पुस्तक दिवस पर खुद से पूछें- क्यों दूर हो रहे हैं पुस्तकों से

गूगल के दौर में लगता है कि पुस्तकें अप्रासंगिक हो गई हैं परन्तु सत्य कुछ और है। पुस्तकें बातचीत एवं संवाद का माध्यम हैं। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं। किताबें संसार को बदलने का साधन रही हैं।

विश्व पुस्तक दिवस दुनिया भर में 23 अप्रैल रविवार को मनाया जायेगा। आज का युवा पुस्तक का मतलब पाठ्यपुस्तक ही समझता है। स्कूल और कॉलेज में पुस्तक लाइब्रेरी जरूर है मगर उसमें जाने का समय विद्यार्थी के पास नहीं है। कक्षा में विषयों के पीरियड अवश्य होते हैं खेलकूद का भी समय होता है मगर पुस्तक पढ़ने अथवा पुस्तकालय का कोई पीरियड नहीं होता। अध्यापक भी बच्चों को पुस्तक या सद साहित्य पढ़ने संबंधी कोई जानकारी नहीं देते। यही कारण है कि इन्टरनेट के इस युग में हम पुस्तक को भूल गए हैं। पढ़ने का मतलब इस संचार क्रांति में इन्टरनेट ही रह गया है। युवा चौबीसों घंटे हाथ में मोबाइल लिए इन्टरनेट पर चैट करते मिल गाएंगे। वे पुस्तक से परहेज करने लगे हैं मगर मोबाइल को रिचार्ज करना नहीं भूलते। उन्हें घर या बाहर यह बताने वाला कोई नहीं है कि पुस्तकों का भी अपना एक संसार है। वे प्रेमचंद की किसी पुस्तक के बारे में नहीं जानते। कॉमेडियन कपिल के शो के बारे में जरूर जानते हैं मगर शरत चंद्र या हरिशंकर परसाई की शख्सियत से वाकिफ नहीं हैं। उन्हें पुस्तक अथवा पुस्तक की महिमा से कोई लेना देना नहीं है। वे पुस्तक मेले में जाना नहीं चाहते। वे किसी अच्छे मॉल में जरूर जाना चाहते हैं जहाँ उन्हें अपनी मन पसंद खाने पीने और पहनने की वस्तु मिल जाये।

जमाना जिस तेजी से बदल रहा है उसे देखते हुए लगता है किताब अब गुजरे जमाने की चीज रह जाएगी। अब उन्हें कौन समझाएं कि उसके अभिभावक पुस्तक के ज्ञान को सहेज कर आगे बढ़े हैं। अब तो गली मोहल्ले में कोई वाचनालय या पुस्तकालय भी नहीं है जहाँ शांति से बैठकर पढ़ा जाये। यदि कहीं ऐसी जगह भूल से मिल भी जाये तो उनका मोबाइल उसे पढ़ने नहीं देगा। आखिर वह पुस्तक के बारे में कैसे जानें और ज्ञान प्राप्त करें।

पुस्तक या किताब लिखित या मुद्रित पेजों के संग्रह को कहते हैं। पुस्तकें ज्ञान का भण्डार हैं। पुस्तकें हमारी दुष्ट वृत्तियों से सुरक्षा करती हैं। इनमें लेखकों के जीवन भर के अनुभव भरे रहते हैं। यदि कोई परिश्रम करे और अनुभव प्राप्त करने के लिए जीवन लगा दे और फिर उस अनुभव को पुस्तक के थोड़े से पन्नों में दर्ज कर दे तो पाठकों के लिए इससे ज्यादा लाभ की बात क्या हो सकती है। अच्छी पुस्तकें पास होने पर उन्हें मित्रों की कमी नहीं खटकती है वरन वे जितना पुस्तकों का अध्ययन करते हैं पुस्तकें उन्हें उतनी ही उपयोगी मित्र के समान महसूस होती हैं। पुस्तकें एक तरह से जाग्रत देवता हैं उनका अध्ययन मनन और चिंतन कर उनसे तत्काल लाभ प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य को प्रतिदिन सदग्रंथों का अवलोकन करना चाहिए। अच्छी पुस्तकें हमारा सही मार्ग प्रशस्त करती हैं और उत्तम जीवन जीने का सन्देश हमें प्रदान करती हैं। एक तरह से पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र और हितैषी होती हैं। हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाने में पुस्तक का सबसे ज्यादा योगदान होता है। तकनीक ने भले ज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, पर पुस्तकें आज भी विचारों के आदान−प्रदान का सबसे सशक्त माध्यम हैं।

