Pakistan economic crisis: पाकिस्तान विदेशी मिशनों, कार्यालयों और कर्मचारियों की संख्या घटाने का लिया फैसला
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शहबाज सरकार की तरफ से ऐसा कदम तब आया है जब पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज, वैश्विक मुद्रास्फीति और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए संघर्ष करता हुआ धरातल पर जा रहा है।
दिवालियेपन की कगार पर खड़ा पाकिस्तान अपने खर्चे में कटौती के कड़े उपायों की योजना बना रहा है। पाकिस्तान सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती, संघीय मंत्रियों की संख्या को कम करने और मंत्रालयों और विभागों के खर्च पर अंकुश लगाने पर विचार कर रहा है। शहबाज सरकार की तरफ से ऐसा कदम तब आया है जब पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज, वैश्विक मुद्रास्फीति और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए संघर्ष करता हुआ धरातल पर जा रहा है।
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द न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तरफ से मितव्ययिता उपायों की घोषणा की गई है। मितव्ययिता उपायों में संकुचनकारी राजकोषीय नीतियां, सार्वजनिक व्यय में कटौती, चयनात्मक कर वृद्धि, पेंशन सुधार और श्रम सुरक्षा में कटौती शामिल है, जो सरकारों द्वारा खर्च को कम करने के लिए लागू की जाती हैं।
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कंगाली कम करने के नए उपाय
पाकिस्तान में मितव्ययिता उपायों से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों सहित सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ पेंशन को दिए जाने वाले भत्तों और विशेषाधिकारों को सीमित कर दिया जाएगा।
इसके अलावा, यह उम्मीद की जाती है कि पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ के आधे मंत्रिमंडल बिना किसी वेतन या विशेषाधिकार के काम करेंगे।
मितव्ययिता के उपायों में सभी सरकारी संस्थाओं के बजट में कटौती शामिल हो सकती है - कैबिनेट सदस्यों, सांसदों और सरकारी कर्मचारियों के कुछ भत्तों और विशेषाधिकारों को वापस लेना, जिसमें लक्जरी वाहन और सुरक्षा/प्रोटोकॉल शामिल हैं।
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