बेटियां (कविता)

daughter

लेखकों ने बेटियों को लेकर कई तरह की कविताएं लिखी हैं। ठीक इसी प्रकार कवियित्री वीना आडवानी तन्वी ने अपने शब्दों के माध्यम से बेटी के जीवन की मुश्किलों को बताने की कोशिश की है।

किस्मत मे बेटी नहीं

पर बेटी के जानूं भाव

मैं भी तो एक बेटी हूं

मात-पिता के समझूं 

हर एक घाव।।

कैसे कलेजे से लगा बड़ा किये

कैसे विवाह किये करे विदाई

सोचा सुखी हो गये हम पर

दर्द की लहर बिटिया थी पाई।।

मां बस बेटी को मायके और 

ससुराल के इज्जत की दी दुहाई

खामोश रही बेटी नकाब लगा 

सब सहती हुई बस मुस्कुराई।।

बस बेटी के बलिदान की खबर 

एक दिन चित्तकार लिये आई

बेटी के ससुराल से ही बेटी की

अर्थी पर हुई विदाई।।

बेटी देखो कितनी प्यारी 

अब कहो मायके की लाज बचाई।।

- वीना आडवानी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र

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