अमेरिका ने रूस के दो प्रमुख ऑयल कंपनियों पर लगाए कड़े प्रतिबंध, ट्रंप का दावा भारत रूस से तेल खरीदना कम करेगा

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार रूस पर सीधे तेल प्रतिबंध लगाते हुए रोसनेफ्ट और लुकऑयल को निशाना बनाया है, जिसका लक्ष्य यूक्रेन युद्ध की फंडिंग को बाधित करना है। यह कदम रूस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाएगा, जबकि भारत पर रूसी तेल आयात में कटौती करने का दबाव लगातार बना हुआ है और ट्रंप-पुतिन बैठक की संभावना अभी अनिश्चित है।
अमेरिका ने रूस के खिलाफ एक बार फिर कड़ा रुख दिखाते हुए बुधवार देर रात दो प्रमुख रूसी ऑयल कंपनियों पर नए प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। यह कदम यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस की कथित ‘गंभीर प्रतिबद्धता की कमी’ को देखते हुए उठाया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार रूस पर सीधे तेल प्रतिबंध लगाए हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर अमेरिकी खजाना विभाग का बयान साझा करते हुए लिखा कि मॉस्को को तुरंत युद्धविराम पर सहमत होना चाहिए। बता दें कि कुछ ही घंटे पहले यूरोपीय संघ ने भी रूस पर 19वां प्रतिबंध पैकेज लागू किया था, जिसमें पहली बार रूसी नैचुरल गैस के आयात पर रोक लगाई गई है।
अमेरिकी प्रतिबंध जिन दो कंपनियों पर लगे हैं, वे रूस की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनियों में शामिल Rosneft और Lukoil हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के अनुसार, पुतिन सरकार इस युद्ध को तेल निर्यात से मिले मुनाफे के आधार पर चला रही है, इसलिए यह प्रतिबंध युद्ध मशीनरी की फंडिंग रोकने का प्रयास है। यदि ज़रूरत पड़ी तो और भी कदम उठाए जाएंगे।
गौरतलब है कि ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि भारत रूस से ‘बहुत सीमित मात्रा में’ ही तेल खरीदेगा। दीवाली के अवसर पर व्हाइट हाउस में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा था कि भारत इस युद्ध को जल्द समाप्त होते देखना चाहता है और वह रूस से तेल आयात में कटौती कर चुका है। हालांकि भारत सरकार ने ऐसी किसी बातचीत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
मौजूद जानकारी के अनुसार यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारत फिलहाल 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है, जिसका आधा भाग रूस से तेल खरीदने की वजह से दंडात्मक शुल्क के रूप में लगाया गया है।
इधर, ट्रंप और पुतिन की संभावित बैठक पर भी संशय बना हुआ है। हाल ही में कहा गया था कि दोनों नेता बुडापेस्ट में अगले दो हफ्तों में मुलाकात कर सकते हैं, लेकिन व्हाइट हाउस ने साफ कर दिया है कि निकट भविष्य में ऐसी कोई आधिकारिक योजना नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हालांकि संकेत दिए हैं कि संवाद की संभावना अभी पूरी तरह बंद नहीं हुई है और बातचीत का दरवाजा खुला हुआ है।
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