कहीं शहर बने समंदर का निवाला, कभी जंगलों की आग ने कहर बरपा डाला, 2021 से जुड़ी कुदरत के मार की 10 घटनाएं

 climate crisis
अभिनय आकाश । Dec 23 2021 2:15PM

फरवरी का महीना वैलेंटाइन वीक 2021, शीतकालीन प्रकोप ने न केवल दक्षिणपूर्व टेक्सास में बर्फ़, ओले और बर्फ़ीली बारिश लायी, बल्कि कई दिनों तापमान को भी गिरा दिया।

दुनिया में कहीं जंगलों की आग कहर बरपा रही कहीं ग्लेशियर पिघल रहे। ये सामान्य घटनाएं नहीं। ये सारी घटनाएं अप्रत्याशित हैं। ऐसी आपदाओं का अनुमान किसी ने भी नहीं किया। साल की शुरुआत में ही स्पेन की राजधानी मेड्रिड में इस साल रिकॉर्ड बर्फबारी हुई। पारा लुढ़कर माइनस 25.4 डिग्री सेल्यिस तक पहुंच गया। मेड्रिड में पिछले 50 सालों के दौरान रिकॉर्ड बर्फबारी हुई है। फरवरी का महीना वैलेंटाइन वीक 2021, शीतकालीन प्रकोप ने न केवल दक्षिणपूर्व टेक्सास में बर्फ़, ओले और बर्फ़ीली बारिश लायी, बल्कि कई दिनों तापमान को भी गिरा दिया। 2021 में जलवायु संकट से उत्तपन्न 10 भीषण त्रासदियों की कहानी आपको बताते हैं। 

ग्रीनलैंड में रिकॉर्ड तोड़ बारिश

अगस्त के महीने में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के सबसे ऊंचे बिंदु पर पिछले हफ्ते बर्फ गिरने के बजाय बारिश हुई और ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है। ग्रीनलैंड में 15 अगस्त को बर्फ की चादर के 3,216 मीटर ऊंचे शिखर पर कई घंटों तक बारिश हुई, जहां तापमान लगभग नौ घंटे तक हिमांक बिंदु से ऊपर दर्ज किया गया था। नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के अनुसार, 1950 के बाद से बारिश की सबसे बड़ी मात्रा है। हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि आर्कटिक क्षेत्र में 2060 और 2070 के बीच कभी-कभी बर्फ की तुलना में अधिक बारिश का अनुभव होने की उम्मीद है, जो कि ग्रह के गर्म होने के रूप में इसके वर्षा पैटर्न में एक प्रमुख संक्रमण को चिह्नित करता है।

टेक्सास में बर्फीला तूफान 

फरवरी का महीना वैलेंटाइन वीक 2021, शीतकालीन प्रकोप ने न केवल दक्षिणपूर्व टेक्सास में बर्फ़, ओले और बर्फ़ीली बारिश लायी, बल्कि कई दिनों तापमान को भी गिरा दिया। भीषण बर्फबारी के कारण पूरे टेक्सास में लगभग 5 दिनों तक लोग बिना बिजली और पानी के घरों में कैद रहे थे। करीब 40 लाख लोगों के घर की बत्ती गुल हो गई। इस भीषण आपदा के कारण लगभग 60 लोगों की मौत हो गई थी। टेक्सास राज्य स्वास्थ्य सेवा विभाग ने बताया कि अत्यधिक सर्दी के मौसम में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। हालांकि, बज़फीड के एक स्वतंत्र विश्लेषण ने मौतों की संख्या 500 और 1,000 के बीच रखी।

तीन महाद्वीपों में घातक बाढ़ और सैंडस्टॉर्म 

जुलाई 2021 रिकॉर्ड बारिश के कारण यूरोप की कई नदियों के किनारे टूट गए और नदियों का पानी शहरों में तेजी से बढ़ने लगा। बाढ़ ने यूरोप के कई हिस्सों को जनमग्न कर दिया। इससे यूरोप को को करीब 70 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया। बाढ़ की चपेट में आकर 200 लोगों ने अपनी जान भी गंवा दी। वहीं चीन में जुलाई के महीने में सड़कें नदी गई, कारें नावों की तरह तैरने लगी। मेट्रो डूब गई। लोग पानी के बहाव में बहने लगे। कहीं सड़कों के गड्ढे इंसानों को ही निगलने लग गए। बाढ़ से चीन के हेनान प्रांत का हाल कितना खराब हो गया था कि चलते ट्रेन में बैठे लोगों की कमर तक पानी पहुंच गया। झेंगझू शहर में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही 1 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।

