दिल्ली के बाद बंगाल में बनेगा BJP का CM! बड़ा खेला शुरू!

बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है। ऐसे में सवाल है कि बगाल में क्या 2026 की तैयारी संघ ने शुरू कर दी है। क्या बंगाल में इस बार भगवा लहराने के लिए संघ का प्लान रेडी है। क्योंकि अगर बंगाल में हिंदू एकजुट हो गया तो बीजेपी के लिए ये रास्ता थोड़ा आसान हो सकता है।
दिल्ली में करीब 27 साल बाद जीत का स्वाद चखने वाली बीजेपी अब यहां मिले अनुभवों को पश्चिम बंगाल में भी इस्तेमाल करेगी। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है और बीजेपी ने अभी से वहां तैयारी शुरू कर दी है। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव है और संघ ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है। खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत 10 दिन बंगाल में रहे और इस दौरान उन्होंने ऐसा बयान दिया कि ममता के बंगाल का सियासी पार हाई हो गया है। जिस धरती से ये भागवत वाणी हुई वो ममता का बंगाल है। वही बंगाल जहां आज तक बीजेपी का भगवा नहीं लहड़ा पाया है। इसलिए तो उनकी इस बयान की अहमियत काफी ज्यादा है। बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है। ऐसे में सवाल है कि बगाल में क्या 2026 की तैयारी संघ ने शुरू कर दी है। क्या बंगाल में इस बार भगवा लहराने के लिए संघ का प्लान रेडी है। क्योंकि अगर बंगाल में हिंदू एकजुट हो गया तो बीजेपी के लिए ये रास्ता थोड़ा आसान हो सकता है।
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हिंदू एकता के सहारे भागवत ने तैयार कर दी जमीन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज का मानना है कि एकता में ही विविधता समाहित है। उन्होंने दुनिया की विविधता को अपनाने के महत्व पर जोर दिया। वर्धमान के साई ग्राउंड में आरएसएस के कार्यक्रम में भागवत ने कहा, 'लोग अक्सर पूछते हैं कि हम केवल' हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं। मेरा जवाव है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है। आज कोई विशेष कार्यक्रम नहीं है। जो लोग संघ के वारे में नहीं जानते वे अक्सर सवाल करते हैं कि संघ क्या चाहता है। अगर मुझे जवाव देना होता, तो मैं कहता कि संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि यह देश का जिम्मेदार समाज है। हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है। भागवत ने कहा कि भारत केवल भूगोल नहीं है, भारत की एक प्रकृति है। पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले रैली आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके वाद कलकत्ता हाई कोर्ट से मंजूरी मिलने के वाद रैली आयोजित की गई। मोहन भागवत ने हिंदू एकता की बात कह कर बीजेपी के भगवा लहराने के लिए जमीन तैयार करना शुरू कर दिया है।
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हिंदू एकता की बात भर करने से मौलाना बिग्रेड परेशान
बंगाल को लेकर संघ अपना एजेंडा साफ कर चुका है और मोहन भागवत अपना प्लान भी बता चुके हैं। उसी रणनीति के तहत भागवत बंगाल में 10 दिन तक रहे। युवाओं से आरएसएस ज्वाइन करने की अपील भी की। संघ का एक ही मिशन है। वो देश की सोचता है और हिंदुओं को एकजुट करना चाहता है। भागवत ने मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा। लेकिन हिंदू एकता की बात भर करने से मौलाना बिग्रेड परेशान हो गई। 10 दिन तक भागवत बंगाल में रहे और हिंदुओं के नब्ज टटोलने की कोशिश करते रहे। 2026 में बीजेपी को बंगाल फतह करना है तो भागवत का दिया मंत्र ही रामबाण साबित हो सकता है।
माइक्रोमैनेजमेंट पर फोकस
दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने इसका ख्याल रखा कि मजबूत कैंडिडेट के साथ ही चुनाव लड़ाने वाली टीम भी उतनी ही मजबूत हो। क्योंकि कई बार मजबूत टीम मन न होने से लोगों का समर्थन वोट में तब्दील नहीं हो पाता है। दूसरे राज्यों के सीनियर नेताओं को जिम्मा दिया और माइक्रोमैनेजमेंट पर फोकस में अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी थी और बीजेपी की माने तो पश्चिम बंगाल में भी वही माहौल है। बीजेपी को बस लोगों को यह बार-बार बताना पड़ेगा कि वे रोजमर्रा जो दिक्कतें झेल रहे हैं, वह ममता बनर्जी की सरकार को बदलकर ही दूर हो सकती है।
भ्रष्टाचार का प्रचार
भ्रष्टाचार का मुद्दा भी दिल्ली चुनाव में बड़ा फैक्टर रहा। बंगाल में भी घर घर तक ममता सरकार के भ्रष्टाचार के किस्से बताने की योजना बीजेपी की तरफ से बनाई गई है। पश्चिम बंगाल में 2011 से ही ममता बनर्जी की सरकार है। तब टीएमसी ने 34 साल पुराने लेफ्ट के किले को ढहा कर पहली बार सत्ता हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की दो सीटें जीती और तब से ही वहां अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तीन सीटें मिली लेकिन वोट शेयर 10 पसेंट रहा, जो बीजेपी का उत्साह बढ़ाने के लिए काफी था। हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही। लेकिन बीजेपी 77 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 12 सीटें ही जीत पाई। लेकिन लेफ्ट और कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए अभी तो ये लग रहा है कि पश्चिम बंगाल में मुख्य मुकाबला टीएमसी और बीजेपी के बीच हो सकता है।
पश्चिम बंगाल के लिए भी बीजेपी इसी तरह की रणनीति
चुनाव में एक मुद्दा ही पूरा रुख बदल देता है और लोगों के मूड को समझना बहुत जरूरी होता है। दिल्ली में आप के नेता जितना ज्यादा बोल रहे थे उतना उन्हें नुकसान हुआ, वे लोगों को मूड भपने में असफल रहे। उन्होंने कहा कि जैसे ओडिशा में बीजेपी ने बाहरी को मुझ बनाया और वह क्लिक कर गया। पश्चिम बंगाल के लिए भी बीजेपी इसी तरह की कोई रणनीति पर काम कर सकती है।
गौरतलब है कि बंगाल में 2026 में चुनाव है और बीजेपी के लिए वहां सत्ता पाना अभी तक ख्वाब सरीखा ही रहा है। संघ से लेकर बीजेपी संगठन के पूरी ताकत लगाने के बावजूद वो ममता के किले को भेद नहीं पा रही है। 2016 विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211 सीटें मिली थी। बीजेपी को महज 3 सीटें मिल पाई थी। 2021 में भी ममता की पार्टी को 213 सीटें मिली। इस दौरान बीजेपी 77 सीटों के साथ मजबूत तो हुई लेकिन उसे सत्ता नहीं मिल सकी। केवल विधानसभा ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी बंगाल में ममता के आगे बीजेपी का भगवा रथ अटकता रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में ममता को कड़ी टक्कर दी। बावजूद इसके टीएमसी 42 में से 22 सीटें जीत गई और बीजेपी को 18 सीटें मिली। वहीं 2024 के चुनाव में तो ममता के आगे बीजेपी पिछला प्रदर्शन भी नहीं दोहरा सकी। 2024 में बीजेपी को सिर्फ 12 सीटें मिल पाईं। लेकिन इस बार संघ इस गुणा गणित को बदलना चाहता है।
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