पहले ही युद्ध से परेशान चल रही दुनिया की टेंशन क्यों बढ़ा रहे हैं किम जोंग उन ?

kim jong un

विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रहा है और ठप पड़ी परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के बीच अमेरिका पर रियायतें देने के लिए इसके जरिये दबाव डालना चाहता है।

दुनिया अभी रूस और यूक्रेन के बीच महीने भर से छिड़े युद्ध को लेकर परेशान है। सब ओर से शांति की अपीलें की जा रही हैं लेकिन इस विश्व में कुछ लोग ऐसे हैं जो अशांति फैलाने में विश्वास रखते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन जो जब तब दुनिया की टेंशन बढ़ाते हुए सबका अटेंशन अपनी ओर खींचते रहते हैं। अब अपने वादे से मुकरते हुए उन्होंने सबसे बड़ी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किए जाने की पुष्टि की है। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ ‘‘लंबे समय से जारी टकराव’’ के मद्देनजर तैयारी करते हुए उत्तर कोरिया अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहा है। अगर वाकई ऐसा है तो यह अमेरिका के लिए गंभीर चिंता की बात है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रहा है और ठप पड़ी परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के बीच अमेरिका पर रियायतें देने के लिए इसके जरिये दबाव डालना चाहता है। 

इसे भी पढ़ें: दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यूं सुक-योल और उनकी प्रस्तावित नीतियां, ट्रंप से क्यों की जाती है तुलना?

मिसाइल की ताकत

जहां तक इस मिसाइल की बात है तो आपको बता दें कि उत्तर कोरिया की आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि ह्वासोंग-17 (आईसीबीएम) 6,248 किलोमीटर (3,880 मील) की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंची और उत्तर कोरिया तथा जापान के बीच समुद्र में गिरने से पहले उसने 67 मिनट में 1,090 किलोमीटर (680 मील) का सफर तय किया। उत्तर कोरियाई एजेंसी ने दावा किया कि परीक्षण ने वांछित तकनीकी उद्देश्यों को पूरा किया और यह साबित करता है कि आईसीबीएम प्रणाली को युद्ध की स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह तो हुई उत्तर कोरियाई एजेंसी की बात। शायद आप उसकी बातों पर विश्वास नहीं करें लेकिन हम आपको बता दें कि दक्षिण कोरियाई और जापानी सेनाओं ने भी उत्तर कोरिया के प्रक्षेपण के बारे में ऐसे ही विवरण दिये थे। दक्षिण कोरिया तथा जापान ने कहा था कि 2017 के बाद से अपने पहले लंबी दूरी के परीक्षण में उत्तर कोरिया ने राजधानी प्योंगयांग के पास एक हवाई अड्डे से एक आईसीबीएम का प्रक्षेपण किया है। 

किम के इरादे इस बार खतरनाक हैं

इस परीक्षण के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि मिसाइल 15,000 किलोमीटर (9,320 मील) तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है, अगर उसे एक टन से कम वजन वाले ‘वारहेड’ (आयुध) के साथ सामान्य प्रक्षेप-पथ पर दागा जाए। हम आपको बता दें कि उत्तर कोरियाई एजेंसी ने मिसाइल के प्रक्षेपण की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। तस्वीरों में देश के नेता किम जोंग-उन मुस्कराते हुए ताली बजाते नजर आ रहे हैं। एजेंसी ने किम के हवाले से कहा कि उनका नया हथियार उत्तर कोरिया की परमाणु ताकतों के बारे में दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देगा। उत्तर कोरियाई एजेंसी ने कहा कि किम ने अपनी सेना को एक अभूतपूर्व एवं तमाम तकनीक से लैस सेना बनाने का संकल्प किया है जो किसी भी सैन्य खतरे तथा धमकी से न डरे और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के साथ लंबे समय से चले आ रहे टकराव का सामना करने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर ले।

