आईएस आतंकवादियों के बच्चे पुनर्वास शिविरों में, लेकिन भविष्य अनिश्चित
इसी डर को खत्म करने के लिए पूर्वी और उत्तरी सीरिया पर शासन करने वाले कुर्द अधिकारी बच्चों को चरमपंथी सोच से बाहर निकालने के उद्देश्य से एक प्रायोगिक पुनर्वास कार्यक्रम चला रहे हैं। इसके लिए उन्हें अनिश्चित समय के लिए उनकी माताओं और परिवारों से दूर रखा जा रहा है लेकिन इसे लेकर मानवाधिकार समूहों के बीच चिंता बढ़ गई है।
इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकवादियों के परिवारों के हजारों बच्चे पिछले कम से कम चार साल से पूर्वोत्तर सीरिया के एक शिविर में बड़े हो रहे हैं। इनका पालन पोषण ऐसे माहौल में हो रहा है जहां समूह की कट्टरपंथी विचारधारा अभी भी फैल रही है और जहां उनके पास शिक्षा के लिए कोई मौका नहीं है। ऐसे में डर है कि अल-होल शिविर से उग्रवादियों की एक नई पीढ़ी उभरेगी। इसी डर को खत्म करने के लिए पूर्वी और उत्तरी सीरिया पर शासन करने वाले कुर्द अधिकारी बच्चों को चरमपंथी सोच से बाहर निकालने के उद्देश्य से एक प्रायोगिक पुनर्वास कार्यक्रम चला रहे हैं। इसके लिए उन्हें अनिश्चित समय के लिए उनकी माताओं और परिवारों से दूर रखा जा रहा है लेकिन इसे लेकर मानवाधिकार समूहों के बीच चिंता बढ़ गई है।
अगर उन्हें पुनर्वासित मान भी लिया जाता है, तो भी बच्चों का भविष्य अधर में है क्योंकि उनके घरेलू देश उन्हें वापस लेने के लिए इच्छुक नहीं हैं। कुर्द नेतृत्व वाले प्रशासन के न्याय और सुधार मामलों के कार्यालय के सह-अध्यक्ष खालिद रेमो ने कहा, ‘‘अगर ये बच्चे शिविर में रहते हैं, तो इससे चरमपंथियों की एक नई पीढ़ी पैदा होगी, जो पहले की तुलना में अधिक उन्मादी हो सकते हैं।’’ हाल ही में, एसोसिएटेड प्रेस टीम को ऑर्केश सेंटर का दौरा करने की अनुमति दी गई थी, जो पिछले साल के अंत में खोला गया एक पुनर्वास केंद्र है। यह अल-होल से लिए गए दर्जनों युवा लड़कों का घर है। 11 से 18 वर्ष की आयु के ये लड़के फ्रांस और जर्मनी सहित लगभग 15 विभिन्न देशों से हैं। ये वे बच्चे हैं जिनके माता पिता आईएस की विचारधारा से प्रभावित होकर उनके साथ लड़ने के लिए अपने अपने देश छोड़कर सीरिया पहुंचे थे।
ऑर्केश शिविर में, लड़कों को ड्राइंग और संगीत सिखाने के साथ ही सहिष्णुता और सहनशीलता का पाठ भी पढ़ाया जाता है। वे दर्जी या नाई जैसी भविष्य की नौकरियों के लिए कौशल भी सीखते हैं। वे जल्दी उठते हैं और सुबह 7 बजे नाश्ता करते हैं, फिर दोपहर 3 बजे तक क्लास करते हैं, जिसके बाद वे सॉकर और बास्केटबॉल खेल सकते हैं। वे डार्मेट्री में रहते हैं, जहाँ उनसे साफ सफाई रखने, अपना बिस्तर व्यवस्थित रखने की अपेक्षा की जाती है उन्हें अपने माता-पिता और भाई-बहनों से मिलने की इजाजत है। अधिकारियों ने निजता का हवाला देते हुए एपी टीम को केंद्र में लड़कों से बात करने की अनुमति नहीं दी। अल-होल के एक अलग दौरे के दौरान इन लोगों का व्यवहार शत्रुतापूर्ण था और कोई भी साक्षात्कार के लिए सहमत नहीं हुआ।
