History of Russia America: रूस-अमेरिका की दोस्ती की शानदार रही है शुरुआत, क्या कहता है इतिहास? कब से बिगड़ने शुरु हुए दोनों के रिश्ते

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prabhasakshi
अभिनय आकाश । Mar 16 2023 4:48PM

पुतिन के उदय के बाद से तनाव और भी बढ़ता चला गया। हालांकि इस बीच दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मुहिम चलाई रखी।

कितना अच्छा होता कि काश दुनिया के तमाम बड़े झगड़े प्रेम से सुलझाए जा सकते। तब दुनिया को बेमतलब खून खराबे की जरूरत नहीं होती। फिर बात वहीं आ जाती है कि ऐसा होता तो क्या होता। मगर ऐसा हो रहा है कि रूस और यूक्रेन का झगड़ा उस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां से शांति की बातें बकवास लगती है। यूक्रेन से जारी जंग के बीच रूस ने अमेरिका पर पहली बार सीधा वॉर किया है। इसी वजह से आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका भी रूस के साथ जंग छेड़ सकता है। जानकारों का ये कहना है कि अगर अमेरिका ने पुतिन से बदला लिया तो उसके बाद पुतिन किस हद तक जाएंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो सकता है। सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने ये दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध में दुनिया की बड़ी ताकतें शामिल हो चुकी हैं। 

रूस ने खोल दिया मोर्चा

रूस और यूक्रेन के बीच साल भर से ज्यादा वक्त से चल रही जंग की लपटें अभी शांत भी नहीं हुई कि अमेरिका और रूस के बीच महायुद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ती जा रही है। दो महाशक्तियों के बीच जल्द ही आमने-सामने की लड़ाई होने का डर है। ब्लैक सी में अमेरिका और रूस आमने सामने हैं, जिसकी वजह अमेरिकी रिपर और रूसी फाइटर जेट की टक्कर है। ब्लैक सी पर अमेरिकी एमक्यू9 रीपर ड्रोन और रूस के फाइटर जेट की आमने सामने की टक्कर के बाद दोनों देशों में टेंशन बढ़ गया। अमेरिकी रीपर ड्रोन क्रैश होते ही ब्लैक सी में डूब गया और जिसके बाद से ही सुपरपॉवर मुल्क बौखलाया हुआ है। काला सागर वो जल क्षेत्र है जिसकी सीमाएं रूस और यूक्रेन से मिलती हैं। यूक्रेन युद्ध की वजह से इस क्षेत्र में पिछले कई महीनों से सैन्य तनाव बना हुआ है। यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी और अमेरिकी विभाग काला सागर के ऊपर उड़ान भरते रहते हैं। लेकिन ये पहली बार है जब दोनों देश के युद्धक विमान एक दूसरे के सामने आ गए और टकराव की ऐसी नौबत आ गई। 

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इराक और अफगानिस्तान में ड्रोन ने 300 से ज्यादा हमले किए

अब समझिए कि एमक्यू 9 रिपर ड्रोन क्या चीज है? अमेरिका यूरोप में इसे नाटो के बेस से ऑपरेट करता है। वो इससे न सिर्फ काला सागर बल्कि बाल्टिक सागर पर भी नजर रखता है। एमक्यू9 रिपर 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। ये करीब 2 हजार किलोमीटर की रेंज में ऑपरेट कर सकता है और 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। अमेरिका अपना ये ड्रोन पहले यमन में भी गंवा चुका है और तब भी अमेरिका की बहुत बेइज्जती हुई थी। ये प्रेडिटर ड्रोन का अपग्रेटेड वर्जन है। ये ड्रोन 2001 में पहली बार उड़ान भरने के बाद एमक्यू9 एयर ड्रोन अमेरिका के ऑपरेशन का सबसे बड़ा जरिया बन चुका है। इराक और अफगानिस्तान में इस ड्रोन ने 300 से ज्यादा हमले किए। अलकायदा के आतंकियों को खत्म करने के अलावा इस ड्रोन पर कई नागरिक ठिकानों पर बमबारी के भी इल्जाम लगे हैं। रूस का सुखोई 27 विमान काला सागर के अलावा बाल्टिक सागर के ऊपर उड़ते हुए काफी आक्रमक रहते हैं। ये विमान पहले भी अमेरिका के बड़े-बड़े बॉर्म्स को खदेड़ चुके हैं। उनके सामने में खतरनाक तरीके से उड़ान भरते हुए चैलेंज कर चुके हैं।

यूक्रेन युद्ध के एक साल बाद पहली बार ऐसा हुआ कि रूस और अमेरिका जंग के मैदान में एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। वैसे तो जब भी किसी देश में तनाव होता है रूस और अमेरिका आमने-सामने नजर आते हैं। लेकिन पहली बार दोनों देश खुलकर एक दूसरे से टकराने को तैयार नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि दोनों का रिश्ता 220 साल से भी पुराना है। जमीन पर दोनों देश भले ही आमने-सामने हो जाए लेकिन एयर स्पेस में एक साथ काम करते हैं। दोनों देशों के बीच चल रहा तनाव किस ओर जाएगा ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल हम रूस और अमेरिका के रिश्तों के इतिहास की बात करते हैं। 

