आखिर क्यों, आखिर क्यों (कविता)
कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से प्रेषित ''आखिर क्यों, आखिर क्यों'' में पुलवामा में सीआरपीएफ के वाहन पर हुए आतंकवादी हमले के बाद मन में आते विचारों को उकेरा गया है।
कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से प्रेषित 'आखिर क्यों, आखिर क्यों' में पुलवामा में सीआरपीएफ के वाहन पर हुए आतंकवादी हमले के बाद मन में आते विचारों को उकेरा गया है।
पाकिस्तान, हिंदुस्तान
एक ही मां की दो संतान
आखिर क्यों, आखिर क्यों
और कब तक
नफ़रत की ज्वाला जलाएंगे
और कैसा इंतकाम
मुद्दा सियासत है या शहर
सियासत है तो
धरती के स्वर्ग में
आखिर क्यों घोल रहे हो ज़हर
मसला इलाके का है
तो कश्मीर मांगना छोड़
पाकिस्तान तू पहले अपने
शहर संभाल
स्वर्ग को स्वर्ग ही रहने दे
आतंकवाद का मत फैला जाल
कभी एक थे हमारे पूर्वज
इसी धरती को करते थे प्रणाम
एक साथ आज़ाद हुए हम
कभी एक साथ दिए थे बलिदान
आज तुम आतंकवादी दे रहे हो
और हम दे रहे सुशिक्षित अवाम
और नेक दिल इंसान
कहते हो 1000 साल तक
हिन्दुस्तान से लड़ेंगे
हां हमें स्वीकार है चुनौती
हिम्मत है तो आओ लड़ाई लड़ें
बेरोजगारी, गरीबी,
अशिक्षा खत्म करने की
देखो कौन पहले करता है खत्म
अरे तुमने तो
बिछा रखी है अतंकवाद की जड़ें
हम सीना तान खड़े मर मिटने
जान हमारी सरहद है
चोरों जैसे घात लगाना
यही तुम्हारी फितरत है
नाकामी और नापकी
बस इतनी ही तेरी हद है
नहीं संभला आपसे
एक हिस्सा जो कभी आपके पास था
जो है आज बांग्लादेश
तो कश्मीर मांगना बंद करो
कहीं ऐसा ना हो
पाक के इतने टुकड़े हो जाएं
ना शहर बचे ना देश।
- प्रतिभा तिवारी
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