आश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोगों का स्वभाव एकदम रहस्यमयी होता है
ज्योतिष के अनुसार, आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर बुध का प्रभाव होता है। गौरतलब है कि बुध का प्रभाव के कारण वाणी मधुर होती है। इस कारण इनकी बातों से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस जन्म नक्षत्र में जन्में लोग काफी अहंकारी है।
जो राशियां आश्लेषा नक्षत्र से संबंधित होती है उनमें विष तत्व होने वजह से यह नक्षत्र अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए विष उत्पन्न करने वाला होता है। ज्योतिष के मुताबिक, इस नक्षत्र में स्थित सभी ग्रहों के कारक तत्वों में विष होता है। जैसे कि, चतुर्थ भाव के स्वामी के चतुर्थ भाव में होने पर मानसिक शांति समाप्त हो सकती है। इसका सीधा संबंध परिवर्तन से भी होता है। जैसे सांप अपनी त्वचा को छोड़ते समय अपनी आंखें बंद होने के कारण शीत निद्रा में जाता है। उसी प्रकार आश्लेषा नक्षत्र में दृष्टि दयनीय होती है। इस नक्षत्र में मंगल नीच होता है, जो अपनी नकारात्मक ऊर्जा से कार्य करते हैं और बिना चोट पहुंचाए भी नुकसान पहुंचा देता है।
आश्लेषा नक्षत्र में पैदा हुई लोगों का व्यक्तित्व
इस नक्षत्र में जन्में लोग चालबाजी करने वाले, अंडरवर्ल्ड और संदिग्ध लोगों जैसी सभी भूमिगत गतिविधियां इस नक्षत्र के अंतगर्त आती है। वहीं, इस नक्षत्र के देवता नाग है। आपको बता दें कि, आश्लेषा नक्षत्र में चार चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।
पहला चरण
पहले चरण में धनु नवांश आता है और बृहस्पति द्वारा शसित होता है। इसमें जन्म लेने वाले व्यक्ति देखभाल करने वाले और भावुक होते हैं। यह लोग अक्सर दूसरों को भलाई करने के लिए तत्पर रहते हैं।
Ashlesha Nakshatra
दूसरा चरण
यह चरण मकर नवांश में आता है और शनि के द्वारा शासित किया जाता है। वहीं, इसमें दूसरे चरण में जन्में लोग चतुर होते हैं। यह लोग अपने फायदे के लिए दूसरों का इस्तेमाल करते हैं।
तीसरा चरण
तृतीया चरण इसका तीसरा चरण कुंभ नवांश का होता है और यह भी शनि द्वारा शासित किया जाता है। यह लोग काफी रहस्यमयी होते हैं।
चौथा चरण
चतुर्थ चरण इस नक्षत्र का चौथा चरण मीन नवांश होता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है। इस चरण में पैदा हुआ लोग कभी गलतियां नहीं करते और गलत होने की जिम्मेदारी खुद ले लेते हैं।
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