Prabhasakshi Exclusive: US-NATO यूक्रेन को बड़े से बड़ा हथियार दिये जा रहे हैं और Russia उन्हें लगातार मार गिरा रहा है

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (R) ने कहा कि युद्ध में खुलकर अमेरिकी और नाटो हथियारों का उपयोग होना ही था क्योंकि यूक्रेनी सैनिकों को इन्हीं हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है लेकिन जिस तरह रूस ने पहले अमेरिका की पैट्रियट मिसाइल को मार गिराया।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (R) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब खुलकर अमेरिकी हथियारों का उपयोग रूस के खिलाफ होने लगा है। आखिर किस दिशा में जा रहा है यह युद्ध? हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति की जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री से भी मुलाकात हुई। भारत कह चुका है कि यह युद्ध का समय नहीं है। क्या आपको लगता है कि इस युद्ध का विराम करवाने में भारत कोई भूमिका निभा सकता है?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि युद्ध में खुलकर अमेरिकी और नाटो हथियारों का उपयोग होना ही था क्योंकि यूक्रेनी सैनिकों को इन्हीं हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है लेकिन जिस तरह रूस ने पहले अमेरिका की पैट्रियट मिसाइल को मार गिराया और उसके बाद कई और हथियारों को मार गिराया उससे रूसी ताकत में इजाफा हुआ है। अमेरिका को डर है कि उसने यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का फैसला तो कर लिया है लेकिन कहीं रूस ने उसे भी मार गिराया और रिवर्स इंजीनियरिंग कर ली तो अमेरिका का दुनिया भर में प्रचलित एक बड़ा हथियार अपनी साख खो देगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (R) ने कहा कि जहां तक इस युद्ध के भविष्य की बात है तो यूक्रेन और रूस दोनों ही लंबे समय तक लड़ने के लिए तैयार हैं और पिछले एक साल में दुनिया भी जिस तरह इस युद्ध की आदी हो चुकी है उससे बाकी देशों को भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। जी7 समूह की बैठकों के दौरान भी किसी ने युद्ध खत्म करने या करवाने की बात नहीं की बल्कि यूक्रेन को अपना समर्थन बढ़ाने की घोषणा की है। जी7 नेताओं ने यूक्रेन पर छह पृष्ठों के एक बयान में सख्त लहजे में कहा, ‘‘यूक्रेन के लिए हमारा समर्थन कम नहीं होगा। हम यूक्रेन के खिलाफ रूस के अवैध, अनुचित और अकारण युद्ध के विरोध में एक साथ खड़े होने का संकल्प लेते हैं। रूस ने इस युद्ध की शुरुआत की थी और वह इस युद्ध को समाप्त भी कर सकता है।’’ 

उन्होंने कहा कि हालांकि यूक्रेन पर रूस द्वारा 15 महीने पहले हमला शुरू किये जाने के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ आमने-सामने की वार्ता की और उनसे कहा कि संकट का समाधान तलाशने के लिए भारत हर संभव प्रयास करेगा। देखा जाये तो रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ था। मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ-साथ जेलेंस्की से फोन पर कई बार बात की है। इस दौरान उन्होंने कहा है कि संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। हालांकि भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले की अब तक निंदा नहीं की है और नयी दिल्ली यह कहता रहा है कि संकट का समाधान कूटनीति और बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए।

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