Israel में इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है? क्यों PM Benjamin Netanyahu के खिलाफ सड़कों पर है जनता?

Benjamin Netanyahu
ANI

अभी तक जनता सड़कों पर थी अब इजराइल के राष्ट्रपति ने भी सरकार से न्यायपालिका में आमूल-चूल बदलाव की विवादित योजना को तत्काल रोकने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी यह योजना देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज को खतरे में डाल रही है।

इजराइल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू शायद अब तानाशाही पर उतर आये हैं इसलिए सिर्फ इजराइल में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जहां-जहां यहूदी रह रहे हैं वह नेतन्याहू का विरोध कर रहे हैं। इजराइल में रविवार को जनता ने जो विरोध प्रदर्शन किया वह उस देश के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया जा रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि पिछली बार किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के चलते नेतन्याहू कुछ समय सत्ता से दूर रहे थे लेकिन सत्ता में उनकी वापसी के साथ ही इजराइल में तमाम तरह के विवाद खड़े होने लग गये हैं।

राष्ट्रपति ने क्या कहा?

अभी तक जनता उनके खिलाफ सड़कों पर थी अब इजराइल के राष्ट्रपति इसाक हरजोग ने भी सरकार से न्यायपालिका में आमूल-चूल बदलाव की विवादित योजना को तत्काल रोकने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी यह योजना देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज को खतरे में डाल रही है। इसाक हरजोग ने सरकार से देश की खातिर राजनीतिक मतभेदों को दूर रखने का भी आह्वान किया। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘गत रात हमने बहुत मुश्किल हालात देखे। मैं प्रधानमंत्री, सरकार के सदस्यों और गठबंधन के सदस्यों से अपील करता हूं कि भावनाएं आहत हैं। पूरा देश गहरी चिंता में डूबा हुआ है। हमारी सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, समाज- सभी खतरे में हैं। इजराइल के सभी लोग उम्मीद भरी निगाहों से आपको देख रहे हैं। सभी यहूदी लोग आपसे उम्मीद लगाए बैठे हैं। पूरी दुनिया को आपसे उम्मीद है।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इजराइल के लोगों की एकता की खातिर, आवश्यक जिम्मेदारी की खातिर, मैं आपसे विधायी प्रक्रिया तत्काल रोकने का अनुरोध करता हूं।’’ उन्होंने सत्ता में बैठे सभी नेताओं से देश के नागरिकों को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया।

जनता सड़कों पर क्यों उतरी है?

हम आपको बता दें कि इजराइली राष्ट्रपति ने यह अपील तब की है जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस योजना का विरोध करने के लिए अपने रक्षा मंत्री को बर्खास्त कर दिया था। नेतन्याहू की ओर से रक्षा मंत्री को बर्खास्त किये जाने के विरोध में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। दरअसल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू न्यायपालिका में आमूल-चूल बदलाव करना चाहते हैं लेकिन रक्षा मंत्री गैलेन्ट ने उनकी इस योजना को चुनौती देते हुए कह दिया कि न्यायपालिका में बदलाव ‘‘देश की सुरक्षा के लिए खतरा’’ है। इस बयान के चलते उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। बस फिर क्या था, इजराइली जनता सड़कों पर उतर पड़ी विरोध करने के लिए।

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जैसे ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 26 मार्च 2023 को रक्षा मंत्री योआव गैलेन्ट को बर्खास्त करने का फैसला किया है।’’ इस घोषणा के बाद अभूतपूर्व आक्रोश जताते हुए देशभर में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। हम आपको बता दें कि न्यायपालिका में बदलाव की सरकार की योजना का न केवल देश में विरोध किया गया बल्कि नेतन्याहू की इटली, जर्मनी और ब्रिटेन की यात्रा के दौरान भी यहूदी प्रवासी समुदाय के हजारों लोगों ने इसका विरोध किया था। इन प्रदर्शनों ने कारोबारी नेताओं, पूर्व सुरक्षा प्रमुखों तथा इजराइल के करीबी सहयोगी अमेरिका को भी चिंतित कर दिया है।

क्या कोई बीच का रास्ता निकलेगा?

इस बीच, प्रदर्शन तेज होने पर सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी के कुछ नेताओं ने समझौता करने की इच्छा जतायी है। नेतन्याहू के विश्वासपात्र एवं संस्कृति मंत्री मिकी जोहर ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री न्यायपालिका में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव रोकना चाहते हैं तो पार्टी उनका समर्थन करेगी।

हंगामा क्यों है बरपा?

दरअसल, नेतन्याहू की सरकार इस सप्ताह ऐसे विधेयक पर संसद में मतदान कराने की योजना बना रही है जिससे सत्तारुढ़ गठबंधन को न्यायिक नियुक्तियों पर अंतिम मुहर लगाने की शक्ति मिल जाएगी। इसमें ऐसे कानून पारित करने का भी प्रावधान है जिससे संसद को आम बहुमत के साथ उच्चतम न्यायालय के फैसलों को पलटने तथा कानूनों की न्यायिक समीक्षा सीमित करने का अधिकार मिल जाएगा। नेतन्याहू तथा उनके सहयोगियों का तर्क है कि इस योजना से न्यायिक तथा कार्यकारी शाखाओं के बीच संतुलन बहाल होगा। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये कानून इजराइल की लोकतांत्रिक व्यवस्था में संतुलन बिगाड़ देगा और सत्तारुढ़ गठबंधन के हाथ में शक्तियां सौंप देगा। उनका यह भी कहना है कि ये कानून भ्रष्टाचार के मुकदमे का सामना कर रहे नेतन्याहू के लिए हितों का टकराव भी है।

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