ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस की पीठ पर घोंपा छुरा ? क्या है इसके पीछे का असल गणित

submarine

ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पनडुब्बी करार किया है। बाइडेन ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ एक नए अमेरिकी सुरक्षा गठबंधन का ऐलान किया था। जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी बेड़े का निर्माण किया जाना है।

कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका के साथ परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों में निवेश करने का फैसला किया है। इसी के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ अपने करार को रद्द कर दिया। जिसके बाद फ्रांस ने गहरी नाराजगी जताई है। फ्रांस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने उनकी पीठ में छुरा घोंपने जैसा काम किया है।  

इसे भी पढ़ें: चीन की महत्वकांक्षा ही बनी उसकी गले की फांस, दोस्त पाकिस्तान से बोल पड़ा ड्रैगन, सब बर्बाद कर दिया 

अब अमेरिका बनाएगा पनडुब्बी

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पनडुब्बी करार किया है। बाइडेन ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ एक नए अमेरिकी सुरक्षा गठबंधन का ऐलान किया था। जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी बेड़े का निर्माण किया जाना है।

अमेरिका के साथ करार होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ करार को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि वह फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पारंपरिक पनडुब्बियों में से 12 का निर्माण करने के लिए अपने करार को समाप्त करती है। साल 2016 में फ्रांस के साथ करार होने के बाद से ऑस्ट्रेलिया ने परियोजना पर 2.4 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च कर चुका है।

ऑस्ट्रेलिया ने विश्वासघात किया

फ्रांस ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने उनकी पीठ में छुरा घोंपने जैसा काम किया है। उन पर हमने विश्वास किया था लेकिन उन्होंने हमारे साथ विश्वासघात किया। इसी के साथ ही फ्रांस ने अमेरिका पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो बाइडेन पूर्ववर्ती ट्रंप सरकार की तरह ही हमारे रक्षा सौदों को खराब करने का काम कर रहे हैं। 

इसे भी पढ़ें: अमेरिका और UK के इस फैसले से दुनिया में एक बार फिर कोल्ड वॉर की होगी शुरुआत? ड्रैगन के सरकारी मीडिया ने किसे बताया US का 'कुत्ता' 

इसी बीच चीन की दादागिरी को रोकने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके के बीच में त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी का ऐलान हुआ है। जिसे AUKUS के नाम से जाना जाएगा। इस गठबंधन के बाद ही ऑस्ट्रेलिया ने करार तोड़ा है। वहीं, चीन धरती के साथ-साथ समुद्र में भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें कर रहा है। ऐसे में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके के बीच हुआ गठबंधन चीन पर अंकुश लगाने का काम करेगा। पहले ही क्वाड देश चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिशों में जुटे हुए हैं और ऐसे में एक और नए गठबंधन से क्वाड देशों की हिम्मत भी बढ़ेगी।

आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के पास परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी होने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन हो पाएगा। माना जा रहा है कि क्वाड और ऑकस समानांतर ट्रैक पर आगे बढ़ेंगे। जिससे भविष्य में इनके एक होने की संभावना है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़