दक्षिण कोरिया का पलटवार

दूसरी ओर, दक्षिण कोरियाई सेना ने जल, थल और हवा से अपनी मिसाइल का परीक्षण कर उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण का जवाब दिया है। दक्षिण कोरिया ने यह भी कहा है कि उसकी उत्तर कोरियाई मिसाइल परीक्षण केन्द्र और इसके कमान एवं सुविधा केन्द्र पर सटीक निशाना साधने की पूरी तैयारी है। अंतर-कोरियाई मामलों पर गौर करने वाले, दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय ने आईसीबीएम परीक्षणों पर अपने खुद के निलंबन को तोड़ने के लिए उत्तर कोरिया की आलोचना की। मंत्रालय के प्रवक्ता चा देओक-चियोल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''उत्तर कोरिया की मंशा चाहे जो भी हो, उत्तर कोरिया को तत्काल यह कार्रवाई रोकनी चाहिए, जो कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव उत्पन्न करती है और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति को अस्थिर करती है।'' चियोल ने कहा कि उत्तर कोरिया को बातचीत की राह पर लौटना चाहिए।

अमेरिका, जापान चिंतित

उधर, अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन ने दक्षिण कोरिया तथा जापान के अपने समकक्षों को फोन किया और उनसे उत्तर कोरियाई मिसाइल गतिविधियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई पर चर्चा की तथा रक्षा सहयोग को मजबूत करने का संकल्प किया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि अमेरिका ने उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम के लिए संवेदनशील सामग्री मुहैया कराने के लिए रूस और उत्तर कोरिया में पांच इकाइयों तथा लोगों के खिलाफ नए प्रतिबंध भी लगाए हैं। इस बीच, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने कहा कि उन्होंने दक्षिण कोरियाई समकक्ष चुंग यूई-योंग से फोन पर बात की और दोनों नेता, उत्तर कोरियाई खतरे के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने तथा उत्तर कोरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्रवाई की मांग करने पर सहमत हुए।

इसे भी पढ़ें: किम जोंग के इशारे पर उत्तर कोरिया ने किया सबसे बड़ी मिसाइल का टेस्ट, अमेरिका की बढ़ी चिंता

उत्तर कोरिया की हिमाकत बढ़ती जा रही है

हम आपको बता दें कि यह इस साल उत्तर कोरिया का 12वां प्रक्षेपण था। इसके अलावा पिछले रविवार को उत्तर कोरिया ने समुद्र में संदिग्ध गोले भी दागे थे। उत्तर कोरिया, 2017 में तीन आईसीबीएम परीक्षणों के साथ अमेरिका की सरजमीं तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी मिसाइल ह्वासोंग-17 विकसित करने का मकसद, उत्तर कोरिया द्वारा मिसाइल रक्षा प्रणालियों को और आगे बढ़ाने के लिए उसे कई हथियारों से लैस करना भी हो सकता है। ह्वासोंग-17 मिसाइल के बारे में सबसे पहले अक्टूबर 2020 में दुनिया को पता चला था।

वादे से पलट गये किम जोंग उन

हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि साल 2018 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बातचीत के बाद लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण पर रोक लगा दी थी। लेकिन साल 2020 में किम जोंग पलट गए। उन्होंने कहा- हम इस समझौते से बंधे हुए नहीं हैं और अब एक बार फिर परीक्षण करके अमेरिका को बता दिया कि उसकी मिसाइल दुनिया के सबसे ताकतवर देश तक भी पहुँच सकती है। वैसे संयुक्त राष्ट्र ने भी उत्तर कोरिया पर बैलिस्टिक और परमाणु हथियारों के परीक्षण पर रोक लगा रखी है, लेकिन किम के शासन में उत्तर कोरिया लगातार इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करते आया है। देखना होगा कि क्या संयुक्त राष्ट्र उत्तर कोरिया पर कोई कार्रवाई कर पाता है? क्योंकि प्रस्ताव तो उसने अब तक रूस के खिलाफ भी कई पारित कर दिये हैं लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले अब तक बंद नहीं हुए हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़