल को आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट के कब्जे से वापस लेने के लिए चलाया जा रहा अभियान इस जिहादी समूह को हराने की दिशा में अहम कदम हैं।
कार्टर ने जोर देते हुए कहा ‘‘इस कठिन लड़ाई में अमेरिका और शेष अंतरराष्ट्रीय गठबंधन इराकी सुरक्षा बलों, पेशमरगा लड़ाकों और इराक की जनता के साथ खड़े हैं।’’ इराकी बल बीते कुछ दिनों से शहर के इर्द-गिर्द गश्त लगा रहे हैं। उनमें विशिष्ट बलों के सदस्य भी शामिल हैं।मोसूल में दस लाख से ज्यादा नागरिक रहते हैं। जून 2014 में इस शहर पर आईएस के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया था। तब आतंकियों ने इराक के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा जमा लिया था जिसके बाद से देश मुश्किल हालात से गुजर रहा था। इससे पहले 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में यहां आक्रमण हुआ था तब ऐसे हालात बने थे। मोसूल को कब्जे में लेने के बाद आईएस प्रमुख अबु बकर अल बगदादी ने खलीफा शासन लगाने का ऐलान किया था। किसी समय एक तिहाई इराक और सीरिया पर खलीफा का ही शासन था। लेकिन बीते एक साल से इराक में आतंकियों को युद्ध में मुंह की खानी पड़ रही है और देश में उनकी सत्ता मोसूल और उत्तरी तथा पश्चिमी क्षेत्र में स्थित छोटे-मोटे शहरों तक सीमित रह गई है। मोसूल देश की राजधानी बगदाद से करीब 360 किमी दूर उत्तरपश्चिम में स्थित है। मोसूल को वापस पाने का अभियान इराकी सेना के लिए आसान नहीं होगा। 2014 में सेना को हार का सामना करना पड़ा था जिसके बाद से वह अपनी शक्ति जुटाने की कोशिश कर रही है।
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