आतंकियों की गुप्त बैठक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट (व्यंग्य)

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पीयूष पांडे । Sep 23 2019 4:19PM

सूत्र पत्रकार की वो अदृश्य पूँछ होती है, जिसे घुमाकर वो किसी भी मंत्री-संत्री-सेलेब्रिटी को जब चाहे नाराज कर सकता है, आतंकवादियों की तो हैसियत ही क्या। मैं आपको सीधे वो टेप सुनवा देता हूं, जिसे मेरे सूत्र ने आतंकवादियों की गुप्त बैठक से एक्सक्लूसिवली मुझे भेजा है।

नमस्कार। आप देख रहे हैं ढिंकचैक न्यूज, और मैं हूं डबरु कुमार। इस वक्त मैं अपनी जान की बाजी लगाकर खड़ा हूं उस ख़ौफ़नाक घाटी से 51 किलोमीटर दूर, जहां आतंकवादियों की गुप्त बैठक चल रही है। देश के तमाम आतंकवादी संगठनों के बॉस यहां पहुंचे हुए हैं। आप सोच रहे होंगे कि जिस बैठक की सरकार को ख़बर नहीं, उसकी ख़बर मुझे कैसे है? तो जनाब बात ऐसी है कि इस गोपनीय बैठक की पल पल की जानकारी मुझे मेरा एक सूत्र दे रहा है। ये तो आप जानते ही हैं कि सूत्र पत्रकार की वो अदृश्य पूँछ होती है, जिसे घुमाकर वो किसी भी मंत्री-संत्री-सेलेब्रिटी को जब चाहे नाराज कर सकता है, आतंकवादियों की तो हैसियत ही क्या। चूंकि, मामला विश्वास का है, इसलिए मैं आपको सीधे वो टेप सुनवा देता हूं, जिसे मेरे सूत्र ने आतंकवादियों की गुप्त बैठक से एक्सक्लूसिवली मुझे भेजा है। सुनिए-

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आतंकवादी-1 : इस बैठक का एजेंडा आपको मालूम ही है...धारा 370 खत्म होने के बाद बने नए हालात में हमारे लिए भुखमरी की स्थिति पैदा होती दिख रही है। हमें कुछ नया सोचना होगा...।

आतंकवादी-2 : अब सोचने को रह क्या गया है जनाब। पिछले तीन साल से आतंकियों का एंक्रीमेंट नहीं हुआ। सोचा था पड़ोसी मुल्क की नयी सरकार कुछ माल भेजेगी, लेकिन वो तो खुद कटोरा लेकर अमरीक्का के दरवाजे खड़ी है। 

आतंकवादी-3 : सही कह रहे हैं जनाब आप। हम युवा छोकरों को बहकाते हैं और फिर उन्हें कमांडर-फमांडर बनाकर प्रमोशन का झुनझुना थमाते रहते थे, लेकिन अब हाल यह है कि सारे कमांडर मारे गए हैं। नए लड़के इतने नालायक हैं कि ज्वाइनिंग से पहले ही अजीब अजीब शर्त रख रहे हैं।

आतंकवादी-1 : मसलन ?

आतंकवादी-3 : मसलन 72 हूरों का प्रोफाइल दिखाओ।

आतंकवादी-4 : अरे जनाब। ज्यादातर छोरे तो संगठन की पॉलिसी पूछ रहे हैं। पूछ रहे हैं कि टर्म इंश्योरेंस है या नहीं। एक्सीडेंट हुआ तो क्या मिलेगा। डेपुटेशन पर सीरिया वगैरह भेजा गया तो क्या कुछ खास फायदा मिलेगा? शादी की छुट्टियां कितनी मिलेंगी। हद है !

