वो जो कहते थे खुद को सुपर पॉवर कभी, सब हवा हो गया देखते-देखते, क्या से क्या हो गया...

Joe Biden
अभिनय आकाश । Aug 28 2021 8:39PM

वाशिंगटन में जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो बाइडेन से पूछा गया कि क्या मरने वालों में अमेरिकी कमांडो और उनके बच्चे भी हैं, तो कुछ देर के लिए वे खामोश हो गए। बाइडेन ने अपना सिर झुका लिया। उनकी ये तस्वीर वायरल है।

अफगानों के रहनुमा, लोकतंत्र के प्रहरी ‘आतंकवाद के दुश्मन’ जैसे तमगे ओढ़ने वाले पहली फ़ुर्सत में रुख़सत हो चुके हैं। काबुल एयरपोर्ट पर हमने आतंक का वो पुराना खौफ फिर से देखा। जब एक के बाद एक हुए धमाके और उसके पीछे 100 से ज्यादा लोगों की लाशें। मृतकों में 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे। अपने इतिहास के सबसे लंबे युद्ध से पीठ दिखाकर अमेरिका वापस लौट चुका है और अपने पीछे कई तस्वीरें भी छोड़ गया है। व्हाइट हाउस से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र को संबोधित किया। इस संबोधन के दौरान वो काफी नर्वस नजर आए। साथ ही उनकी बॉडी लैंग्वेज से पता चल रहा था कि वो अंदर से टूट गए हैं। शायद ये पहली दफा हुआ है, जब दुनिया के सबसे पावरफुल देश अमेरिका के राष्ट्रपति इतने कमजोर नजर आए। 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने झुकाया सिर

वाशिंगटन में जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो बाइडेन से पूछा गया कि क्या मरने वालों में अमेरिकी कमांडो और उनके बच्चे भी हैं, तो कुछ देर के लिए वे खामोश हो गए। बाइडेन ने अपना सिर झुका लिया। उनकी ये तस्वीर वायरल है। बाइडेन ने हमले में जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में कुछ पल का मौन रखने के लिए कहा और पूरे देश में अमेरिकी झंडे को आधा झुकाने का आदेश दिया।  

किसी भी लड़ाई में धारणा का अहम रोल है 

 किसी भी युद्ध में एक चीज सबसे महत्वपूर्ण है वो है धारणा। धारणा की जंग बहुत मायने रखती है कि आपके बारे में धारणा क्या है? अभी तक ये धारणा अमेरिका के बारे में ये था कि अगर इनसे किसी ने दुश्मनी मोल ली तो बहुत भारी पड़ेगी। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि ये धारणा में परिवर्तन हो गया है। अब लगने लगा है कि इनके पास क्षमता है पर इनके पास मनोबल नहीं है इच्छा शक्ति नहीं है। जिस दिन धारणा इस तरह की बन जाती है तो आपके विरोधियों को एक आत्मबल सौंप दिया। 

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20 साल पहले जिस मकसद से आए वो अब भी बना हुआ 

20 सालों तक अमेरिका ने अफगानिस्तान के अंदर अपनी सेना को बनाए रखा उसे लगा कि वो अफगानिस्तान को बदल देगा। लेकिन 20 दिन भी नहीं हुए हैं उनके जाने को और अभी वो पूरे तरह से गए भी नहीं हैं। अमेरिकी सेनाओं ने तालिबानियों को हराने के लिए करीब तीन लाख अफगानी फौज को ट्रेनिंग दिया। अमेरिका ने देश के सुरक्षा बलों के हथियारों, उपकरणों और ट्रेनिंग पर करीब 65 खरब रूपये खर्च कर दिए। अमेरिका ने अफगानी सैनिकों को अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस किया। अफगानी वायु सेना तक के रखरखाव का जिम्मा भी अमेरिकी सैनियों ने ही संभाला। इस पूरे अभियान में अमेरिका को अपने 2300 सैनिकों को भी गंवाना पड़ा। अफगानिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का गढ़ बनता हुआ दिखाई दे रहा है। जिसकी वजह से आज से 20 साल पहले अमेरिका ने अपनी सैन्य ताकत को अफगानिस्तान में दिखाया था। ये सिर्फ अमेरिका और अफगानिस्तान की बात नहीं है बल्कि इसका पूरे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पर गहरा असर पड़ता है।

चुन-चुन कर बदला लेगा अमेरिका 

अमेरिका कह तो रहा है कि जो सैनिक मारे गए हैं वो चुन-चुन कर बदला लेगा। आतंकवादियों को ढूंढकर निकाल कर मारेगा। लेकिन ये सब होगा कैसे? क्योंकि यहां से जाना भी अपने आप में एक बड़ा फैसला है। अमेरिका के जाने के साथ ही इस तरह की स्थिति बनती है तो उसके सामने विकल्प ही क्या रह जाता है।

गलत दुश्मन का पीछा कर रहा अमेरिका

20 साल में डेढ़ लाख लोग मर गए। बेहिसाब पैसा खर्च हुआ। इन सब से हुआ क्या जो काबुल में सीरियल ब्लास्ट हुआ वो आतंक का खौफ अब भी कायम है। दरअसल, अमेरिका आतंकवादियों के पीछे चलता रहा। लेकिन कहां से आतंकवाद आया। पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ था और ये पाकिस्तान से बात करते रहे। अमेरिका तालिबान को नहीं हरा सका क्योंकि वह गलत दुश्मन का पीछा कर रहा था। अमेरिका से बड़ी भूल यह हुई कि उसने तालिबान की जड़ पर प्रहार नहीं किया। उनके काबुल में काबिज हो जाने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कहा कि अब अफगानिस्तान गुलामी से मुक्त हो गया। अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान से भाग कर पाकिस्तान में ही छिपा था। अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान की असलियत को भांपते हुए भी आंखें बंद किए रहा। तालिबान की जड़ें पाकिस्तान में हैं। 

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