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Amazon के जंगल में लगी 6 साल की सबसे भयावह आग, हर जगह छाया अंधेरा
- निधि अविनाश
- अगस्त 23, 2019 15:52
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दुनिया के फेफड़े के नाम से प्रसिद्ध अमेजन के जंगल 2 हफ्ते से आग की लपटों में है। आग की चपेट में आया यह जंगल ब्राजील का सबसे बड़ा वर्षा वन है। इस जंगल में पहले भी आग लगने के कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन इस बार की लगी आग काफी भयावह है और करीब आधा जंगल इस आग से खाक हो चुका है। दुनिया को 20 प्रतिशत ऑक्सीजन इसी जंगल से मिलती है।
दिल्ली। दुनिया के फेफड़े के नाम से प्रसिद्ध अमेजन के जंगल 2 हफ्ते से आग की लपटों में है। आग की चपेट में आया यह जंगल ब्राजील का सबसे बड़ा वर्षा वन है। इस जंगल में पहले भी आग लगने के कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन इस बार की लगी आग काफी भयावह है और करीब आधा जंगल इस आग से खाक हो चुका है। दुनिया को 20 प्रतिशत ऑक्सीजन इसी जंगल से मिलती है। इस जंगल में लगी आग के अब तक 74 हजार से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इस भयावह आग से सब जगह अंधेरा छा गया है जिसकी वजह से लोगों को दोपहर के वक्त भी घरों में बल्ब जलाकर काम करना पड़ रहा है। पूरी दुनिया से लोग इस जंगल में लगी आग की तस्वीरें सोशल मिडिया पर शेयर कर रहे हैं। जंगल में लगी इस भयावह आग ने जानवरों की भी जिंदगी दांव पर लगा दी है। लोग इन जानवरों के लिए दुआ के साथ-साथ सरकार से इस जंगल में लगी आग पर काबू पाने की अपील भी कर रहे हैं।
I don’t know a lot about science, but I do know that allowing massive destruction of the #AmazonRainforest is terrible. Here are some ideas how to help. https://t.co/8DNE9Nu9F9
— Ellen DeGeneres (@TheEllenShow) August 22, 2019
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— Planetary Security🌍 (@Planetary_Sec) August 23, 2019
‘Scientists warn that losing another fifth of Brazil’s #Amazon will trigger the feedback loop known as dieback, in which the forest begins to dry out and burn in a cascading system collapse’.
➡️ https://t.co/NYb9wuRRkd#AmazonRainforest #AmazonFire #Amazonia #ForestFires pic.twitter.com/7foVQ8hSUo
मीडिया से नाराज ब्राजील के लोग
जंगल में इतनी भयावह आग लगी है पर मीडिया का इस पर कोई कवरेज नहीं जिससे ब्राजील के लोग काफी नाराज है। आपको बता दें कि इस जंगल में आग अगस्त के पहले हफ्ते में ही लग चुकी थी पर इंटरनेशनल मीडिया ने इस पर कोई कवरेज नहीं किया। जिस जंगल को फेफड़े के नाम से जाना जाता है आज उसी जंगल से प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दुनियाभर में लोग ट्विटर पर #PrayforAmazonas करके पोस्ट कर रहे हैं। इसके जरिए लोग ब्राजील की सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द जंगल के लिए कुछ करें। जब कोई सामने नहीं आया तो बारिश ने अमेजन के जंगल को बचाया। इस बारिश से ना सिर्फ जंगल को बल्कि जानवरों को भी राहत मिली है पर अभी भी हर जगह अंधेरा छाया हुआ है। इस भयावह जंगल ने कई जानवरों को मौत के घाट उतारा। तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे सारे जानवर आग की लपटों में आ चुके हैं। यह तस्वीरें सच में काफी रुला देने वाली हैं।
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इसलिए खास हैं अमेजन के जंगल
अमेजन का जंगल बहुत बड़ा है और यह 55 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसे दुनिया का फेफड़ा भी कहा जाता है। इस जगंल से दुनिया को 20% ऑक्सीजन मिलती है। जंगल में पेड़-पौधों की कई प्रजातियां है। कीड़ों से लेकर जानवरों की भी संख्या काफी अधिक है। आपको बता दें कि इस जंगल में स्वदेशी आदिवासी जाति भी रहती है। #prayforamazon
