तालिबान और अमेरिका के बीच दोबारा बात शुरू कराने में बिचौलिया बना पाकिस्तान

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[email protected] । Oct 3 2019 4:59PM

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तालिबान राजनीतिक आयोग (टीपीसी) के प्रतिनिधिमंडल ने कुरैशी से मुलाकात की। टीपीसी प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की और इसमें कमीशन के कई वरिष्ठ सदस्य शामिल थे।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष के शीघ्र एवं शांतिपूर्ण समाधान के लिए तालिबान को अवसर का फायदा उठाने और अमेरिका से वार्ता फिर से शुरू करने को कहा है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से यहां उग्रवादी समूह के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बीच पाकिस्तान ने कहा कि युद्ध कोई समाधान नहीं है। तालिबान के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने कुरैशी से बृहस्पतिवार को मुलाकात की। यह मुलाकात अफगान शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने पर जोर देने के उद्देश्य से की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के साथ शांति वार्ता को अचानक से रद्द कर इसे “खत्म” घोषित कर दिया था।

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तालिबान राजनीतिक आयोग (टीपीसी) के प्रतिनिधिमंडल ने कुरैशी से मुलाकात की। टीपीसी प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की और इसमें कमीशन के कई वरिष्ठ सदस्य शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए विदेश मंत्री ने ध्यान दिलाया कि भले ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोग इतिहास, भूगोल और संस्कृति को साझा करते हों लेकिन दोनों मित्र देशों के बीच इस्लाम मजबूत संबंध का कारण बना हुआ है। कुरैशी ने शांति प्रक्रिया में तालिबान की गंभीर प्रयासों की सराहना करते हुए इन प्रयासों को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत को रेखांकित किया।

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कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति हासिल करने के लिए मौजूदा एवं व्यापक क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहमति एक अभूतपूर्व अवसर देती है जिसे गंवाया नहीं जाना चाहिए। अमेरिका और तालिबान मसौदा शांति योजना पर सहमत हुए थे लेकिन इस प्रक्रिया पर राष्ट्रपति ट्रंप ने रोक लगा दी थी। ट्रंप ने काबुल में पिछले महीने एक आत्मघाती हमले में अमेरिकी सैनिक की हत्या के बाद यह प्रक्रिया रोक दी थी। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी।

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ट्रंप ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था जब उन्होंने अचानक से घोषणा की कि तालिबान के साथ अफगान शांति प्रक्रिया “खत्म” हो गई है। उन्होंने तालिबान द्वारा काबुल हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद वाशिंगटन के पास कैंप डेविड में तालिबान और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ गोपनीय बैठक रद्द कर दी थी। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी तरह के प्रयासों को समर्थन देना जारी रखेगा जो पाकिस्तान के अपने सामाजिक-आर्थिक विकास एवं प्रगति के लिए भी जरूरी है। टीपीसी की स्थापना के बाद से तालिबान के किसी प्रतिनिधिमंडल का यह पहला पाकिस्तानी दौरा है। 

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कुरैशी और तालिबान के बीच वार्ता डेढ़ घंटे से ज्यादा चली। इस बैठक में खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी मौजूद थे। यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के सिविल एवं सैन्य अधिकारियों के साथ कुछ और बैठकें करेगा लेकिन उनके ब्यौरे साझा नहीं किए गए हैं। यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी अधिकारियों से भी मुलाकात कर सकता है। अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत जलमी खलीलजाद भी शांति वार्ता फिर से शुरू करने पर चर्चा के लिए पाकिस्तान में मौजूद हैं। वह तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात कर सकते हैं।

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