आम आदमी के विकास के लिए जरूरी शिक्षा और साक्षरता का एकमात्र साधन किताबें हैं। आज संचार क्रांति ने पुस्तकों से उसके पाठक छीन लिये हैं ऐसे में हमारे कंधों पर बड़ी चुनौती है। किताबें ज्ञान का अकूत भंडार ही नहीं हमारी सच्चे मित्र भी हैं। पुस्तक के बगैर ज्ञान की कल्पना नहीं की जा सकती है। उच्च स्तरीय ज्ञान अच्छे लेखक की पुस्तकों से ही प्राप्त होता है। पुस्तकें हमारी सबसे प्रिय मित्र होती हैं। ये हमें ज्ञान प्रदान करती हैं। आज महात्मा गांधी तथा महात्मा बुद्ध जैसे महान व्यक्तित्वों के सिद्धांतों को पुस्तकों के माध्यम से ही जाना जा रहा है। कहानियों के जरिये बच्चे बहुत सी नई चीजों को सीखते हैं। पुस्तकों का अध्ययन कम हो गया है। पुस्तकें ज्ञान की भूख को मिटाती हैं। पुस्तकों की गहराई में जाने पर आनन्द की प्राप्ति होती है। पुस्तकें ही जिन्दगी हैं और जिन्दगी ही पुस्तकें हैं। पुस्तके हमें सही मायने में जीना सिखाती हैं। अच्छी पुस्तकें श्रेष्ठ धरोहर हैं। आज पुस्तकों पर बड़ा संकट है। गूगल के दौर में लगता है कि पुस्तकें अप्रासंगिक हो गई हैं परन्तु सत्य कुछ और है। पुस्तकें बातचीत एवं संवाद का माध्यम हैं। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं। किताबें संसार को बदलने का साधन रही हैं। किताबें बहुत बड़ा सार हैं। पुस्तक हमारी सच्चे मित्र हैं। पुस्तकों का जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। जीवन में पुस्तकें हमारा सही मार्गदर्शन कराती हैं। ज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं− पुस्तकें। पुस्तकें एकान्त की सहचारी हैं। वे हमारी मित्र हैं जो बदले में हम से कुछ नहीं चाहतीं। वे साहस और धैर्य प्रदान करती हैं। अन्धकार में हमारा मार्ग दर्शन कराती हैं।

अच्छा साहित्य हमें अमृत की तरह प्राण शक्ति देता है। पुस्तकों के पढ़ने से जो आनन्द मिलता है वह ब्रह्मानन्द के ही समान होता है। वेद, शास्त्र, रामायण, भागवत, गीता आदि ग्रन्ध हमारे जीवन की अमूल्य निधि हैं। पुस्तकें हमारी ऐसी मित्र हैं जों हमें प्रत्येक स्थान और प्रत्येक काल में सहायक होती हैं। यही कारण है कि अनेक लोग भागवत, गीता, हनुमान चालीसा, गुरुवाणी सदैव अपने पास रखते हैं और समय मिलने पर उनका पाठ करते रहते हैं। पुस्तकें चरित्र निर्माण का सर्वोत्तम साधन हैं। उत्तम विचारों से युक्त पुस्तकों के प्रचार और प्रसार से राष्ट्र के युवा कर्णधारों को नई दिशा दी जा सकती है। देश की एकता और अखंडता का पाठ पढ़ाया जा सकता है और एक सबल राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। पुस्तकें प्रेरणा की भंडार होती हैं उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान कर्म करने की भावना जागती है। महात्मा गाँधी को महान बनाने में गीता, टालस्टाय और थोरो का भरपूर योगदान था। इंटरनेट और ई−पुस्तकों की व्यापक होती पहुंच के बावजूद छपी हुई किताबों का महत्व कम नहीं हुआ है और वह अब भी प्रासंगिक हैं।

- बाल मुकुन्द ओझा

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