कल है सर्वपितृ अमावस्या? इन चीजों का करें दान, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद

 Sarva Pitru Amavasya
ANI

कल यानी के 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन से श्राद्ध पक्ष की समाप्ति हो जाती है और अगले दिन नवरात्रि का पर्व शुरुआत हो जाती है। इस अमावस्या के दिन सभी पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। यह पितृपक्ष का अंतिम दिन इसलिए इस दौरान किन चीजों का दान करना चाहिए। आइए आपको बताते हैं।

सनातन धर्म में अमावस्या विशेष महत्व माना गया है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है। अभी पितृपक्ष के दिन चल रहे हैं। आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन पितृपक्ष के अंतिम दिन होता है। जिन लोगों के अपने मृतक पूर्वजों की तिथि का याद नहीं रहता है, उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या का दिन विशेष मौका का है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए जाने वाले दान और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान करना बहुत ही पुणयकारी माना जाता है। इस दिन आप सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक दान-पुण्य का कार्य कर सकते हैं। वैसे दिन के दूसरे हिस्से में भी दान किया जा सकता है, लेकिन सुबह का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। 

इन चीजों का करें दान

तिल का दान करें

सफेद या काले तिल का दान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। तिल का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 

खीर और मीठा प्रसाद

इस दिन आप खीर, हलवा या अन्य मीठा बनाकर पितरों के लिए दान करें।

अनाज और दालें

सर्वपितृ अमावस्या के दिन आप गेहूं, चावल, उड़द दाल, मूंग या मसूर दाल का दान कर सकते हैं। किसी जरुरतमंद और गरीबों को दान करने से विशेष पुण्य मिलता हैं।

सूखे मेवे और फल

आप इस दिन किसी गरीब या जरुरतमंद को बादाम, किशमिश, काजू जैसे सूखे मेवे और ताजे फलों का दान कर सकते हैं। इस दान को स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

कपड़े और पुराने वस्त्र

अगर आपके पास साफ-सुथरे कपड़े हैं तो किसी जरुरतमंदों को दान कर दें। कपड़ों का दान करना पितरों को प्रसन्न करना होता है।

पैसों का दान करना

आप चाहे तो किसी गरीबों, मंदिरों या जरुरतमंद के बच्चों को पैसे का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आर्थिक और मानसिक पुण्य दोनों प्रदान करता है।

पितरों को प्रसन्न करने का उपाय

सर्वपितृ अमावस्या के दिन आप अपना पूरा घर को स्वच्छ करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। सुबह स्नान करके दक्षिण की ओर मुख कर पितरों का स्मरण करें। अब आप तिल, जल, पुष्प और अक्षत से तर्पण करें। तर्पण करते समय अपने पितरों का नाम लेकर उनेक प्रति श्रद्धा जरुर व्यक्त करें।

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