महाकुंभ में लगाई डुबकी और फिर दे दिया इस्तीफा, अमित शाह संग नगा-कुकी-मैतेई विधायकों की शपथ, बीरेन की विदाई की कहानी कैसे शुरू हुई?

8 फरवरी को एक तरफ दिल्ली विधंसबग के नतीजे आ रहे थे और दूसरी तरफ बीरेन सिंह के फोन की घंटी घनघना रही थी। ये फोन बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से था। संदेशा साफ था दिल्ली आ जाएं। सवाल ये है कि एन बीरेन सिंह ने इतनी देर से इस्तीफा क्यों दिया? अचानक उनका मन कैसे बदल गया। सब कुछ तफसील से बताएंगे।
30 जून 2023 की तारीख और बीरेन सिंह अपने समर्थकों के साथ राजभवन जा रहे थे। उनके हाथों में इस्तीफा था। सिर पर इल्जाम था कि मई 2023 से चल रही है हिंसा को वो रोक नहीं पा रहे हैं। विपक्षी उनका इस्तीफा मांग रहे थे तो इस दिन अपने विरोधियों को चुप करने के लिए बीरेन सिंह पैदल ही राजभवन की ओर निकले। लेकिन आवास पर ही उनके अपने मैतई समुदाय की महिलाओं ने बीरेन सिंह को घेर लिया, उन्हें इस्तीफा देने से रोक दिया। नारे लगाने लगी। आखिर में एक महिला ने एन बीरेन सिंह के हाथ से इस्तीफे का कागज छीनकर उसे फाड़ दिया। मुख्यमंत्री अपने घर वापस चले गए। आलोचकों ने कहा कि यह बीरेन सिंह का राजनीतिक थिएटर था जिसके जरिए वो केंद्र पर दबाव बनाना चाहते थे।
कट टू 5 फरवरी 2025, एन बीरेन सिंह अपने कुछ मंत्रियों के साथ भागे भागे दिल्ली पहुंचते हैं। बकौल इंडियन एक्सप्रेस उन्होंने गृह मंत्री से मिलने का समय मांगा, लेकिन समय नहीं मिला। इसलिए बीरेन सिंह अपने मंत्रियों के साथ प्रयागराज महाकुम्भ स्नान करके वापस चले गए। फिर 7 फरवरी की तारीख आई जब मणिपुर कांग्रेस ने तमाम कयासों पर विराम लगा दिया और कहा कि वो 10 फरवरी को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। 8 फरवरी को एक तरफ दिल्ली विधंसबग के नतीजे आ रहे थे और दूसरी तरफ बीरेन सिंह के फोन की घंटी घनघना रही थी। ये फोन बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से था। संदेशा साफ था दिल्ली आ जाएं। सवाल ये है कि एन बीरेन सिंह ने इतनी देर से इस्तीफा क्यों दिया? अचानक उनका मन कैसे बदल गया। सब कुछ तफसील से बताएंगे।
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मणिपुर विधानसभा का चुनावी गणित
शुरुआत मणिपुर विधानसभा के नंबर गेम से करते हैं, जिससे आपको कहानी समझने में आसानी होगी। मणिपुर विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 60 है। बीजेपी के 37, जदयू के 1, नगा पीपुल्स फ्रंट के 5 विधायक हैं। विपक्ष में नेशनल पीपुल्स फ्रंट के 7, कांग्रेस के 5, कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 और निर्दलीय 3 विधायक हैं। मणिपुर हिंसा में 250 लोगों की मौत हुई। 60 हजार बेघर हुए। 4,786 घर जलाए गए, 386 धर्मस्थल तोड़े गए। बीते नवंबर में भीड़ ने 3 मंत्रियों समेत 6 विधायकों के घर फूंके। हिंसा के 5,995 केस दर्ज हैं। इनमें 11 गंभीर केस की जांच सीबीआई कर रही है। 6,745 लोग जेल में बंद हैं।
अमित शाह ने दिलाई में दिलाई विधायकों को शपथ
