कल्कि (कविता)

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मान्यता है कि कलयुग में जब पाप का घड़ा भर जाएगा तो विष्णु जी का अवतार कल्कि अवतरित होंगे। ये आह्वान है कि हम सब ही कल्कि बन जायें।
हिन्दी काव्य मंच 'हिन्दी काव्य संगम' की ओर से प्रेषित कविता 'कल्कि' में कवयित्री अनिता सुधीर श्रीवास्तव ने बताया है कि कलयुग में जब पाप का घड़ा भर जाएगा तो विष्णु जी का अवतार कल्कि अवतरित होंगे।
जब जब हुई धर्म की हानि
पाप और अत्याचार बढ़े,
धरा पर "विष्णु" ने ले अवतार,
किया था पापियों का संहार।
त्रेता में "राम", द्वापर में कृष्णा
"नरसिंह", बुद्धा ने ले अवतार
धरा को मुक्त करा पापियों
से, किया था दुष्टों का संहार।
प्रतिदिन बढ़ रहे अत्याचार
फल फूल रहा है भ्रष्टाचार
रिश्ते हो रहे हैं तार तार
मरना मारना हो गया व्यापार।
अब कौन आयेगा ले नया अवतार
"कल्कि" का कब तक करोगे इन्तेजार।
कलयुग है कलयुग ये,
स्वयम "कल्कि" बन जाओ
भीतर के राक्षस को मारो
अन्याय के खिलाफ बिगुल बजाओ।
एक अवतार का ना करो इंतजार
एक सौ पैंतीस करोड़ अवतरित हो जाओ
मन कर्म वचन से शुद्ध हो
देश के लिए मर मिट जाओ।
-अनिता सुधीर श्रीवास्तव
(शिक्षिका- रसायन शास्त्र)
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