आज से आम लोग कर सकेंगे भारत के कोहिनूर का दीदार, टॉवर ऑफ लंदन में ब्रिटिश साम्राज्य के 'विजय प्रतीक' के तौर पर किया जाएगा प्रदर्शित

Kohinoor
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अभिनय आकाश । May 26 2023 4:54PM

कोहिनूर को विजय के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाएगा। मैनेजर सोफी लेमग्नेन ने इसकी जानकारी दी है। कोहिनूर पर्यटकों के आकर्षण में नई ज्वेल हाउस प्रदर्शनी का हिस्सा है और इसके साथ एक वीडियो भी है जो दुनिया भर में हीरे की यात्रा को दर्शाता है।

भारत पर सौ साल के शासन के दौरान अंग्रेजों ने यहां से बहुत कुछ लूट कर अपनी तिजोरी में भरा। वो हीरा जो भारत से सात समुंदर पार चला गया। चर्चा तो हमेशा होती रही कि कोहिनूर को भारत लाया जाएगा। लेकिन तमाम चर्चाओं के बीच  विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को टॉवर ऑफ लंदन में विजय के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। मशहूर कोहिनूर हीरा शुक्रवार यानी 26 मई को ब्रिटेन के टॉवर ऑफ लंदन में शुरू हुई प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा। कोहिनूर को विजय के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाएगा। मैनेजर सोफी लेमग्नेन ने इसकी जानकारी दी है। कोहिनूर पर्यटकों के आकर्षण में नई ज्वेल हाउस प्रदर्शनी का हिस्सा है और इसके साथ एक वीडियो भी है जो दुनिया भर में हीरे की यात्रा को दर्शाता है।

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सोफी लेमग्नेन ने कहा कि कोहिनूर एक बेशकीमती हीरा है, जिसका लंबा इतिहास रहा है। यह कई हस्तियों के हाथों से गुजरा है। दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में यह हीरा जड़ा हुआ है, जिसे पहनने से नयी महारानी कैमिला ने इनकार कर दिया था। अब यह ताज “टावर ऑफ लंदन” में रखा हुआ है।

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कोहिनूर की कहानी

भारत से ब्रिटेन पहुंचे कोहिनूर 105.6 कैरेट का है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता है। इसका इतिहास पांच हजार साल से भी पुराना है। हीरे का वर्तमान नाम फारसी में है जिसका मतलब होता है रोशनी का पहाड़। जानकारों की मानें तो पांच हजार साल पहले इस हीरे की खोज आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा की खदानों में खुदाई के दौरान हुई थी। इसके बाद 1304 में ये मालवा पहुंचा। यहां से 1306 में ओरुगल्लु, 1323 में दिल्ली, 1339 में समरकंद उज्बेकिस्तान, 1526 में वापस दिल्ली, 1739 में पार्शि (मौजूदा समय में ईरान), 1747 में काबुल अफगानिस्तान, 1800 में पंजाब, 1849 में लाहौर, 1854 में ये ब्रिटेन चला गया। 

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