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200 साल पुराना रिश्ता

दोनों देशों के रिश्ते करीब 200 साल से ज्यादा पुराने हैं। कई स्तर पर दोनों एक दूसरे के कूटनीतिक साझेदार भी हैं और विरोधी भी। इतने लंबे दौर के डिप्लोमेटिक रिलेशन में दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनीतिक और इकोनॉमिक प्रभाव को लेकर प्रतिस्पर्धा रखी है। एक-दूसरे के साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग किया है। दोनों देशों के बीच रिश्तों की शुरुआत 1780 से होती है। इस साल पहली बार अमेरिका ने रूस में अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त किया था। 1807 में रूस का प्रतिनिधि अमेरिका में नियुक्त करने के लिए एक प्रस्ताव दिया गया। 1809 में दोनों देशों ने अपने पहले मिनिस्टर लेवल के प्रतिनिधियों को नियुक्त किया। 1832 में दोनों देशों के बीच कॉमर्सियल ट्रीटी हुई। 

पहले विश्व युद्ध की शुरुआत और बदल गया सबकुछ

1917 में पहले विश्व युद्ध की शुरुआत होती है। दुनिया दो धड़ों मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र में बंट जाती है। मित्र राष्ट्र में अमेरिका और सोवियत संघ और इंग्लैंड होते हैं। उधर जर्मनी, इटली और जापान की ओर से लड़ने वाले देशों को धुरी राष्ट्र कहा गया। 1917 में रूस क्रांति हुई। इसके बाद 1917 से 1933 तक वोलशोविक क्रांति हुई। रूस बना और 17 नवंबर 1933 को अमेरिका ने सोवियत संघ को एक देश के रूप में मान्यता दे दी। दूसरे विश्व युद्ध में रूस और अमेरिका सहयोगी रहे। माना जाता है कि दोनों देशों के रिश्तें खटास की शुरुआत 19वीं सदी में हुई। 

दुनिया दो धड़ों में बंट गई

साल 1945 का वो दौर जब भीषण त्रास्दी लिए द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति की ओर बढ़ रहा था। क्रिमिया शहर में तीन देशों के नेता फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, विन्सटन चर्चिल, जोसेफ स्टालिन एकट्ठा होते हैं। मकसद- यूरोप का पुनर्गठन। याल्टा सम्मेलन  जिसे 4 से 11 फरवरी 1 9 45 तक आयोजित किया गया और तीनों नेताओं ने इसमें शिरकत की। सम्मेलन का उद्देश्य एक युद्ध-युद्ध शांति को आकार देना था जो न केवल एक सामूहिक सुरक्षा आदेश का प्रतिनिधित्व करता था बल्कि नाजी यूरोप के मुक्त लोगों को आत्मनिर्भरता देने की योजना थी। बैठक मुख्य रूप से युद्ध-टूटे यूरोप के राष्ट्रों की पुन: स्थापना पर चर्चा करने के लिए थी। लेकिन इसने विश्व को अमेरिका और सोवियत जैसे दो धड़ों में विभाजित कर दिया। जर्मनी चार हिस्सों में बंट गया। इन पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस का कब्जा था। चार सालों के बाद विभाजन की ये खिंची रेखाएं और गहरी होती गई। 

अमेरिका ने बनाया बड़ा गठबंधन, रूस वारसा पैक्ट लेकर आया

संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 में क्षेत्रीय संगठनों के प्रावधानों के अधीन उत्तर अटलांटिक संधि पर 12 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। ये देश थे- फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका। अमेरिका ने सोवियत के खिलाफ इतना बड़ा गठबंधन बना लिया तो ऐसे में वो क्या कर रहा था। उसने 1955 में वारसा पैक्ट की स्थापना की। ये कॉम्युनिस्ट देशों का साझा सुरक्षा संगठन था। यह समझौता अल्बेनिया (1968 तक), बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, पूर्वी जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और सोवियत संघ के बीच हुआ। 

पुतिन के उदय के बाद और बिगड़ते गए हालात

पुतिन के उदय के बाद से तनाव और भी बढ़ता चला गया। हालांकि इस बीच दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मुहिम चलाई रखी। लेकिन 2008 में जॉर्जिया पर कब्जा, 2014 में क्रिमिया पर कब्जा रूस के इन हरकतों ने अमेरिका और रूस के बीच के रिश्तों की खाई को और गहरा ही किया। इस बीच अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इधर रूस ने लेखक एडवर्ड जोसेफ स्नोडन को शरण देने का फैसला किया। नाटो ने लिबिया पर कब्जा कर लिया। सीरिया सिविल वॉर में रूस और अमेरिका का दखल और रूस और अमेरिका के रिश्ते 2016 में और खराब होते गए। अमेरिका ने दावा किया कि राष्ट्रपति चुनाव में दखल दिया। वर्तमान दौर में विश्व के हालातों पर एक नजर डालते हैं। यूक्रेन युद्ध का दंश झेल रहा है, यूरोप बंटा हुआ नजर आ रहा है। लगभग यही आलम पूरे विश्व का नजर आ रहा है। जो कोल्ड वॉर के दौर के लौटने के संकेत दे रहा है। 

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