हम तिल तिल रोये बिन तेरे, तुम पल पल हमको भूल गये (कविता)

poem on romance

हिंदी काव्य संगम मंच की लेखिका प्रियदर्शनी शांडिल्य की ओर से भेजी गयी इस कविता में अपने प्रियतम को शब्द रूपी मोतियों को जोड़-जोड़ कर प्रेम का इजहार किया गया है।

हिंदी काव्य संगम मंच की लेखिका प्रियदर्शनी शांडिल्य की ओर से भेजी गयी इस कविता में अपने प्रियतम को शब्द रूपी मोतियों को जोड़-जोड़ कर प्रेम का इजहार किया गया है।

एक गीत लिखा तुम पर प्रियतम, 


और तुम्हें सुनाना भूल गये....


संगीत सुधा सरगम मे पिरोया,


और गुनगुनाना भूल गये....


जो पास कभी तुम आये तो,


हम अपना सुध बुध खो बैठे..


असंख्य रागिनी जगी मगर,


हम कोई तराना भूल गये.....


हम घूम चुके बस्ती वन में,


तेरे घर की राहें भूल गये...


पीड़ की रात घनेरी थी,


हम हँसते हँसते भूल गये...


तुम आये थे कल सपने में,


कुछ प्यार की बातें कर के गये...


सूरज जब आया खिड़की पर,


हम प्यार की बातें भूल गये...


हमें याद बहुत आया वो पल,


तुम सारे जमाने भूल गये...


हम तिल तिल रोये बिन तेरे,


तुम पल पल हमको भूल गये....


तुम हर्षित हो यह खबर मिली,


हम भी खुश तब से रहने लगे...


तुम्हें कमी हमारी खली नहीं,


हम रिक्त जगह भी भूल गये....


एक बात तुम्हें बतलानी थी,


पर बात थी क्या हम भूल गये...


वो काले आँखों वाली लड़की,


रोती भी थी,हम भूल गये....


शुन्य तैरता आँखों में मेरे,


प्यार की बातें विस्मृत हुई...


तुम राजकुमार थे सपनों के,


अब राजा रानी की कहानी भूल गये....

प्रियदर्शनी शांडिल्य 

सीतामढ़ी, बिहार

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