Rakshabandhan 2023 में किस समय बांधनी है भाई को राखी, Ayodhya के संत ने बताया सबसे उत्तम मुहूर्त

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रितिका कमठान । Aug 29 2023 4:59PM

आम जनता काफी परेशान है कि रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा। अगस्त की 30 या 31 तारीख को रक्षाबंधन मनाए जाने को लेकर मतभेद हो रहा है। कई लोग 30 अगस्त तो कई 31 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मना रहे है।

रक्षाबंधन हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व है जो देश भर के अधिकतर हिस्सों में मनाया जाता है। भाई बहन के रिश्ते को मजबूती देने वाला ये पर्व प्रेम का प्रतीक है। ये त्योहार मुख्य रूप से भाई बहन के रिश्तों का जश्न मनाता है। इस त्योहार को हर साल सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे आमतौर पर रक्षाबंधन नहीं बल्कि राखी कहा जाता है क्योंकि इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।

रक्षाबंधन के त्योहार पर शुभ मुहूर्त को लेकर कई लोगों को कंफ्यूजन है। हिंदू पंचांग के मुताबिक सावन की पूर्णिमा वैसे तो 30 अगस्त को पड़ रही है जो 31 अगस्त की सुबह समाप्त होगी। ऐसे में कई लोग ये जानने के इच्छुक हैं कि सावन में पूर्णिमा कब है और राखी किस शुभ मुहूर्त में बांधना भाई-बहन के रिश्ते के लिए अच्छा फल देगी।

अयोध्या के संत ने बताया शुभ मुहूर्त

इस बार की रक्षा बंधन पर शुभ मुहूर्त को लेकर अयोध्या के संत और श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी है। रक्षाबंधन 30 अगस्त की रात 08:04 बजे शुरू होगा और उसी तिथि को रात 11:36 बजे समाप्त होगा। रक्षाबंधन इसी समय में मनाना चाहिए ... दिन के समय कोई 'मुहूर्त' नहीं है। 

इस दिन मनेगा रक्षाबंधन

आम जनता काफी परेशान है कि रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा। अगस्त की 30 या 31 तारीख को रक्षाबंधन मनाए जाने को लेकर मतभेद हो रहा है। कई लोग 30 अगस्त तो कई 31 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मना रहे है। सावन की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त की सुबह 10.58 से शुरू होगी जो 31 अगस्त 7.05 बजे तक रहेगी। 30 अगस्त को 10:58 बजे से ही भद्रा काल लग जाएगा जो रात 9:02 तक रहेगा। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा काल में भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है। इस समय को बेहद अशुभ माना गया है। मगर इस वर्ष राखी बांदने का समय काफी कम ही है। ऐसे में 30 की रात को भद्रा समाप्त होने के बाद 31 अगस्त सुबह 7:05 मिनट तक बहनें भाई को राखी बांध सकती है।

भद्रा में इस कारण नहीं बांधते राखी

कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन शूर्पणखा ने अपने भाई को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी। भद्रा काल में राखी बांधने के कारण ही रावण का विनाश हुआ था। यही कारण है कि भद्राकाल में बहनें भाईयों को राखी नहीं बांधती है। इस समय में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है और उस पर समस्याएं आती है।

ये है पूजन विधि

भाई को बहन इस दिन तब तक व्रत रखना चाहिए जब तक बहन भाई को राखी नहीं बांध देती है। राखी बांधने के लिए थाली में कुमकुम, राखी, रोली, अक्षत, मिठाई, नारियल रखें। भाई के माथे पर तिलक लगाएं और उसकी आरती उतारें। भाई के दाहिने हाथ में राखी बांधें और फिर मुंह मीठा कराएं। राखी बांधते समय "येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि, रक्षे माचल माचल" मंत्र का जाप करें। इसके बाद भाई को बहन के पैर छूने चाहिए।

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