श्रीलंका के तमिलों का संवैधानिक प्रस्तावों पर सहमत होना ऐतिहासिक
![Sri Lanka Tamils agreeing to Constitutional proposals historic Sri Lanka Tamils agreeing to Constitutional proposals historic](https://images.prabhasakshi.com/2017/10/_650x_2017103017133503.jpg)
तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के एक सांसद ने संसद में कहा कि संविधानसभा की अंतरिम रिपोर्ट में तमिल राजनीतिक प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावों का स्वीकार किया जाना श्रीलंका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण का द्योतक है।
कोलंबो। तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के एक सांसद ने संसद में कहा कि संविधानसभा की अंतरिम रिपोर्ट में तमिल राजनीतिक प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावों का स्वीकार किया जाना श्रीलंका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण का द्योतक है। संविधान सभा के रुप में हुई संसद की बैठक में वर्तमान 1978 के चार्टर के स्थान पर नया संविधान तैयार करने से जुड़ी सर्वदलीय समिति की अंतरिम रिपोर्ट पर जब चर्चा शुरू की तब तमिल नेशनल एलायंस के एम ए सुमंतिरण ने उसे संबोधित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक क्षण है जब तमिल पार्टी के प्रतिनिधि अंतरिम रिपोर्ट में किये गये प्रस्तावों पर राजी हो गये हैं। हम सभी हाथ मिलाएं और इसका समर्थन करें। ’’ इस तीन दिवसीय बहस का लक्ष्य अंतरिम रिपोर्ट पर चर्चा करना है। बहुसंख्य बौद्ध नेता इस रिपोर्ट पर पहले ही अपना विरोध जता चुके हैं। वरिष्ठ बौद्धभिक्षुओं ने दावा किया है कि नया संविधान देश के विभाजन का द्वार खोलेगा, तीन दशक चले गृह युद्ध में लिट्टे का यही लक्ष्य था।
सुमंतिरण ने कहा कि तमिल अंतिम समाधान संघीय हल चाहते हैं। श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी)के संस्थापक एस डब्ल्यू आर डी बंडारनायके ने 1926 में कहा था कि संघवाद सबसे अच्छा हल है। फिलहाल राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की अगुवाई वाली एसएलएफपी श्रीलंका के सत्तारूढ़ गंठबंधन का अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें समान समझिए, हम श्रीलंकाई हैं। तीखे अतीत को मिटाने के लिए देश में सभी के लिए मर्यादा एवं समानता हो।’’
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