LAC पर जारी गतिरोध के बीच सामने आया चीन का बयान, कहा- शांतिपूर्ण विकास का पथ चुनना चाहिए

Sun Weidong

भारत में नियुक्त चीनी राजदूत सुन वेदोंग ने कहा कि दोनों देशों को टकराव और संघर्ष के गलत रास्ते को चुनने के बजाय शांतिपूर्ण विकास का पथ चुनना चाहिए तथा उन्हें दीवार खड़ी करने के बजाय सेतु बनाने चाहिए।

लद्दाख। पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच तनातनी का माहौल है। इसी बीच चीन ने शांति पूर्ण रास्ता चुनने की दुहाई दी है। चीन-भारत संबंधों पर गुरुवार को 'ट्रैक 2 वार्ता' को भारत में नियुक्त चीनी राजदूत सुन वेदोंग ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह द्विपक्षीय संबंधों की पूरी कहानी नहीं है। 

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इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि संबंधों की मौजूदा स्थिति बिल्कुल ही किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों देशों को टकराव और संघर्ष के गलत रास्ते को चुनने के बजाय शांतिपूर्ण विकास का पथ चुनना चाहिए तथा उन्हें दीवार खड़ी करने के बजाय सेतु बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन-भारत संबंध एक बार फिर चौराहे पर है और एक सही विकल्प चुनने की जरूरत है।

लद्दाख सीमा गतिरोध का जिक्र किए बगैर चीनी राजदूत ने बताया कि पिछले साल से चीन-भारत संबंधों ने ऐसी मुश्किलें देखी हैं जो कई साल से नहीं देखी गई थी और यह (संबंध) एक निचले स्तर पर कायम है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत को विश्वास बढ़ाने की जरूरत है, गहन वार्ता करनी चाहिए और मतभेदों को उपयुक्त रूप से हल करना चाहिए तथा उन्हें विवाद नहीं बनने देना चाहिए।

गौरतलब है कि लद्दाख सीमा गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत-चीन के बीच सैन्य स्तर की 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। कुछ हिस्सों में पहले कि स्थिति बहाल करने पर भी आपसी सहमति बन गई लेकिन अभी भी कुछ हिस्सों को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। 

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गलवान घाटी में शहीद हुए थे 20 जवान

पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सेना के बीच में हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि इसमें चीन के सैनिक भी मारे गए थे। यही से विवाद गर्माया था और कई बार दोनों देशों की सेनाओं के बीच में झड़प की खबरें भी सामने आईं थीं। इसके बाद विवाद को समाप्त करने के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है। वहीं 31 जुलाई को हुई सैन्य स्तर की वार्ता में दोनों देश गोगरा से अपनी सेनाएं हटाने पर राजी हो गए थे।

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