नस्लवाद को खत्म करेगा अमेरिका, बाइडेन ने नस्ली समानता से जुड़े आदेश पर किए हस्ताक्षर
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 27, 2021 16:52
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नस्ली समानता से जुड़े आदेश पर हस्ताक्षर किये।मंगलवार को राष्ट्रपति के चार कदमों की घोषणा करते हुए व्हाइट हाउस ने बताया कि बाइडन ने एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पिछले साल मई में मीनियापोलिस पुलिस के एक अधिकारी द्वारा हत्या का उल्लेख किया।
वाशिंगटन। अमेरिकी में “व्यवस्थित नस्लवाद” को खत्म करने के अपने मुख्य चुनावी वादे को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश भर में नस्ली समानता सुनिश्चित करने के लिये कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किये हैं। मंगलवार को राष्ट्रपति के चार कदमों की घोषणा करते हुए व्हाइट हाउस ने बताया कि बाइडन ने एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पिछले साल मई में मीनियापोलिस पुलिस के एक अधिकारी द्वारा हत्या का उल्लेख किया। श्वेत पुलिस अधिकारी ने फ्लॉएड की गर्दन को अपने घुटनों से दबाया था और उसके यह कहने के बावजूद दबाव कम नहीं किया था कि उसका दम घुट रहा है। इस घटना के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हुए थे।
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बाइडन ने इस हत्या को “न्याय की गर्दन पर घुटना (नी ऑन द नेक ऑफ जस्टिस)” करार दिया और कहा कि इसकी वजह से “जमीनी बदलाव आया। इसने मन और मनोदशा को बदला।” बाइडन ने कहा, “राष्ट्रपति पद के लिये अपने प्रचार अभियान के दौरान मैंने यह बात बिल्कुल स्पष्ट की थी कि एक राष्ट्र के तौर पर वह समय आ गया है जहां हम अमेरिका में गहरी नस्ली असमानताओं और व्यवस्थित नस्लवाद का सामना कर रहे हैं जिसने हमारे देश को काफी खोखला किया।” नस्ली समानता की दिशा में चार कार्यकारी कदमों और आवासन एवं आपराधिक न्याय से व्यवस्थित नस्लवाद को उखाड़ फेंकने के पहले प्रयास के तहत बाइडन ने फिर अपने प्रशासन की प्रतिबद्धताओं को दर्शाया है जिसके तहत देश भर के परिवारों के लिये ‘अमेरिकन ड्रीम’ को हकीकत में बदलने की कोशिश की गई। जिसके तहत अश्वेत और अन्य अमेरिकियों के लिये अर्थव्यवस्था व अन्य क्षेत्रों में समान अवसर उपलब्ध हों।
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कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर से जुड़े व्हाइट हाउस के समारोह में बाइडन ने कहा, “हमनें इस राष्ट्र के स्थापना से जुड़े सिद्धांतों का कभी पूरी तरह अनुपालन नहीं किया कि सभी लोग समान हैं और जीवन भर समानरूप से व्यवहार किये जाने का अधिकार रखते हैं। अब कदम उठाने का वक्त आ गया है, सिर्फ इसलिये ही नहीं कि ऐसा करना सही है बल्कि इसलिये भी कि अगर हम ऐसा करते हैं तो यह हम सभी के लिये बेहतर होगा।” उन्होंने कहा, “काफी लंबे समय तक हमनें एक संकीर्ण, तंग नजरिये को पनपने दिया।” एक कार्यकारी आदेश में बाइडन ने संघीय एजेंसियों को विदेशी लोगों से भय खासकर एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपीय देशों के लोगों के खिलाफ खौफ के फिर से पनपने के खिलाफ कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “यह अस्वीकार्य हैं और यह अमेरिका के मुताबिक नहीं है। मैंने न्याय विभाग से एशियाई अमेरिकियों और प्रशांत द्वीपीय समुदाय के लोगों के साथ अपनी साझेदारी बढ़ाने को कहा है जिससे इस तरह के घृणा अपराध रोके जा सके।
अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने अपनी पहली नौकरी का किया खुलासा, यहां करती थी काम
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 27, 2021 14:48