अक्टूबर 2024 मणिपुर विधानसभा के करीब 20 विधायकों को गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली आने का न्योता देते हैं। ये विधायक नगा, मैतई और कुकी समुदाय से थे। इनकी गृह मंत्रालय में अमित शाह के साथ बैठक होनी थी लेकिन अंतिम वक्त में बैठक रीशेड्यूल कर आईबी हेडक्वार्टर में शिफ्ट की जाती है। अब बैठक में गृह मंत्री के अलावा आईबी निदेशक राजेश काम्बले, बीजेपी के पूर्वोत्तर के प्रभारी संबित पात्रा, केंद्र के सुरक्षा सलाहकार एके मिश्रा भी मौजूद होते हैं। एक-एक कर सभी विधायकों से उनकी राय पूछी जाती है। बैठक के अंत में सभी विधायकों को एक हाल में इकट्ठा किया जाता है। फिर सभी को एक साथ शपथ दिलाई जाती है। शपथ यह कि आज के बाद से मणिपुर में ना तो एक भी गोली चलेगी और ना ही किसी व्यक्ति की जान जाएगी। सभी विधायक एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं और वापस मणिपुर लौट जाते हैं। नगा, मैतई और कुकी समुदाय के विधायकों के बीच हुई महत्वपूर्ण बैठक से मणिपुर के मौजूदा मुख्यमंत्री में एन बीरेन सिंह नदारद थे। सूत्र के अनुसार इस बैठक के बाद यह तय हो गया था कि जल्द ही बीरेन सिंह की विदाई होगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
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इन कुछ महीनों में क्या कुछ बदला
दिल्ली में वोटिंग से दो दिन पहले (3 फरवरी को) 33 विधायक दिल्ली गए। इनमें भाजपा के 19 विधायकों के साथ ही 5 कांग्रेसी और 10 कुकी विधायक थे। इस मीटिंग में रहे एक विधायक ने भास्कर को बताया- हमने गृहमंत्री को कहा था कि अगर बीरेन को नहीं हटाया तो बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और हम समर्थन करेंगे। इसके बाद पार्टी ने बीरेन को कहा।हिंसा के समय का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट ने दावा किया कि इसमें आवाज बीरेन सिंह की है, जो कह रहे हैं कि उन्होंने मैतेइयों को हिंसा भड़काने की अनुमति दी। छह दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब को छह हफ्ते में इस ऑडियो क्लिप की जांच रिपोर्ट देने को कहा। बीरेन की बुलाई बैठक में कुछ ही विधायक पहुंचे। वहीं, 3 फरवरी के बाद 33 विधायकों की 3 बैठकें हुई। इनमें सभी ने स्पीकर टी. सत्यन्नत सिंह को नेता माना।
इस्तीफे के बाद क्या क्या
मणिपुर में हिंसा के 21 महीने बाद भाजपा ने भले ही एन. बीरेन सिंह का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा लेकर 'अविश्वास' का संकट टाल लिया हो. लेकिन पार्टी के 32 में से 19 विधायक अभी भी नाराज बने हुए हैं। इन विधायकों ने कांग्रेस द्वारा बीरेन सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है। इसलिए पार्टी नेतृत्व अब डैमेज कंट्रोल के साथ ही इन्हें पार्टी लाइन पर लाने की कोशिश में जुट गया है। मणिपुर भाजपा के एक प्रवक्ता ने भास्कर को बताया कि जब तक कोई समाधान नहीं निकलता, तब तक सत्ता कार्यवाहक सीएम के रूप में बीरेन के हाथ में है। 19 विधायक चाहते हैं कि पार्टी नेतृत्व एक-दो दिन में नए सीएम की घोषणा करें, लेकिन नेतृत्व इन विधायकों की कांग्रेस से नजदीकी भांप गया है, इसलिए सख्त हिदायत देने के लिए सभी 32 विधायकों को 12 फरवरी को दिल्ली बुलाया है।
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