नोबेल पुरस्कार: प्राचीन डीएनए की खोज ने आधुनिक मानव के विकास का सुराग दिया

Nobel Prize

मानव के क्रमिक विकास पर शोध के लिए 2022 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जर्मनी के लेपजिग स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के स्वैंते पैबो को देने की घोषणा की गई है।

स्टाकहोम। मानव के क्रमिक विकास पर शोध के लिए 2022 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जर्मनी के लेपजिग स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के स्वैंते पैबो को देने की घोषणा की गई है। दूसरे शब्दों में, पैबो को आधुनिक मानव से मिलती-जुलती विलुप्त प्रजाति, निएंडरथल और डेनिसोवान्स के जीनोम के अनुक्रमण के लिए और इन खोजों से मानव के क्रमिक विकास में अनूठी अंतर्दृष्टि डालने के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया है।

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पैबो को प्राचीन डीएनए के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। यह एक ऐसा शोध क्षेत्र है जो ऐतिहासिक एवं प्राग-ऐतिहासिक अवशेषों को बरामद करने और उनके विश्लेषण से जुड़ा हुआ है। पैबो ने मेडिकल साइंस में पीएचडी की उपाधि 1980 के दशक की शुरूआत में स्वीडन की उप्पासला यूनिवर्सिटी से हासिल की थी। उन्होंने वहां प्राचीन मिस्र की भाषा, इतिहास और संस्कृति का भी अध्ययन किया। यह एक तार्किक कदम था जिसके लिए उन्होंने आणविक जीवविज्ञान की मदद ली, ताकि प्राग-ऐतिहासिक मानव को बेहतर तरीके से समझाा जा सके। प्राचीन अस्थियों से डीएनए प्राप्त करना: पैबो ने 1980 के दशक की शुरूआत में, ममी से लेकर विलुप्त ‘ग्राउंड स्लोथ’ जंतु तक के डीएनए का अध्ययन किया। यह कार्य तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि प्राचीन डीएनए का अत्यधिक क्षरण हो गया था और वह संदूषित हो सकता थ। बाद के दशकों में उन्होंने प्रामाणिक डीएनए को बरामद करने और उसकी व्याख्या करने के लिए पद्धतियों एवं दिशानिर्देशों की श्रृंखला विकसित की तथा आधुनिक स्रोतों, खासकर समकालिक मानव से डीएनए के संदूषण को कम किया। डायनासोर के डीएनए हासिल करने की संभावना से जुड़े क्षेत्र में 1990 के दशक की शुरूआत में काफी उत्सुकता थी।

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हालांकि, समय के साथ डीएनए का क्षरण होने के बारे में अपनी जानकारी के आधार पर पैबो इस बारे में संशयवादी रहे कि डीएनए लंबे समय तक टिक सकता है। वह बाद में सही साबित हुए। उनके कई सहकर्मियों के लिए यह स्पष्ट था कि पैबो का लक्ष्य सदा ही निएंडरथल डीएनए हासिल करना था। लेकिन उन्होंने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन पद्धतियों के पर्याप्त रूप से परिपक्व होने तक प्राचीन डीएनए को हासिल करने तथा उसके प्रमाणीकरण के लिए सावधानीपूर्वक पद्धतियों को विकसित किया। आखिरकार, 1997 में पैबो और उनके सहकर्मियों ने प्रथम निएंडरथल डीएनए अनुक्रमण प्रकाशित किया।

वर्ष 2010 में समूचा निएंडरथल जीनोम प्रकाशित किया गया। कुछ वर्षों बाद, समूह ने पूर्व के एक अज्ञात प्रकार के मानव, डेनिसोवान्स (निएंडरथल से दूर का संबंध रखने वाला) का जीनोम प्रकाशित किया। यह अनुक्रमण साइबेरिया की डेनिसोवा गुफा में मिले अस्थि के 40,000 साल पुराने अंश के अनुक्रमण पर आधारित है। पैबो ने यह पता लगाया कि किस तरह से कई आधुनिक मानव में निएंडरथल और डेनिसोवान्स के डीएनए के मामूली हिस्से मौजूद हैं। आधुनिक मानव और हमारे विलुप्त पूर्वजों के बीच अनुवांशिकी अंतर का खुलासा करने वाले पैबो की प्रभावशाली खोजों ने हमें वह आधार उपलब्ध कराया है जो मानव को अनूठा बनाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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