मकर संक्रांति (कविता)

poem-on-makar-sankranti

कवयित्री प्रतिभा तिवारी द्वारा रचित कविता ''''मकर संक्रांति'''' में इस त्योहार परिदृश्य का उल्लेख किया गया है। कविता में देश के विभिन्न-विभिन्न स्थानों पर मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं? यह बताया गया है।

कवयित्री प्रतिभा तिवारी द्वारा रचित कविता ''मकर संक्रांति'' में इस त्योहार परिदृश्य का उल्लेख किया गया है। कविता में देश के विभिन्न-विभिन्न स्थानों पर मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं? यह बताया गया है।

हर्षोल्लास,सद्दभाव,शांति

अति पावन है ये दिन

देश के हर हिस्से में

रूप नाम से भिन्न

गंगा में डुबकी लगा

करते हैं स्नान

बड़े ही सम्मान से

करते दान,दक्षिणा,मान

जिसकी जो भी इच्छा है,

है जितनी सामर्थ्य

आज सभी करते हैं पुण्य

पाने को परमार्थ

गुड़ तिल लड्डू

गजक, मूंगफली

उत्तरायन की हवा

चल पड़ी

कहीं संक्रांति, कहीं है पोंगल

कहीं बन रही है खिचड़ी

लाल, हरी और नीली पीली

जाने कितनी रंग बिरंगी

फिरकी और पतंग माझे से

आसमान भी है अतरंगी

चारों दिशाओं में बादल जैसे

इन्द्रधनुष से हैं सतरंगी

मौसम हर पल रंग बदलता

छाई है एक अगल उमंग

ढील,छोड़, काटो और पकड़ो

दौड़ो लूटो कहे पतंग

खुशियों के इस महापर्व में

उनको भूल ना जाना जिनका

आसमान में ही है घर

हम सबकी है ज़िम्मेदारी

दोस्त हमारे हैं नभचर

सभी के बीच रहे प्यार व्यवहार

मुबारक हो मकर संक्रान्ति का त्योहार

- प्रतिभा तिवारी

All the updates here:

अन्य न्यूज़