Mahaparinirvan Day 2025: डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि पर क्यों मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस, इतिहास है खास

डॉ आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने और दलितों, गरीबों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अर्पित किया। हर साल 06 दिसंबर को डॉ बीआर आंबेडकर की डेथ एनिवर्सरी को महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है।
हर साल 06 दिसंबर को डॉ बीआर आंबेडकर की डेथ एनिवर्सरी को महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान के जनक के अलावा डॉ आंबेडकर को बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है। साल 1955 में लंबी बीमारी की वजह से डॉ आंबेडकर का स्वास्थ्य खराब हो गया था। जिसके बाद 06 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था। यह दिन बाबासाहेब के भारत के लिए दिए गए योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने हमेशा असमानताओं के खिलाफ संघर्ष किया था।
क्यों मनाया जाता है यह दिन
बता दें कि साल 1956 में डॉ आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था। वह हिंदू धर्म के कई तौर-तरीकों से काफी दुखी हो गए थे। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मतलब 'मौत के बाद निर्वाण' होता है। वहीं बौद्ध धर्म में जो व्यक्ति निर्वाण को प्राप्त करता है, वह सांसारिक मोह माया और इच्छाओं से मुक्त हो जाता है। हालांकि निर्वाण की अवस्था को हासिल करना बेहद कठिन होता है।
इसके लिए किसी को बहुत ही धर्मसम्मत और सदाचारी जीवन जीना होता है। वहीं 80 साल की आयु में भगवान बुद्ध के निधन का असल महापरिनिर्वाण कहा गया है। बौद्ध कैलेंडर के मुताबिक यह दिन सबसे पवित्र दिन होता है। वहीं यग दिन डॉ आंबेडकर की परिवर्तनकारी विरासत के लिए श्रद्धांजलि के रूप में मायने रखता है।
डॉ आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने और दलितों, गरीबों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अर्पित किया। उनके अनुयायियों का मानना है कि उनके गुरु भी भगवान बुद्ध की तरह बेहद सदाचारी थे। डॉ भीमराव आंबेडकर अपने महान कार्य और सदाचारी जीवन के कारण निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं। जिस कारण उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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