एपी ने उन परिवारों से भी संपर्क किया जिन्हें अल-होल से रिहा किया गया था, लेकिन किसी ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। प्रायोगिक कार्यक्रम की नवीनता इसकी प्रभावशीलता का आकलन करना कठिन बनाती है। फिर भी, केंद्र इस बात को रेखांकित करता है कि सीरिया और इराक में 2019 में समाप्त हुए युद्ध में समूह के हारने के वर्षों बाद, अमेरिका समर्थित कुर्द अधिकारी इस्लामिक स्टेट द्वारा छोड़ी गई विरासत के साथ कैसे संघर्ष कर रहे हैं। अल-होल कैंप उसी युद्ध से मिला एक घाव है। शिविर में लगभग 51,000 लोग रहते हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। इनमें आईएस आतंकवादियों की पत्नियां, विधवाएं और परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं।
ज्यादातर लोग सीरियाई और इराकी हैं। लेकिन 60 अन्य राष्ट्रीयताओं की लगभग 8,000 महिलाएं और बच्चे भी हैं जो एनेक्सी नामक शिविर के एक हिस्से में रहते हैं। उन्हें आम तौर पर शिविर के निवासियों के बीच सबसे कट्टर आईएस समर्थक माना जाता है। ज्यादातर सीरियाई और इराकियों के अपने घरों को लौट जाने के बाद शिविर की आबादी 73,000 लोगों से कम है। लेकिन अन्य देशों ने बड़े पैमाने पर अपने इन नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया है, जो 2014 में कट्टरपंथी समूह द्वारा इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा करने के बाद आईएस में शामिल हो गए थे। अल-होल में बच्चों के पास करने के लिए बहुत कम काम है और शिक्षा के लिए बहुत कम अवसर हैं।
शिविर में आधे से भी कम 25,000 बच्चे इसके शिक्षण केंद्रों पर पढ़ने और लिखने की कक्षाओं में भाग लेते हैं। लेकिन कट्टर विचारधारा से ये निजात नहीं पा सके हैं। एपी द्वारा हाल ही में अल-होल के अंदर दौरे के दौरान, कुछ युवा लड़कों ने पत्रकारों पर पत्थर फेंके। पत्रकारों की ओर देखते हुए एक ने अपने गले पर उंगली रखी और उसे खींचते हुए सिर काटने का इशारा किया। शिविर के निदेशक जिहान हनान ने एपी को बताया, ‘‘ये बच्चे 12 साल की उम्र तक पहुंचने के बाद खतरनाक हो सकते थे और दूसरों को मार सकते थे। हमारे पास एक विकल्प था उन्हें पुनर्वास केंद्रों में रखना और उन्हें उस चरमपंथी विचारधारा से दूर रखना जो उनकी माताओं के दिलो दिमाग में है।’’ विस्थापित लोगों के लिए शिविरों की देखरेख करने वाले एक कुर्द अधिकारी शेखमूस अहमद ने कहा कि लड़कों के 13 साल के हो जाने पर आईएस के वफादार उनकी छोटी लड़कियों से शादी करवा देते थे। इससे बचाने के लिए भी उन्हें यहां शिविरों में रखा गया है। लेकिन कुर्द अधिकारी और मानवतावादी एजेंसियां इस बात से सहमत हैं कि देशों के लिए एकमात्र वास्तविक समाधान अपने नागरिकों को वापस लेना है। ह्यूमन राइट्स वॉच की लैता टेलर ने कहा ‘‘एक बार अपने देश पहुंचने के बाद, बच्चों और आईएसआईएस के अन्य पीड़ितों का पुनर्वास किया जा सकता है। वयस्कों की निगरानी की जा सकती है या उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।’’ सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग ने मार्च में इन लोगों की स्वदेश वापसी में तेजी लाने का आह्वान किया था।
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