तालिबान के फरमान के खिलाफ महिलाओं ने शुरू किया नया अभियान, कहा- बुर्का नहीं है अफगान संस्कृति का हिस्सा

women in traditional wear
अंकित सिंह । Sep 13 2021 6:45PM

तालिबान सरकार के फरमान को अफगानिस्तान की महिलाएं किसी हाल में स्वीकार नहीं करना चाहतीं। यही कारण है कि इस तरह के फरमान के खिलाफ वह सड़कों पर उतर रही हैं।

अफगानिस्तान की सत्ता में जब से तालिबान का कबीजा हुआ है, हर दिन महिलाओं को लेकर कोई ना कोई फरमान जारी किया जाता है। जब महिलाओं के द्वारा इसको लेकर विरोध किया जाता है तो उन पर गोलियां तक चलवाई जा रही है। तालिबान की सत्ता वापसी के बाद पुरुष प्रधान सरकार को यह तय करते हुए देखा जा रहा है कि वहां की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से क्या पहनना चाहिए,  महिलाओं को कैसे रहना चाहिए और क्या करना चाहिए? इसके लिए अलग-अलग शर्तों का भी निर्धारण किया जा रहा है। तालिबान सरकार यह चाहती है कि अफगान की महिलाएं अब बुर्का पहन कर रहे।

तालिबान सरकार के फरमान को अफगानिस्तान की महिलाएं किसी हाल में स्वीकार नहीं करना चाहतीं। यही कारण है कि इस तरह के फरमान के खिलाफ वह सड़कों पर उतर रही हैं। भले ही तालिबानी सरकार द्वारा उन पर गोलियां क्यों न चलवाई जा रही हो, कोड़े क्यों ना बरसाए जा रहे हो। अफगानिस्तान की महिलाएं अपनी आजादी का अनोखे अंदाज में इजहार कर रही हैं। इसी कड़ी में डॉ बहार जलाली जो अफगानिस्तान में लिंग अध्ययन पर काम करती हैं उन्होंने वहां के पारंपरिक पोशाक पहनी और साहस पूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि यह अफगान की संस्कृति है। मैं एक पारंपरिक अफगान पोशाक पहनी हूं। आपको बता दें कि जो पोशाक डॉ बहार जलाली पहनी हुई हैं उसमें बुर्का कहीं नहीं है। डॉ बहार जलाली का यह ट्वीट वायरल हो गया। अफगानिस्तान की महिलाओं ने इसको लेकर आगे बढ़ना शुरू किया। डीडब्ल्यू न्यूज़ में अफगान सेवा के प्रमुख वस्लत हसरत-नाजिमी ने बहार जलाली के नारे को दोहराते हुए लिखा कि यह अफगानी संस्कृति है। इसके बाद कई और लोगों ने का समर्थन किया।

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