हिंदी हैं हम (कविता)

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कवि ने इस कविता के माध्यम भविष्य में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने ''हमेशा महकाते रखना इसकी सुगंध को'' के जरिए हिंदी को बढ़ावा देने की बात कही है।

कवि ने हिन्दी दिवस पर 'हिंदी हैं हम' नामक कविता में हिन्दी को आज के परिदृश्य में प्रस्तुत किया है। कवि ने साथ ही हिन्दी के विकास के संघर्ष पर भी प्रकाश डाला है। कवि ने इस कविता के माध्यम भविष्य में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने ''हमेशा महकाते रखना इसकी सुगंध को'' के जरिए हिंदी को बढ़ावा देने की बात कही है।

हिंदी हैं हम, हिन्दोस्तान हैं हम।

पहचान है हमारी हिंदी,

हिन्दोस्तान की है ये बिंदी।

घर-घर बहती है हिंदी की धारा,

विश्व गुरु बनेगा हिन्दोस्तान हमारा,

यही है हर हिन्दुस्तानी का नारा।

ज्ञान और भाव की भाषा है हिंदी,

प्रेम का मधुर राग है हिंदी। 

न मिटने देना इसके रंग को,

यह है हर हिन्दुस्तानी से विनती,

हिन्दुस्तान एक देश है, इसकी सांस है हिंदी

न रुकने देना इसके प्रबल प्रवाह को,

हमेशा महकाते रखना इसकी सुगन्ध को।

यही हर हिन्दुस्तानी से कहते हैं हम,

हिंदी है हम, हिन्दोस्तान हैं हम।

- ब्रह्मानंद राजपूत 

आगरा

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