नारी तू ''दुर्गा'' का अवतार (कविता)
डॉ. राजकुमारी । Jul 11 2018 5:26PM
हिन्दी काव्य संगम से जुड़ीं कानपुर की कवयित्री डॉ. राजकुमारी की ओर से प्रेषित कविता ''नारी तू दुर्गा का अवतार'' है में आज की नारी की शक्ति की व्याख्या की गयी है।
हिन्दी काव्य संगम से जुड़ीं कानपुर की कवयित्री डॉ. राजकुमारी की ओर से प्रेषित कविता 'नारी तू दुर्गा का अवतार' है में आज की नारी की शक्ति की व्याख्या की गयी है।
भृकुटी तान कर प्रहार
क्यों सहती है अत्याचार
तेरा ही एक नाम है `दुर्गा`
तू सृष्टि की रचनाकार।
रोशनी! तेरे रोष की धार से,
मंडित तेरा रूप-आकार
असमर्थ टिकने में समक्ष तेरे
जब प्रहार कर मचाये हाहाकार।
तुझसे सम्बद्ध सारे संस्कार
तू नाना रूप नाना चरित्र-आधार
सहनशालिनी तू, तू ही अंगार
वात्सल्य तुझमें, तू प्रेम अपार।
माध्यम तू शून्य-विस्तार
अकथनीय तेरा माया-संसार
वर्णित करने में रत कलमकार
तथापि पूर्ण व्याख्या में लाचार।
डॉ. राजकुमारी
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