Nova Kakhovka Dam collapse: 82 साल पहले स्टालिन ने दिया था बांध को उड़ाने का आदेश, गई थीं 1 लाख जानें, क्या है यूक्रेन के सबसे बड़ा बांध की कहानी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस हमले से तिलमिलाकर रह गए थे। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस हमले के आठ महीने बाद पुतिन ने इसका बदला ले लिया है।
रूस के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक क्रीमिया से जोड़ने वाले पुल पर पिछले साल 8 अक्टूबर को धमाका हुआ और ब्रिज का एक हिस्सा पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस हमले से तिलमिलाकर रह गए थे। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस हमले के आठ महीने बाद पुतिन ने इसका बदला ले लिया है। रूस से जंग के बीच यूक्रेन के रूसी कब्जे वाले इलाके नोवा काखोव्का का बांध टूट गया। यह यूक्रेन का सबसे बड़ा बांध है, जो दक्षिणी प्रांत खेरसॉन में है। इसके टूटने से गंभीर बाढ़ की आपात स्थिति पैदा हो गई। दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल में तनाव बढ़ रहा है। यूक्रेन रूस पर जानबूझकर युद्ध अपराध करने का आरोप लगा रहा है। जिनेवा कन्वेंशन युद्ध में बांधों को लक्षित करने पर प्रतिबंध लगाता है। बांध के ढहने के बाद बाढ़ से रूसी और यूक्रेनी-नियंत्रित क्षेत्रों में निप्रो नदी के साथ लगभग 42,000 लोगों को खतरा है। बांध से लगभग 60 किमी नीचे की ओर स्थित खेरसॉन शहर में जल स्तर 3.5 मीटर बढ़ गया।
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बाढ़ ने क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों को भी प्रभावित किया है। चिड़ियाघर के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर कहा कि कज़कोवा डिब्रोवा चिड़ियाघर, जो रूस के कब्जे वाली नदी के तट पर है, में सभी 300 जानवर मारे गए थे। आसपास की 24 बस्तियां भी डूब गई हैं। खेरसॉन के यूक्रेनी कब्जे वाले इलाके में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। बड़ी संख्या में इमारतें टूटी हैं। वहां से 17 हजार लोगों को हटाया गया है। करीब 40 हजार लोगों पर डूब का खतरा मंडरा रहा है। इनमें 25 हजार लोग रूसी कब्जे वाले इलाके में हैं।रूस-नियंत्रित क्रीमिया को पानी उपलब्ध कराने के लिए भी बांध गंभीर रूप से महत्वपूर्ण था। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ ने कहा कि पहले से ही संघर्ष (रूस-यूक्रेन युद्ध) से पीड़ित लोगों के लिए जीवन असहनीय रूप से कठिन हो जाएगा।
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कहां और क्यों अहम है ये बांध और अब क्या होगा खतरा
यूक्रेन के दक्षिणी प्रांत खेरसॉन में रूसी कब्जे वाले नोवा काखोव्का में यह बांध नाइपर नदी पर बना है, 30 मीटर ऊंचा, 3.2 किमी लंबा है। बांध और पावर स्टेशन तबाह होने से बिजली संकट गहरा सकता है। इस बांध का पानी भरने से दक्षिणी हिस्से में रूस के मुकाबले यूक्रेन की लड़ाकू क्षमता कमजोर पड़ेगी। इसी बांध से यूक्रेन स्थित यूरोप के सबसे बड़े एटमी प्लांट जापोरिज्जिया में पानी पहुंचता है, कूलिंग वॉटर की कमी से यह बंद हो सकता है।
सेकंड वर्ल्ड वॉर में भी उड़ा था यह बांध
नीपर नदी पर बने इस पावर प्लांट की ऊंचाई 98 फीट है औऱ 3.2 मीटर लंबाई है। इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट के निर्माण कार्य की शुरुआत सोवियत रूस के तानाशाह जोसेफ स्टालिन ने की थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्टालिन के आदेश पर सोवियत संघ की सेना ने इस बांध को उड़ाया था। तब 1 लाख लोग मारे गए थे। नाजी सेना के मार्च को रोकने के लिए इसकी कुर्बानी दी गई थी।
ईयू और नाटो ने बताया रूस का वार क्राइम
यूरोपियन काउंसिल के प्रेजिडेंट चार्ल्स माइकल ने बांध को नुकसान पहुंचाने के लिए रूस पर उंगली उठाई और कहा कि आम जिंदगी से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर को तबाह करना 'वॉर क्राइम' के बराबर है। अमेरिकी अगुआई वाले सैनिक संगठन नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने कहा कि यह घटना यूक्रेन में रूसी निर्दयता का प्रतीक है। यूरोपीय संघ ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि यह यूक्रेन में रूसी बर्बरता का नया उदाहरण है।
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