पेरिस समझौते में अमेरिका की वापसी

शपथ लेने के ठीक बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पेरिस समझौते के रूप में ज्ञात वैश्विक जलवायु समझौते में फिर से शामिल होने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पद पर रहते इससे किनारा कर लिया था। अप्रैल में बाइडेन ने समझौते में देश की नवीनीकृत सदस्यता पर अच्छा बनाने के लिए, 2030 तक अमेरिकी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करने का वादा किया। 

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यूएन रिपोर्ट: मानवता के लिये कोड रेड

हर छह से सात साल में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का अंतर सरकारी पैनल एक रिपोर्ट प्रकाशित करता है जो जलवायु अनुसंधान की स्थिति को सारांशित करता है। युक्त राष्ट्र (संरा) की तरफ से अगस्त के महीने में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी की जलवायु इतनी गर्म होती जा रही है कि एक दशक में तापमान संभवत: उस सीमा के पार पहुंच जाएगा जिसे दुनिया भर के नेता रोकने का आह्वान करते रहे हैं। संरा ने इसे “मानवता के लिये कोड रेड” करार दिया। अमेरिका के वायुमंडलीय अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय केंद्र की वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक और इस रिपोर्ट की सह-लेखक लिंडा मर्न्स ने कहा, “इस बात की गारंटी है कि चीजें और बिगड़ने जा रही हैं।

ग्लासगो शिखर सम्मेलन

दुनिया के तमाम देश ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट शिखर सम्मेलन में क्लाइमेट चेंज की चुनौती पर चर्चा के लिए जुटे जिसे COP26 नाम दिया गया। 31 अक्टूबर से शुरू हुआ सम्मेलन 12 नवंबर तक चला। ग्लोबल वार्मिंग को कैसे सीमित किया जाए, इस पर लगभग दो सप्ताह की बातचीत के बाद लगभग 200 देशों ने ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसमें जलवायु संकट को बनाए रखने में जीवाश्म ईंधन को जलाने की भूमिका की पहली स्वीकृति शामिल थी।  कार्बन व्यापार के लिए बाजार और गैर-बाजार दृष्टिकोण को लेकर पेरिस समझौते के अनुच्छेद छह पर लंबी बहस के बाद सहमति बनी।

इडा तूफान

अगस्त के अंत में अमेरिका में एक तूफान आया है, जिसने पूरी नदी के बहाव को उलटा कर दिया, घरों को नष्ट कर दिया, पेड़ों को उखाड़ दिया और मिसिसिपी और लुइसियाना के पहले से ही तूफान से तबाह राज्य में 1 मिलियन से अधिक लोगों के घरों की बिजली गुल हो गई। मौसम विज्ञानियों का कहना था कि इसके लगातार जमीन के ऊपर बने रहने से इतना ज्यादा नुकसान हुआ। अगर यह समुद्र के ऊपर होता तो शायद इतनी तबाही न आती। इस तूफान की वजह से नदी उलटी दिशा में बह रही थी। जो कि इससे पहले कभी नहीं हुआ था।

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बवंडर का प्रकोप

अमेरिका के केंटकी में 12 और 13 दिसंबर को आए एक भयानक बवंडर ने 100 से ज्यादा लोगों की सांसे छीन ली हैं। भयानक बवंडर ने सुपरपावर अमेरिका के कम से कम 5 राज्यों में भारी तबाही मचाई है और मरने वालों की तादाद बढ़ने की आशंका जताई गई। केंटकी सरकार के एंडी बेशियर ने कहा कि, उनके राज्य में 200 मील (320 किलोमीटर) से अधिक के लिए एक ट्विस्टर छूने पर 70 से ऊपर की मौत हो सकती है, लेकिन 10 या अधिक काउंटियों में मौतों की संख्या 100 से अधिक हो सकती है।

उत्तर-पश्चिम प्रशांत में हीट वेव

त्तर-पश्चिम प्रशांत देशों खासकर अमेरिका व कनाडा में बुरा हाल है। अमेरिका के सिएटल व पोर्टलैंड में पारा 46 डिग्री के पार पहुंच गया। इन इलाकों में अब तक सैकड़ों लोगों की ग्रीष्म लहर के कारण मौत हो चुकी गई। ओरेगॉन में ही 79 मौतें हुई और सिएटल व पोर्टलैंड में पारा 115 फेरनहीट तक पहुंच गया। कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में कम से कम 486 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

सूखा, जंगल की आग और पानी की कमी

तीव्र आपदाओं के बीच, पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका एक ऐतिहासिक, बहु-वर्षीय सूखे की चपेट में रहा है, जो वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जलवायु संकट न केवल मौसम बल्कि जल आपूर्ति, खाद्य उत्पादन और बिजली उत्पादन को प्रभावित कर रहा है। अमेरिका का कैलिफोर्निया स्टेट को लगातार दूसरे बरस अपने इतिहास की सबसे खतरनाक व्हाइट फायर यानी जंगली आग का सामना करना पड़ा।

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