आतंकवादी-5 : हद ये नहीं है..हद ये है कि घाटी के लड़के तो घाटी में तैनात ही नहीं होना चाहते। कोई कह रहा है कि हमें स्विट्जरलैंड में पोस्टिंग दे दो, कोई कह रहा है कि मॉरिशस में ड्यूटी लगा दो। कश्मीर घाटी में टेंशन बहुत है।

आतंकवादी-1 : क्या फालतू बात है। मैं इतने साल कराची में पोस्टेड हूं। वहां भी टेंशन रहती है। कभी कभी वहां रहते हुए मुझे खुद समझ नहीं आता कि हम आतंकवादी हैं या आतंक से पीड़ित लोग। कभी भी कहीं भी बम फट जाता है। कराची में रहते हुए पान खाने अथवा दाढ़ी में मेहंदी लगाने जाने के लिए भी घर से निकलते हुए मन घबराता है। तरह तरह के बुरे विचार मन में आते हैं।

आतंकवादी-2 : देखिए, मसला ये भी है कि नए बच्चे टार्गेट देखकर ही घबरा जाते हैं। हमें अपने टार्गेट के बारे में फिर सोचना होगा। मार्केटिंग की भाषा में कहूं तो बच्चों से ‘टारगेट अचीव’ नहीं हो पा रहा है। मेरे संगठन ने ही फरवरी में 30 घुसपैठियों को इंडिया में घुसपैठ कराने का लक्ष्य दिया था। पांच महीने बाद भी पाँच का काम नहीं हुआ। उसमें भी दो को भारतीय जवानों ने टपका दिया। इस टेंशन की वजह से उनका ‘ब्लड प्रैशर’ बढ़ गया है।  

आतंकवादी-3 : देखिए, आतंकी संगठनों को अपनी रिक्र्यूटमेंट पॉलिसी बदलनी होगी। हमारे यहां प्रमोशन, इंक्रीमेंट को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है। और इंटरनेट और सोशल मीडिया के जमाने में युवा छोरे अपडेट बहुत हैं। कल एक लड़का आया तो बोला आपके यहां नया पे-कमीशन कब लागू होगा ? एक और आया तो बोला- टेरर कैंप में इनवर्टर तो लगाओ।

आतंकवादी-1 : आप सब समस्याएं बता रहे हैं। हल क्या है?

आतंकवादी-2 : देखिए, सीधा सीधा कोई सॉल्यूशन होता तो हम यहां क्यों आते। वैसे, एक आइडिया तो यह है कि आतंक-वातंक छोड़कर नेतागिरी की जाए। इमरान भाई से भी मुल्क संभल नहीं रहा। अगर हम सब आतंकी संगठन एक साथ आकर चुनाव लड़ें तो मामला बन सकता है।

आतंकवादी 3 : आइडिया बुरा नहीं है...क्योंकि 30 साल से हम सिर्फ घाटी में गोलियां चला रहे हैं लेकिन भुट्टा तक नहीं उखाड़ पाए हैं.... सच कहूं तो कभी कभी नेताओं को देखकर लगता है कि पहले मर्डर के बाद ही नेतागिरी की लाइन पकड़ ली होती तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते। वो गरीब को और गरीब बनाकर, भूखे के मुँह से निवाले छीनकर, बहू-बेटियों की इज्जत पर राजनीति करते हुए अपनी जेब भरकर आतंक ही तो फैलाते हैं। 

आतंकवादी 1- तो आप अब समाजवादी आतंकवादी हो रहे हैं ?

आतंकवादी 3- नहीं..नहीं..मुझे गलत मत समझिए। मुझे गरीबों, बेसहारा लोगों और मासूम लड़कियों से कोई हमदर्दी नहीं है। मैं सच्चा आतंकवादी हूं। सिर्फ यह सोच रहा हूं कि आतंक का रास्ता गलत चुन लिया। उस पर ट्रंप-मोदी इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ जंग की बात कह रहे हैं। नए लड़के अब और बिदकेंगे।

आतंकवादी-4 : तौबा तौबा..ये हो क्या रहा है। मुझे लगता है कि अभी हम सबको आराम की जरुरत है। फिलहाल अगली बैठक तक आतंकवादी वारदातें मुल्तवी रहेंगी। अल्लाह हाफिज।

- पीयूष पांडे

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