CBI Custody: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी का इतिहास और इसकी पूरी प्रक्रिया

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अभिनय आकाश । Feb 27 2023 4:47PM

आप नेता को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 477 ए (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

2013 में आई नीरज पांडे की बेहतरीन फिल्म ‘स्पेशल 26’ में रेड मारने गए सीबीआई इंस्पेक्टर वसीम खान का रोल निभा रहे मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘हम सीबीआई से हैं…सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई देशभर में होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और भ्रष्टाचार की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।  दिल्ली शराब नीति मामले में घंटों चली पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया। आप नेता को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 477 ए (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में आपको सीबीआई के बारे में बताते हैं। साथ ही सीबीआई हिरासत की प्रक्रिया क्या है। 

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सीबीआई की स्थापना

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भ्रष्टाचार और घूसखोरी की जांच के लिए भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1941 में स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट की स्थापना की। युद्ध के बाद दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के प्रावधानों के तहत इस एजेंसी का संचालन होता रहा। अभी भी सीबीआई का संचालन इसी कानून के तहत होता है। शुरू में तो इसके जिम्मे भ्रष्टाचार के ममलों की जांच थी लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया। एक बढ़ती हुई जरूरत को महसूस करते हुए एक केंद्रीय पुलिस एजेंसी की जरूरत महसूस की गई जो केंद्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में हो जो न केवल रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करे, अपितु केंद्रीय राजकोषीय घाटा नियम, बड़े धोखाधड़ी के मामले जो केंद्रीय सरकार के विभागों, लोक संयुक्त स्टॉक कंपनियों, पासपोर्ट, समुद्री अपराध, एयरलाइन्स से संबंधित और संगठित गैंग तथा पेशेवर अपराधियों द्वारा किए गए अपराधों की जांच कर सके। इसलिए भारत सरकार ने 1 अप्रैल, 1963 को एक संकल्प पारित कर निम्नलिखित प्रभागों के साथ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का गठन किया।

प्रक्रिया और नियमों का पालन

डीएसपीई अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता में प्रदान किए गए प्रावधानों के अनुसार एक बार एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है तो अगला कदम, स्वाभाविक रूप से, अभियुक्त की हिरासत यानी सीबीआई हिरासत है। यदि कोई आरोपी व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया गया है, जमानत पर रिहा नहीं होता है, तो उसे अगले 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए। जिन मामलों में जांच अधिकारी के लिए आरोपी को उस दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना संभव नहीं होता है, उस दिन गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को आरोपी को पुलिस हिरासत में रखना होता है। यह आमतौर पर गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों को तैनात करने वाले पुलिस स्टेशन की लॉक अप सुविधाओं का उपयोग करके या निकटतम पुलिस स्टेशन की सुविधा का उपयोग करके किया जाता है। जब आरोपी को रिमांड पर लिया जाता है, तो शाखा के लिए यह अनिवार्य है कि कम से कम एक अधिकारी को लॉक अप की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाए। 

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क्या हैं अधिकार

एक व्यक्ति जिसे गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है और एक पुलिस स्टेशन या पूछताछ केंद्र या अन्य लॉक-अप में सीबीआई की हिरासत में रखा जा रहा है, वह अपने एक दोस्त या रिश्तेदार या अन्य व्यक्ति को जानने वाले व्यक्ति को जितनी जल्दी संभव हो सूचित करने का हकदार होगा। हिरासत के स्थान पर डायरी में व्यक्ति की गिरफ्तारी के संबंध में एक प्रविष्टि की जानी चाहिए, जिसमें उस व्यक्ति के अगले मित्र का नाम भी बताया जाएगा, जिसे गिरफ्तारी की सूचना दी गई है और जिन पुलिस अधिकारियों के नाम और विवरण हैं हिरासत में लिया गया व्यक्ति है। हिरासत में रखे जाने के दौरान हर 48 घंटे में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के निदेशक, स्वास्थ्य सेवा द्वारा नियुक्त अनुमोदित डॉक्टरों के पैनल के एक डॉक्टर द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाना चाहिए। निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं सभी तहसीलों और जिलों के लिए भी ऐसा पैनल तैयार करें। इसके अलावा, अगर पुलिस या सीबीआई की हिरासत में कोई व्यक्ति हिरासत के समय किसी भी तरह की चोट या मानसिक बीमारी से पीड़ित है ऐसे व्यक्तियों को चिकित्सा जांच के अधीन होना चाहिए। 

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