‘Wind energy वास्तव में कुछ और नहीं, बल्कि एक प्रकार की सौर ऊर्जा है’

हवा क्यों बहती है, इसका संक्षिप्त उत्तर यह है कि सूर्य ग्रह के कुछ हिस्सों को अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक गर्म करता है और इस असमान ताप से हवा गतिशील होती है। अर्थात पवन ऊर्जा वास्तव में एक प्रकार की सौर ऊर्जा है। सभी हवाएं एक ही तरह से उत्पन्न होती हैं पृथ्वी पर पवन प्रणालियां वैश्विक स्तर की अन्य हवाओं से भिन्न होती हैं, लेकिन वे सभी अंततः सूर्य द्वारा पृथ्वी को असमान रूप से गर्म करने पर निर्भर करती हैं। जब जमीन दिन के दौरान गर्म हो जाती है तो उसके ऊपर की हवा भी गर्म हो जाती है।
और परिणामस्वरूप यह एक बड़ी जगह लेने के लिए फैलती है। आदर्श गैस कानून के अनुसार, मात्रा तापमान के सीधे अनुपात में बढ़ती है। दूसरे शब्दों में, गर्म हवा कम घनी होती है। यदि ऐसा समस्त वायु के साथ हो, तो कोई वायु निर्मित नहीं होगी, पूरी हवा की परत थोड़ी मोटी होगी। हालांकि, यदि यह एक स्थान पर होता है, लेकिन इसके आसपास नहीं, तो गर्म हवा ऊपर उठेगी। यही वह सिद्धांत है, जिससे गर्म हवा का गुब्बारा हवा में तैरता रहता है। ऊपर उठता गर्म हवा का गुब्बारा कोई हवा नहीं बनाता, क्योंकि यह बहुत छोटा होता है, लेकिन कल्पना करिये यदि पूरे शहर या बड़े क्षेत्र में पूरी हवा के साथ ऐसा ही हो तो।
जब इतनी बड़ी मात्रा में गर्म हवा सतह से ऊपर उठती है, तो जमीन के पास की अन्य हवा को उसकी जगह लेने के लिए स्थान परिवर्तन करना पड़ता है। इससे तटों के पास दिन के समय समुद्री हवाएं चलती हैं, जो काफी मजबूत हो सकती हैं। इसके तहत ऊपर उठने वाली गर्म महाद्वीपीय हवा की जगह लेने के लिए ठंडी समुद्री हवा बहती है। कई दिनों तक इसी तरह की प्रक्रिया जारी रहने से मानसून आता है, क्योंकि गर्मियों में गर्म करने की प्रक्रिया ज्यादा तीव्र होती है, जबकि सर्दियों में कम।
कुछ बहुत बड़ी पवन प्रणालियां हैं ग्रह पर सबसे बड़ी पवन प्रणालियों को वायुमंडल का सामान्य परिसंचरण कहा जाता है। इनमें पूर्वी हवाएं, मध्य-अक्षांश पछुआ हवाएं और ‘रोरिंग फोर्टीज़’ शामिल हैं। ये बड़ी पवन प्रणालियां इसलिए बनती हैं, क्योंकि ध्रुवों की तुलना में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में सूर्य की अधिक गर्मी प्राप्त होती है और (जाहिर है) बहुत गर्म हो जाते हैं। वह गर्म हवा स्वाभाविक रूप से ऊपर उठती है और ध्रुवों की ओर बहना चाहती है, जबकि ध्रुवीय हवा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की ओर आना चाहती है। बेशक, इसमें लंबा समय (कई दिन) लगता है। इस बीच पृथ्वी लगातार घूमती रहती है।
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