Sawan Pradosh Vrat 2024: कल है सावन प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, इसका महत्व और पूजा-विधि

Sawan Pradosh Vrat 2024
Unsplash

सावन महीना आरंभ हो चुका है। भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय सावन का महीना है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। आइए जानें सावन माह का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा विधि, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सुख-समृद्धि और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत प्रत्येक चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन मनाया जाता है, जिससे हर महीने दो प्रदोष व्रत होते हैं। पहला कृष्ण पक्ष, चंद्रमा के अंधेरे चरण, के दौरान होता है, जबकि दूसरा शुक्ल पक्ष, उज्ज्वल चरण में होता है। प्राचीन धर्मग्रंथ प्रदोष व्रत को विजय और भय के उन्मूलन के प्रतीक के रूप में उजागर करते हैं, इसे दिव्य आशीर्वाद चाहने वाले भक्तों के लिए एक पवित्र और शुभ दिन के रूप में चिह्नित करते हैं। प्रदोष व्रत तारीख से लेकर महत्व तक, इस दिन के बारे में और अधिक जानने के लिए नीचे देंखे।

सावन प्रदोष व्रत 2024 तिथि और समय

सावन का पहला प्रोदोष व्रत जिसे गुरु कृष्ण प्रदोष व्रत भी कहा जाता है, गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। ड्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ समय इस प्रकार हैं-

-प्रदोष पूजा मुहूर्त- 18:43 से 21:01 तक

-अवधि - 02 घंटे 18 मिनट

-दिन प्रदोष काल - 18:43 से 21:01 तक

-त्रयोदशी तिथि आरंभ - 01 अगस्त 2024 को 15:28 बजे से

-त्रयोदशी तिथि समाप्त - 02 अगस्त 2024 को 15:26 बजे तक

सावन प्रदोष व्रत 2024 का महत्व

हर एक प्रदोष व्रत का अपना महत्व होता है और यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से सावन के महीने में दो प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा करने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से स्थायी सुख की प्राप्ति होती है। यह पवित्र व्रत आपको अपने आंतरिक स्व से जोड़ता है, खुशी और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। यह आत्मा को तृप्ति की भावना प्रदान करता है और इसे पिछली गलतियों के लिए क्षमा मांगने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। इसके अतिरिक्त, इस व्रत का पालन करने से आपको भविष्य की चुनौतियों का अधिक आसानी और लचीलेपन के साथ सामना करने में मदद मिलती है।

सावन प्रदोष व्रत 2024 पूजा-विधि

-भक्त अपने दिन की शुरुआत सुबह स्नान से करते हैं।

-इसके बाद भगवान शिव परिवार की एक प्रतिमा रखें और शुद्ध गाय के देसी घी का दीपक जलाएं ।

-फूल, माला, घर की बनी मिठाई और सूखे मेवे चढ़ाएं।

- प्रदोष पूजा गौधूलि काल के दौरान की जाती है।

- फिर आप प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करते हैं।

-भोग प्रसाद और सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है।

-आरती संपन्न होने के बाद भोग प्रसाद परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

- प्रदोष के दिन सात्विक भोजन करते।

-इस दिन प्याज, लहसुन, अंडे, मांस और शराब का सेवन सख्त वर्जित है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़