मोदी के मुकाबले कौन? 75 साल वाला फेर फंसा केजरीवाल करना चाहते हैं 1 तीर से 5 शिकार, क्या जेल से ही देश चलाने की कर ली है तैयारी

Kejriwal
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 14 2024 2:43PM

लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति के केंद्र में इसी सवाल को रखा कि विपक्षी गठबंधन की ओर से पीएम प्रत्याशी आखिर कौन है? ऐसे में अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पीएम का सवाल उठाकर उस नैरेटिव को पलटने की कोशिश की, जो विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को लगातार रक्षात्मक मुद्रा में बनाए हुए था।

लेकिन एनडीए के जितने भी घटक दल हैं, उनको भी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही भरोसा है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में सहयोगी दल हो या फिर बीजेपी मोदी की गारंटी की बात करती नजर आती है। प्रधानमंत्री के भरोसे ही बीजेपी से लेकर एनडीए दिखाई दे रही है। लोग प्रधानमंत्री मोदी को ही वोट देने की बात करते हैं। बीजेपी के पास मोदी के रूप में सबसे बड़ा चुनावी हथियार है। वहीं विपक्ष का विमर्श भी मोदी को हटाओ पर ही फोकस है। बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी धुआंधार प्रचार और रैलियां करते नजर आ रहे हैं। जहां भी वो जा रहे हैं मोदी की गारंटी की बात करते हैं। बीजेपी पिछले एक दशक से हर चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ती आई है। उसकी यह रणनीति कामयाब भी रही है। इसके बरक्स वह विपक्ष से यह सवाल करती आई है कि मोदी के मुकाबले कौन? इस लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति के केंद्र में इसी सवाल को रखा कि विपक्षी गठबंधन की ओर से पीएम प्रत्याशी आखिर कौन है? ऐसे में अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पीएम का सवाल उठाकर उस नैरेटिव को पलटने की कोशिश की, जो विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को लगातार रक्षात्मक मुद्रा में बनाए हुए था।

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75 वर्ष का फेर फंसा केजरीवाल करना चाहते हैं एक तीर से 5 शिकार

1. सबसे पहले, वह अलिखित, अनौपचारिक आयु सीमा पर मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के लिए एक कठिन परिस्थिति है। बीजेपी में यदि उम्र की कोई सीमा नहीं थी, तो इतने सारे दिग्गज नेताओं - लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और आनंदीबेन पटेल समेत कई अन्य को किनारे क्यों कर दिया गया? अगर कोई अनौपचारिक आयु सीमा है, तो क्या मोदी अपने लिए अपवाद तलाश रहे हैं? किसी भी तरह से पीएम मोदी को उनके विरोधियों द्वारा एक सत्ता-संचालित नेता के रूप में पेश किया जाएगा, जिन्होंने पहले उन नेताओं से छुटकारा पाया जिन्होंने पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और अब जब तक संभव हो पीएम की कुर्सी पर टिके रहने की कोशिश कर रहे हैं। यह उस नेता की छवि के लिए एक झटका होगा जो निस्वार्थ होने के लिए जाना जाता है। 

2. आप संयोजक मोदी के कथित उत्तराधिकारियों-अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच दरार पैदा करने की कोशिश के तहत इस बहस को हवा दे रहे हैं। दोनों ही नेताों को अलग-अलग कारणों से अलग-अलग वर्गों की तरफ से स्पष्ट उत्तराधिकारी माना जाता है। नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े सेनापति और मोदी की आंख, कान और जुबान समझे जाने वाले अमित शाह ही है जिनकी आंखों से पीएम मोदी चुनावी राजनीति को देखते, विरोधियों की आवाज को सुनते और सलाह से विपक्षियों पर बरसते हैं। 30 मई को अमित शाह पहली बार मोदी कैबिनेट का हिस्सा हो गए। शपथ के बाद पीएम मोदी ने उन्हें गृह मंत्रालय की कमान सौंपकर यह जता दिया कि मोदी सरकार 2 में उनकी हैसियत नंबर दो की होगी। योगी को उनकी व्यापक अपील के कारण उत्तराधिकारी माना जाता है। स्टार कैंपेनर के लिहाज से देखें तो उन्हें भाजपा नेताओं में मोदी के बाद दूसरे स्थान पर माना जाता है। बीजेपी हलकों में दोनों के बीच के आपसी रिश्तों को लेकर संशय जताई जाती रही है। ये एक ऐसा फैक्टर है जिसका उपयोग केजरीवाल उनके बीच दरार पैदा करने के लिए करना चाहते हैं।

3. केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सहयोगियों में दो स्तरों पर बढ़ती बेचैनी का फायदा उठाने की कोशिश की है। वे वैचारिक रूप से सबसे प्रतिबद्ध सरकार होने से खुश हैं जिसने आरएसएस के मूल एजेंडे को पूरा किया है। लेकिन, ऐसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्वयंसेवकों और प्रचारकों द्वारा संचालित सरकार में संघ की कोई भूमिका नहीं है या बहुत कम है। तथ्य यह है कि 75 साल की सीमा मूल रूप से आरएसएस का विचार था क्योंकि इसमें ऐसे युवा पदाधिकारी शामिल थे जो अगली पीढ़ी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उससे जुड़ सकें। आरएसएस सरसंघचालक (संरक्षक) मोहन भागवत को इस आयु सीमा का प्रबल समर्थक कहा जाता है। भागवत, जो मोदी से छह दिन बड़े हैं। अगले साल 11 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे और तब पद छोड़ने का फैसला कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो सभी की निगाहें संघ के सबसे प्रसिद्ध चेहरे मोदी पर होंगी, यह देखने के लिए कि वह छह दिन बाद क्या करते हैं। शायद यही वह संदर्भ है जिसमें केजरीवाल 17 सितंबर 2025 को संभावित सत्ता हस्तांतरण के बारे में बात कर रहे थे। हालांकि, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह लंबी अवधि के लिए हैं और भारत को अगले कार्यकाल के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं।

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4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 साल पूरे होने पर उनके रिटायरमेंट के सवाल पर अपने बयान के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब भी किसी बड़े नेता को लेकर बात की जाती है तो उसके समर्थन में पार्टी के लोग बोलते हैं। अब तक नरेंद्र मोदी कुछ नहीं बोले है, जिससे साफ है कि वो अपना बनाया नियम खुद पर लागू होने से नहीं रोकेंगे। शनिवार के अपने इस बयान पर केजरीवाल ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मोदी ऐसा नहीं कहेंगे कि जिस नियम के तहत आडवाणी रिटायर हुए, मैं उस नियम के तहत रिटायर नहीं होऊंगा। अगर ऐसा नहीं है तो प्रधानमंत्री मोदी खुद कह दें कि वो नियम उनके ऊपर लागू नहीं होगा, वो नियम सिर्फ लाल कृष्ण आडवाणी के लिए बनाया था। मोदी के संन्यास और योगी को हटाने की बात करके केजरीवाल अपने प्रशंसकों के मन में संदेह पैदा करना चाह रहे हैं। मुझे लगता है कि आप के मुख्यमंत्री को लगता है कि मोदी-योगी प्रशंसक शाह को लेकर बहुत उत्साहित नहीं होंगे, जो मूलतः एक उत्कृष्ट राजनीतिक रणनीतिकार हैं। 

5. केजरीवाल की टिप्पणी एक अप्रत्यक्ष स्वीकृति है कि विपक्ष मोदी के खिलाफ नहीं लड़ सकता। उस पर हमला करना प्रतिकूल होगा। तो, उसके चारों ओर सहायक पारिस्थितिकी तंत्र पर हमला करें। जब मोदी का समर्थन करने की बात आती है तो भाजपा एक अत्यंत एकजुट इकाई है। लेकिन हाल ही में कई दिग्गज नेताओं को दरकिनार किए जाने और चुनावों में बड़ी संख्या में सांसदों और विधायकों को टिकट नहीं दिए जाने के कारण पार्टी के भीतर काफी असंतोष देखने को मिल रहा है। 

आम आदमी पार्टी ही इस देश को चलाएगी 

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सभी विधायकों की एकजुटता की सराहना करते हुए दावा किया है कि उनके जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी और मजबूत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में आम आदमी पार्टी ही इस देश को चलाएगी और भारत को एक अच्छा भविष्य देगी। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल विपक्षी इंडिया के लिए देशभर में चुनाव प्रचार करेंगे। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) डॉ. संदीप • पाठक ने बताया कि आप संयोजक गठबंधन के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे और पूरे देश में जाकर वोट मांगेंगे। वह 15 मई को लखनऊ में गठबंधन के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। 16 मई को झारखंड के जमशेदपुर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे। मुंबई में 17 मई को चुनाव प्रचार करेंगे। इंडिया के सभी घटक दल चाहते हैं कि केजरीवाल उनके राज्य में आकर उनके लिए चुनाव प्रचार करें। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता पूरे देश में तेजी से बढ़ती जा रही है। पूरे देश की जनता उन्हें पसंद करती है और उनको चुनाव प्रचार करते हुए देखना चाहती है।

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