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अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि उनकी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाले कांच के पिपेट धोने की थी।अपनी मां की प्रयोगशाला में बिताए गए पलों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ वह ‘पीयर रिव्युवर’ थीं। मेरी मां के लिए उनके जीवन के दो लक्ष्य थे।
वाशिंगटन। अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि उनकी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाली कांच के पिपेट साफ करने की थी। उन्होंने यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच)के बेथसेडा स्थित मुख्यालय में कोविड-19 टीके की दूसरी खुराक लेने के मौके पर कही। हैरिस की मां श्यामला गोपालन हैरिस मूल रूप से चेन्नई की थीं और पेशे से स्तन कैंसर अनुसंधानकर्ता थीं जिनकी मौत वर्ष 2009 में कैंसर से हो गई। हैरिस के पिता जमैकाई मूल केहैं और पेशे से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘बचपन में हम हमेशा जानते थे कि मां इस स्थान पर जा रही हैं जिसे बेथेसडा कहते हैं। मां बेथसेडा जाती थी...और निश्चित रूप से वह यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान आती थी। वह जैवरसायन अंत:स्राविका विभाग में काम करती थी।’’ अपनी मां की प्रयोगशाला में बिताए गए पलों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ वह ‘पीयर रिव्युवर’ थीं। मेरी मां के लिए उनके जीवन के दो लक्ष्य थे। पहला दोनों बेटियों को पालना और दूसरा स्तन कैंसर खत्म करना। यह कम ही लोग जानते है कि मेरी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में कांच के पिपेट साफ करने की थी। वह हमें स्कूल खत्म होने के बाद और सप्ताहांत वहां लेकर जाती थीं।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोष में 1,50,000 अमेरिकी डॉलर देगा भारत
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 27, 2021 14:39
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोष में 1,50,000 अमेरिकी डॉलर अनुदान देने का वादा किया।संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा, “हम शांति स्थापना की प्रकिया में शामिल रहने के प्रति प्रतिबद्ध हैं और मैं आपको इसका आश्वासन देना चाहता हूं।
संयुक्त राष्ट्र।भारत ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र की ‘शांति स्थापना कोष’ (पीस बिल्डिंग फंड) की गतिविधियों में 1,50,000 डॉलर का अनुदान देने का वादा किया और कहा कि 2021 अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विशेषकर कोविड महामारी के परिप्रेक्ष्य में शांति स्थापना की प्रकिया पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा, “हम शांति स्थापना की प्रकिया में शामिल रहने के प्रति प्रतिबद्ध हैं और मैं आपको इसका आश्वासन देना चाहता हूं। हम शांति स्थापना कोष की गतिविधियों को समर्थन देते हैं और इसके लिए भारत त्र 1,50,000 अमेरिकी डॉलर देने का आज वादा करता है।”
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संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कोष के मंगलवार को डिजिटल माध्यम से आयोजित एक उच्च स्तरीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत को विश्वास है कि वर्ष 2021, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति स्थापना को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखने का अवसर लेकर आया है तथा हम इस पर विशेषकर कोविड महामारी के परिप्रेक्ष्य में और ध्यान दे सकते हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि हाल ही में संपन्न हुई संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना संरचना समीक्षा 2020 ऐसा ढांचा प्रदान करती है जिससे मिलकर शांति स्थापना को मजबूत किया जा सकता है।

