कोसोवो में जातीय संघर्ष के बाद Serbia ने सीमा पर सतर्कता बढ़ाई

Serbia steps up
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सर्बिया ने कहा कि सीमा के निकट तैनात उसके सशस्त्र बल पूरी तरह से सतर्क हैं। कोसोवो पुलिस और जातीय सर्बों के बीच एक दिन पहले हुई हिंसक झड़पों के बाद शनिवार को सर्बिया के शीर्ष राजनीतिक और सुरक्षा अधिकारी,राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक के नेतृत्व में बेलग्रेड में मिले। हिंसक झड़पों में 12 से अधिक लोग घायल हो गये थे।

सर्बिया ने जातीय सर्बों के खिलाफ कोसोवो पुलिस की ‘‘कठोर कार्रवाई’’ को रोकने में कथित रूप से विफल रहने के लिए पड़ोसी कोसोवो में तैनात उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेतृत्व वाले शांति सैनिकों की निंदा की। सर्बिया ने कहा कि सीमा के निकट तैनात उसके सशस्त्र बल पूरी तरह से सतर्क हैं। कोसोवो पुलिस और जातीय सर्बों के बीच एक दिन पहले हुई हिंसक झड़पों के बाद शनिवार को सर्बिया के शीर्ष राजनीतिक और सुरक्षा अधिकारी,राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक के नेतृत्व में बेलग्रेड में मिले। हिंसक झड़पों में 12 से अधिक लोग घायल हो गये थे।

शनिवार को शीर्ष सर्बियाई नेतृत्व की बैठक के बाद वूसिक ने कहा, ‘‘कोसोवो में सर्बियाई लोगों के खिलाफ (कोसोवो प्रधानमंत्री) अल्बिन कुर्ती और उनकी सेना द्वारा बल के इस्तेमाल के कारण सर्बिया गणराज्य की सशस्त्र सेना युद्ध के लिए तैयार रहेगी। बयान में कहा गया है कि एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक मिशन और नाटो के नेतृत्व वाली सेना ने सर्बों की रक्षा के लिए अपना काम ठीक से नहीं किया। इस बीच, नाटो की प्रवक्ता ओना लॉन्गेस्कु ने ‘‘कोसोवो में तुरंत तनाव कम करने’’ का आग्रह किया और सभी पक्षों से ‘‘बातचीत के जरिये समस्या का समाधान निकालने का आह्वान किया।’’

उन्होंने ट्विटर पर कहा कि नाटो हमेशा ‘‘सतर्क रहता है और कोसोवो में एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगा।’’ कोसोवो पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी। नये अधिकारियों को कार्यालयों में जाने दिया गया। कई कारों को आग के हवाले कर दिया गया। अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने कोसोवो सरकार द्वारा नगर निगम की इमारतों में जबरन घुसने की अनुमति देने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किये जाने की निंदा की।

कोसोवो के प्रधानमंत्री कुर्ती ने पुलिस कार्रवाई का शनिवार को बचाव किया। कुर्ती ने ट्विटर पर कहा, ‘‘लोकतांत्रिक चुनावों में चुने गये लोगों का यह अधिकार है कि वे बिना किसी डर के पद ग्रहण करें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह नागरिकों का भी अधिकार है कि उन निर्वाचित अधिकारियों द्वारा उनकी सेवा की जाए। भागीदारी लोकतंत्र में राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने का उचित तरीका है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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